नई गाड़ियों के मुकाबले पुरानी गाड़ियां ज्यादा खरीद रहे भारतीय
भारत में इस समय जहां नई कारों की लांचिंग की झडी लगी हुई है वहीं लोगों का रूझान लगातार पुरानी गाड़ियों की तरफ बढ़ रहा है। एक सर्वे के मुताबिक जहां जर्मनी, यूके और ब्राजील जैसे देशो में नई कारों पर पुरानी का अनुपात 2 से 3 प्रतिशत है वहीं यह रेशो भारत में 1 प्रतिशत हो गया है।
बाजार में लगातार बढ़ रहे पुरानी कार के ग्राहकों ने साल 2018 में इनकी बिक्री को 40 लाख युनिट के पार कर दिया । वहीं इसी टाइम पीरियड में नई कार की बिक्री 36 लाख यूनिट रही। नई और पुरानी कार दोनों बाजारों के बीच एक महत्वपूर्ण अंतर यह है कि पुरानी कार बाजार में सबसे तेजी से बढ़ने वाला सेगमेंट एंट्री सेगमेंट की है, जिसमें मारुति ऑल्टो ( Alto ), वैगनआर (Wagon R ), पुरानी स्विफ्ट ( Swift ) और हुंडई आई 10 ( Hyundia i10 ) की लगभग 60 फीसदी गाड़ियां हैं।
इसके विपरीत, नई कारों में सबसे तेजी से बढ़ने वाला सेगमेंट अब एंट्री-लेवल हैचबैक सेगमेंट नहीं है, बजाय इसके एंट्री-लेवल सेडान, जैसे कि मारुति सुजुकी स्विफ्ट डिजायर और मिड-लेवल हैचबैक जैसे सुजुकी स्विफ्ट और हुंडई ग्रैंड ने इसकी जगह ले ली है।
मारुति सुजुकी, टोयोटा, हुंडई और महिंद्रा एंड महिंद्रा जैसे प्रमुख वाहन निर्माता इस्तेमाल की गई कारों की बिक्री के लिए निसान और रेनो की तरह कार देखो, क्विकर जैसी वेबसाइट से जुड़ गए हैं। इसके अलावा इनमें से कुछ कंपनियां अब फाइनेंसरों के साथ टाई-अप कर रही हैं। जो इस्तेमाल की गई कारों के लिए भी लोन देते हैं। बाजार में मौजूद डीलर भी नए वाहनों पर बड़े पैमाने पर तय मार्जिन के मुकाबले पुराने वाहनों पर ज्यादा फायदा उठा लेते हैं।