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VIDEO : पाटिया में आधा घंटे से अधिक चला पाषाण युद्ध, छह रणबांकुरे चोटिल; चार दलों के बीच हुई पत्थरों की बौछार
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VIDEO : पाटिया में आधा घंटे से अधिक चला पाषाण युद्ध, छह रणबांकुरे चोटिल; चार दलों के बीच हुई पत्थरों की बौछार
गोवर्धन पूजा पर ताकुला ब्लाक के पाटिया में बग्वाल (पाषाण युद्ध) खेला गया। दो खामों में बंटे रणबांकुरों ने एक दूसरे पर पत्थरों की बौछार की। करीब आधे घंटे से अधिक चली बग्वाल में छह रणबांकुरे चोटिल हो गए। पाटिया क्षेत्र में गोवर्धन पूजा के मौके पर बग्वाल खेलने की परंपरा बरसों पुरानी है। शनिवार को बग्वाल खेली गई। एक दल में कोट्यूड़ा और कसून तो दूसरे दल में पाटिया, जाखसौड़ा, भेटुली, भटगांव के रणबाकुंरे थे। परंपरा के मुताबिक पाटिया के पचघटिया में ढोल नगाड़ों की गर्जना के बीच गाय की पूजा के साथ पाषाण युद्ध का आगाज हुआ। रणबांकुरों ने चीड़ की टहनी खेत में गाढ़कर बग्वाल की अनुमति ली। बग्वाल की घोषणा के बाद दोनों खामों (दलों) के योद्धा पचघटिया नदी के आरपार एकत्र हुए, इसके बाद पाषाण युद्ध हुआ। करीब आधा घंटे से अधिक तक चली बग्वाल के दौरान आसमान में पत्थरों की बौछार हुई। दोनों तरफ से रणबाकुंरों ने एक दूसरे पर पत्थर बरसाए। बग्वाल में छह रणबांकुरे चोटिल हुए। पाटिया के देवेंद्र सिंह ने गधेरे में जाकर पानी पिया और इसी के साथ बग्वाल संपन्न हुई। युद्ध समाप्ति की घोषणा के बाद चारों खामों के रणबांकुरों ने एक दूसरे के गले मिलकर बधाई दी और अगले साल बग्वाल में फिर से मिलने का वादा कर घरों को विदा हुए। जाखसौड़ा और कोटयूड़ा की ओर से विनोद सिंह, कुंदन सिंह, भुवन चंद्र, विक्रम सिंह,भरत सिंह और पाटिया की ओर से हेम पांडे, देवेंद्र सिंह पिलख्वाल, हेमंत कुमार, पूरन पांडे, देवेंद्र बिष्ट सहित भटगांव केे रणबांकुरों ने बग्वाल खेली।
चोटिल होना शुभ मानते हैं रणबांकुरे
क्षेत्रीय लोगों का कहना है कि बग्वाल में चोटिल होना शुभ माना जाता है। बग्वाल खेलने वालेरणबांकुरों को नियमों का पालन करना पड़ता है। सच्चे मन से बग्वाल खेलने पर रणबाकुंरों की मनोकामना भी पूरी होती है।
पत्थर युद्ध के साक्षी बने प्रवासी
दिवाली पर्व मनाने घर आए प्रवासी भी पत्थर युद्ध के साक्षी बने। बग्वाल देखने काफी संख्या में प्रवासी पहुंचे थे। बच्चे युद्ध देखकर रोमांचित हुए।
कई गांवों से पहुंचे लोग
बग्वाल देखने के लिए ताकुला, खड़ाऊ, चुराड़ी, पाटिया, भटगांव, कोट्यूड़ा, कसून, भेटुली, जाखसौड़ा, मैचोर, पिल्खा, बसौली समेत कई गांवों से ग्रामीण पहुंचे थे।
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