राजस्थान सरकार द्वारा विधानसभा में पेश किए गए धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध विधेयक-2025 का विरोध अब सड़कों पर भी दिखाई देने लगा है। टोंक जिले में मुस्लिम संगठन आवाम-ए-टोंक के नेतृत्व में शुक्रवार को बड़ी संख्या में लोगों ने कलेक्ट्रेट पहुंचकर विरोध प्रदर्शन किया और राज्य सरकार से इस विधेयक को वापस लेने की मांग की।
संविधानिक अधिकारों के उल्लंघन का आरोप
संगठन के नेता काशिफ जुबैर ने कहा कि यह बिल सीधे तौर पर आम आदमी की निजता और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का उल्लंघन है। जब भारतीय संविधान दो बालिगों को अपने जीवन के फैसले लेने की आजादी देता है, तो फिर इस तरह की बाध्यता थोपना लोकतांत्रिक मूल्यों के विपरीत है। उन्होंने कहा कि इस विधेयक को देखकर साफ प्रतीत होता है कि राज्य सरकार ने संवैधानिक मूल्यों को दरकिनार कर दिया है।
विधेयक को अनुच्छेद 21 और 25 के खिलाफ बताया
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि धर्म परिवर्तन प्रतिषेध कानून की कई धाराएं भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन जीने का अधिकार) और अनुच्छेद 25 (धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार) का सीधा उल्लंघन करती हैं। ऐसे प्रावधान किसी भी स्वस्थ लोकतंत्र के लिए उचित नहीं कहे जा सकते।
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वापस लेने की रखी मांग
संगठन ने राज्य सरकार को ज्ञापन सौंपते हुए मांग की कि इस विधेयक को तुरंत वापस लिया जाए। काशिफ जुबैर ने कहा कि धर्मनिरपेक्षता भारतीय संविधान की मूल भावना है और इस तरह का कानून समाज को बांटने का काम करेगा। यदि सरकार ने इस कानून को लागू किया तो आम जनता के मौलिक अधिकार प्रभावित होंगे।
बढ़ रहा विरोध
गौरतलब है कि हाल ही में पारित हुए इस कानून को लेकर न केवल टोंक बल्कि प्रदेश के अन्य जिलों में भी विरोध के स्वर उठ रहे हैं। विरोधियों का मानना है कि यह कानून व्यक्तिगत स्वतंत्रता और धार्मिक आस्था के अधिकार पर अंकुश लगाने का प्रयास है।
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