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Bihar: ऑपरेशन सिंदूर के शहीद मोहम्मद इम्तियाज की विरासत सलाम, बेटे मो. इमदाद रजा को मिली सरकारी नौकरी

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, छपरा Published by: आशुतोष प्रताप सिंह Updated Wed, 26 Nov 2025 02:36 PM IST
सार

सारण जिले के शहीद बीएसएफ सब इंस्पेक्टर मोहम्मद इम्तियाज़ के पुत्र मो. इमदाद रज़ा को अनुकंपा के आधार पर निम्नवर्गीय लिपिक (LDC) की सरकारी नौकरी दे दी गई। जिलाधिकारी अमन समीर ने नियुक्ति पत्र सौंपा। शहीद इम्तियाज़ ऑपरेशन सिंदूर के दौरान जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तानी गोलीबारी में वीरगति को प्राप्त हुए थे।

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शहीद इम्तियाज़ के पुत्र को मिला सरकारी पद - फोटो : अमर उजाला
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सारण जिले के गड़खा प्रखंड के नारायणपुर निवासी और ऑपरेशन सिंदूर के दौरान शहीद हुए बीएसएफ सब इंस्पेक्टर स्व. मोहम्मद इम्तियाज़ के पुत्र मो. इमदाद रज़ा को अनुकंपा के आधार पर सरकारी नौकरी प्रदान की गई है। सोमवार को जिलाधिकारी अमन समीर ने अपने कार्यालय के सभागार में मो. रज़ा को नियुक्ति पत्र सौंपा। उनकी शैक्षणिक योग्यता स्नातक के अनुरूप उन्हें निम्नवर्गीय लिपिक (LDC) के पद पर तैनाती दी गई है।

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शहादत के बाद से परिवार आर्थिक व मानसिक तौर पर कठिनाइयों का सामना कर रहा था। ऐसे में सरकार द्वारा की गई इस नियुक्ति को शहीद के परिवार और स्थानीय लोगों ने सराहा है। नियुक्ति पत्र मिलने के बाद मो. इमदाद रज़ा ने सरकार और जिलाधिकारी का आभार जताते हुए कहा कि वह अपने शहीद पिता की सेवा और त्याग को हमेशा याद रखकर ईमानदारी से अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करेंगे।

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जिलाधिकारी अमन समीर ने बताया कि अनुकंपा आधारित नियुक्ति का उद्देश्य शहीद परिवारों को सम्मान देना और शीघ्र सहायता उपलब्ध कराना है। उन्होंने बताया कि 20 नवंबर को जिला अनुकंपा चयन समिति की बैठक में आवेदन की विस्तृत समीक्षा के बाद नियुक्ति की अनुशंसा की गई। सभी दस्तावेजों के सत्यापन के बाद समिति ने मो. रज़ा को पूरी तरह योग्य पाया।

डीएम ने यह भी कहा कि जिले में अनुकंपा आधारित नियुक्ति के सभी मामलों को अब एक महीने की समय-सीमा में निष्पादित किया जाएगा, ताकि पात्र परिवारों को अनावश्यक प्रतीक्षा न करनी पड़े। इसे शहीद परिवारों के प्रति सरकार की संवेदनशीलता का उदाहरण बताया जा रहा है।

उल्लेखनीय है कि बीएसएफ सब इंस्पेक्टर मोहम्मद इम्तियाज़ मई माह में जम्मू-कश्मीर की सीमा पर पाकिस्तान की गोलीबारी में शहीद हुए थे। असाधारण पराक्रम के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें मरणोपरांत वीरचक्र से सम्मानित करने का निर्णय लिया था। अगस्त में आयोजित कार्यक्रम में शहीद की पत्नी शाहनाज अजीमा को यह सम्मान पत्र सौंपा गया था।

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