नागौर के मकराना थाना क्षेत्र के बोरावड़ में झाड़ियों से मिले नवजात शिशु को आखिरकार डेढ़ माह बाद अपनी मां की गोद मिल गई। कानूनी प्रक्रिया और डीएनए जांच पूरी होने के बाद सोमवार को बाल कल्याण समिति नागौर ने नवजात को उसकी जैविक मां को सौंप दिया। बेटे को गोद में लेते ही मां की आंखें भर आईं और वह खुशी से बिलख उठी।
लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद मिला बेटा
बाल कल्याण समिति न्यायपीठ नागौर के अध्यक्ष मनोज सोनी, सदस्य निधि हेड़ा, नत्थुराम मेघवाल, गोपालराम फूलफगर और रामलाल कुंवाड की मौजूदगी में सुपुर्दगी की प्रक्रिया पूरी की गई। शिशु गृह अधीक्षक जगदीश चांगल, मैनेजर पूजा बेनीवाल और समिति के निजी सहायक मुकेश धोलिया ने संपूर्ण औपचारिकताएं पूरी करवाईं। बोरावड़ पुलिस चौकी प्रभारी मघाराम तांडी ने प्रभावी कार्रवाई करते हुए शिशु की डीएनए रिपोर्ट समिति में पेश की, जिसके आधार पर शिशु को मां को सौंपने का आदेश दिया गया।
एसपी ऋचा तोमर ने दिखाई मानवता
घटना सामने आने पर नागौर पुलिस अधीक्षक ऋचा तोमर ने मामले को संवेदनशीलता से लिया। उन्होंने अस्पताल में नवजात की भर्ती से लेकर उसके उपचार और बाद में मां को सुपुर्दगी तक पूरी प्रक्रिया पर निगरानी रखी। बाल कल्याण समिति के साथ मिलकर उन्होंने पारिवारिक पुनर्वास की प्रक्रिया को पूरा करवाया।
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मां की आंखों में छलके आंसू
जब कानूनी प्रक्रिया पूरी होने के बाद नवजात को मां की गोद में सौंपा गया तो उसकी मां और दादी की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। मां ने बेटे को सीने से लगाकर रोते हुए कहा कि यह उसके लिए नया जीवन मिलने जैसा है। समिति अध्यक्ष ने बताया कि शिशु पूरी तरह स्वस्थ है और आगे भी समिति द्वारा देखरेख व मॉनिटरिंग की जाएगी।
मौत को मात देकर लौटा जीवन
घटना के समय नवजात को जन्म के तुरंत बाद किसी ने झाड़ियों में फेंक दिया था। ग्रामीणों की सतर्कता और पुलिस की तत्परता से उसे अजमेर के राजकीय अस्पताल में भर्ती कराया गया। कांस्टेबल नंदराम ने इलाज की व्यवस्थाओं में अहम भूमिका निभाई। उच्च स्तरीय उपचार से नवजात ने मौत से जंग जीत ली और अब सुरक्षित अपनी मां की गोद में लौट आया है।
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