बेलांव हत्याकांड में चारों आरोपियों को दोषमुक्त किया गया तो कोर्ट ने अपने फैसले के दौरान अभियोजन की कमजोर पैरवी पर सवाल उठाए। 23 पन्ने के फैसले में कोर्ट ने अभियोजन पक्ष के बयान से मुकर जाने को भी बड़ी वजह बताया।
बहुचर्चित बेलाव हत्याकांड में पूर्व सांसद धनंजय सिंह समेत चार आरोपियों को एमपी-एमएलए कोर्ट ने बृहस्पतिवार को बरी कर दिया। अभियोजन की कमजोर पैरवी पर कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि अब तक की सुनवाई में न तो मजबूत गवाह और न ही पर्याप्त साक्ष्य दाखिल किए गए। इसके पीछे बहुत बड़ा कारण कोर्ट के समक्ष वादी मृतक संजय के भाई राजेंद्र व संजय की पत्नी पुष्पा का भी बयान से मुकर जाना है।
गवाहों और साक्ष्यों के अभाव में कोर्ट ने फैसला सुनाया है।अपर सत्र न्यायाधीश चतुर्थ मो. शारिक सिद्दीकी की एमपी-एमएलए कोर्ट में साल 2022 में चारों आरोपियों के बयान दर्ज कराए गए थे। बयान में सभी ने खुद को निर्दोष बताया था। पूर्व सांसद धनंजय सिंह ने उन्हें राजनीतिक विद्वेष में इस मामले में फंसाए जाने की बात कही थी।
घटनाक्रम के अनुसार, एक अप्रैल 2010 को सुबह करीब 5:15 बजे बेलांव घाट बैरियर के पास टोल टैक्स के विवाद में दो भाइयों संजय निषाद और नंदलाल निषाद की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
आरोप था कि ठेकेदारी की रंजिश को लेकर इस हत्याकांड को अंजाम दिया गया। सीबीसीआईडी ने पूर्व सांसद धनंजय सिंह, आशुतोष सिंह, पुनीत सिंह व सुनीत सिंह के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी।
15 साल तक चली सुनवाई के बाद कोर्ट ने बृहस्पतिवार को चारों आरोपियों के पक्ष में 23 पन्ने का फैसला सुनाते हुए उन्हें 10 मिनट में बरी कर दिया। फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा कि केराकत के बेलांव पुल पर टोल का ठेका मृतक संजय के पिता के नाम था।
पिता अभयराज द्वारा स्पष्ट साक्ष्य ठेकेदारी के विवाद के संबंध में न्यायालय में प्रस्तुत नहीं किए गए। इसके अलावा आरोपियों का कोई विवाद ठेकेदारी के संबंध में संजय या उसके पिता अभयराज से था, इसका भी प्रमाण अभियोजन नहीं दे पाया। घटना के प्रत्यक्षदर्शी गवाह भी कोर्ट में पेश नहीं किए गए।