{"_id":"68f5dfeda92aa827250cd18d","slug":"rebel-leaders-raise-political-tension-in-muzaffarpur-how-will-the-grand-alliance-spoil-the-bjp-s-game-2025-10-20","type":"story","status":"publish","title_hn":"Bihar Politics: मुजफ्फरपुर में बागी नेताओं ने बढ़ाई सियासी टेंशन, भाजपा और महागठबंधन दोनों की राह मुश्किल","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
Bihar Politics: मुजफ्फरपुर में बागी नेताओं ने बढ़ाई सियासी टेंशन, भाजपा और महागठबंधन दोनों की राह मुश्किल
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, मुजफ्फरपुर
Published by: तरुणेंद्र चतुर्वेदी
Updated Mon, 20 Oct 2025 12:38 PM IST
विज्ञापन
सार
बागी नेताओं के मैदान में उतरने से मुजफ्फरपुर जिले की 2025 की सियासत बेहद दिलचस्प हो गई है, जहां अब हर सीट पर मुकाबला सीधा नहीं, बल्कि त्रिकोणीय और कुछ जगहों पर चतुष्कोणीय हो चुका है।

मुजफ्फरपुर में बागी बदल रहे सियासी फिजा।
- फोटो : अमर उजाला
विज्ञापन
विस्तार
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के तहत नामांकन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और आज नाम वापसी का आखिरी दिन है। वहीं, टिकट कटने से नाराज कई दिग्गज नेताओं ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतरकर सियासी समीकरण बिगाड़ दिए हैं। मुजफ्फरपुर जिले की 11 विधानसभा सीटों में से आधा दर्जन से अधिक सीटों पर बागी नेताओं ने बीजेपी और महागठबंधन दोनों के लिए सिरदर्द बढ़ा दिया है।
इन बागियों में बीजेपी, राजद और सीपीएम के कई प्रभावशाली नेता शामिल हैं, जिनका स्थानीय स्तर पर मजबूत जनाधार और पकड़ मानी जाती है। इनके निर्दलीय रूप में चुनाव लड़ने से कई सीटों पर मुकाबला अब त्रिकोणीय होता जा रहा है।
मुख्य बागी उम्मीदवार और उनका प्रभाव
गायघाट विधानसभा सीट (88) से बीजेपी के पूर्व नेता अशोक कुमार सिंह ने जन सुराज पार्टी के टिकट पर मैदान में उतरकर मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है। औराई विधानसभा (89) से सीपीएम के पूर्व नेता और पूर्व प्रत्याशी आफताब आलम निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया है कि पार्टी ने उनका टिकट मुस्लिम समुदाय से होने के कारण काटा।
सकरा विधानसभा क्षेत्र में बीजेपी के वरिष्ठ नेता सचिन राम ने टिकट कटने के बाद निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में अपनी दावेदारी ठोकी है। सचिन राम अपने क्षेत्र में खासा प्रभाव रखते हैं। कुढ़नी विधानसभा से जदयू के प्रभावशाली नेता अबोध शाह भी पार्टी की नीतियों से असंतुष्ट होकर निर्दलीय चुनाव मैदान में उतर आए हैं और अपने पक्ष में वोट की अपील कर रहे हैं।
इन बागी नेताओं की सक्रियता से जिले के साहेबगंज और बरुराज विधानसभा क्षेत्रों में भी राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। यहां भी विभिन्न दलों के असंतुष्ट नेताओं ने निर्दलीय रूप में ताल ठोंककर एनडीए और महागठबंधन की जीत की राह मुश्किल बना दी है। सियासी विश्लेषकों का कहना है कि मुजफ्फरपुर जिले की कई सीटों पर अब बागियों की उपस्थिति वोटों का बंटवारा कर सकती है, जिससे कई दिग्गज उम्मीदवारों की स्थिति कमजोर पड़ सकती है।

Trending Videos
इन बागियों में बीजेपी, राजद और सीपीएम के कई प्रभावशाली नेता शामिल हैं, जिनका स्थानीय स्तर पर मजबूत जनाधार और पकड़ मानी जाती है। इनके निर्दलीय रूप में चुनाव लड़ने से कई सीटों पर मुकाबला अब त्रिकोणीय होता जा रहा है।
विज्ञापन
विज्ञापन
मुख्य बागी उम्मीदवार और उनका प्रभाव
गायघाट विधानसभा सीट (88) से बीजेपी के पूर्व नेता अशोक कुमार सिंह ने जन सुराज पार्टी के टिकट पर मैदान में उतरकर मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है। औराई विधानसभा (89) से सीपीएम के पूर्व नेता और पूर्व प्रत्याशी आफताब आलम निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया है कि पार्टी ने उनका टिकट मुस्लिम समुदाय से होने के कारण काटा।
सकरा विधानसभा क्षेत्र में बीजेपी के वरिष्ठ नेता सचिन राम ने टिकट कटने के बाद निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में अपनी दावेदारी ठोकी है। सचिन राम अपने क्षेत्र में खासा प्रभाव रखते हैं। कुढ़नी विधानसभा से जदयू के प्रभावशाली नेता अबोध शाह भी पार्टी की नीतियों से असंतुष्ट होकर निर्दलीय चुनाव मैदान में उतर आए हैं और अपने पक्ष में वोट की अपील कर रहे हैं।
इन बागी नेताओं की सक्रियता से जिले के साहेबगंज और बरुराज विधानसभा क्षेत्रों में भी राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। यहां भी विभिन्न दलों के असंतुष्ट नेताओं ने निर्दलीय रूप में ताल ठोंककर एनडीए और महागठबंधन की जीत की राह मुश्किल बना दी है। सियासी विश्लेषकों का कहना है कि मुजफ्फरपुर जिले की कई सीटों पर अब बागियों की उपस्थिति वोटों का बंटवारा कर सकती है, जिससे कई दिग्गज उम्मीदवारों की स्थिति कमजोर पड़ सकती है।