Crypto: राजनीति में बिटकॉइन से बवाल; क्या ये भारत में अवैध है? सरकार व आरबीआई का इस पर क्या रुख है, आइए जानें
Cryptocurrency Status in India: कांग्रेस के महाराष्ट्र अध्यक्ष नाना पटोले और एनसीपी (एसपी) की सुप्रिया सुले पर चुनाव प्रचार के लिए "अवैध बिटकॉइन गतिविधियों" में शामिल होने के आरोप लगा है। बिटकॉइन सबसे अधिक मान्यता प्राप्त क्रिप्टोकरेंसी का नाम है, जिसे ब्लॉकचेन तकनीक का इस्तेमाल कर तैयार किया गया है। आइए जानते हैं बिटकॉइन पर भारत सरकार और आरबीआई का क्या रुख है।


विस्तार
कांग्रेस के महाराष्ट्र अध्यक्ष नाना पटोले और एनसीपी (एसपी) की सुप्रिया सुले पर चुनाव प्रचार के लिए "अवैध बिटकॉइन गतिविधियों" में शामिल होने के आरोप लगा है। इसके बाद बिटकॉइन और क्रिप्टोकरेंसी फिर से चर्चा में हैं। आइये जानते हैं कि क्रिप्टोकरेंसी/बिटकॉइन क्या हैं और साथ ही यह भी समझते हैं कि यह भारत में वैध है या नहीं।
क्रिप्टोकरेंसी क्या है?
क्रिप्टोकरेंसी एक डिजिटल या वर्चुअल करेंसी है जिसे क्रिप्टोग्राफी के जरिए सुरक्षित किया जाता है। इसका नकल तैयार करना या दोबारा खर्च करना लगभग असंभव है। क्रिप्टोकरेंसी ब्लॉकचेन तकनीक का उपयोग करके एक विकेंद्रीकृत कंप्यूटर नेटवर्क पर मौजूद होते हैं।
बिटक्वाइन क्या है?
बिटक्वाइन सबसे अधिक मान्यता प्राप्त क्रिप्टोकरेंसी का नाम है, जिसे ब्लॉकचेन तकनीक का इस्तेमाल कर तैयार किया गया है। क्रिप्टोकरेंसी का कोई आंतरिक मूल्य नहीं होता है और इसे सोने जैसी किसी अन्य वस्तु के बदले में भुनाया नहीं जा सकता है। इसका कोई भौतिक रूप भी नहीं है और यह केवल कंप्यूटर नेटवर्क पर ही मौजूद है। इसकी आपूर्ति एक स्वतंत्र प्रोटोकॉल की ओर से निर्धारित होती है, किसी केंद्रीय बैंक की ओर से नहीं।
क्रिप्टोकरेंसी या बिटकॉइन पर भारत में क्या है कानूनी स्थिति?
भारत क्रिप्टोकरेंसी के नियमन के लिए एक रूपरेखा तैयार कर रहा है, लेकिन जब तक यह लागू नहीं हो जाता, तब तक हमारे देश में क्रिप्टो पूरी तरह वैध नहीं है। 2022 में, सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी से होने वाले लाभ पर 30 प्रतिशत का फ्लैट टैक्स लगाने की घोषणा की। क्रिप्टोकरेंसी से होने वाली आय पर टैक्स लगाने से क्रिप्टोकरेंसी को अनिवार्य रूप से और स्पष्ट रूप से वैध नहीं बनाया जा सकता है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) भी निजी क्रिप्टो परिसंपत्तियों के उपयोग के मसले पर संशय में है और इसे देश की व्यापक आर्थिक और वित्तीय स्थिरता के लिए एक बड़ा खतरा मानता है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बार-बार कहा है कि निजी संस्थाओं की ओर से जारी क्रिप्टोकरेंसी मुद्रा नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि जब भारतीय रिजर्व बैंक डिजिटल मुद्रा जारी करेगा, तब वह मुद्रा होगी।
क्रिप्टोकरेंसी पर सरकार का क्या रुख है?
पिछले एक दशक में निजी डिजिटल मुद्राओं/आभासी मुद्राओं/क्रिप्टो मुद्राओं ने खासी लोकप्रियता हासिल की है। विनियामक और सरकारें इन मुद्राओं को लेकर संशय में हैं और इनसे जुड़े जोखिमों को लेकर आशंकित हैं। उल्लेखनीय है कि 4 मार्च, 2021 को सर्वोच्च न्यायालय ने आरबीआई के 6 अप्रैल, 2018 के उस परिपत्र को रद्द कर दिया था, जिसमें बैंकों और उसकी ओर से विनियमित संस्थाओं को आभासी मुद्राओं जुड़ी सेवाएं प्रदान करने से रोक दिया गया था। वर्तमान में, भारत में क्रिप्टो संपत्तियां अनियमित हैं। यहां क्रिप्टोकरेंसी को एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग कानून के नजरिए से विनियमित किया जाता है। इसके अलावा, ऐसी वर्चुअल डिजिटल संपत्तियों में ट्रेडिंग से होने वाली आय पर आयकर और टीडीएस लगाया जाता है। साथ ही, क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंजों पर जीएसटी लगाया जाता है। पिछले साल जुलाई में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि क्रिप्टोकरेंसी पर किसी भी प्रभावी विनियमन या प्रतिबंध के लिए "अंतरराष्ट्रीय सहयोग" की आवश्यकता होगी।
क्रिप्टोकरेंसी पर आरबीआई का क्या रुख है?
भारतीय रिजर्व बैंक ने पहले क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव रखा था जिसे न्यायालय के आदेश के बाद खारिज कर दिया गया था। आरबीआई क्रिप्टोकरेंसी को वित्तीय स्थिरता और मौद्रिक स्थिरता के लिए बहुत बड़ा जोखिम मानता है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने पिछले महीने कहा था कि ऐसी आभासी संपत्तियां ऐसी स्थिति पैदा कर सकती हैं जहां केंद्रीय बैंक अर्थव्यवस्था में मुद्रा आपूर्ति पर नियंत्रण खो सकता है।आरबीआई ने सिफारिश की है कि क्रिप्टो परिसंपत्तियों पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। क्रिप्टो परिसंपत्तियां परिभाषा के अनुसार सीमाहीन हैं। ऐसे में, विनियामक मध्यस्थता को रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता है। इसलिए, विनियमन या प्रतिबंध के लिए कोई भी कानून केवल जोखिमों और लाभों के मूल्यांकन और सामान्य वर्गीकरण और मानकों के मसले पर अंतरराष्ट्रीय सहयोग के साथ ही प्रभावी हो सकता है।
फिलहाल क्रिप्टो के नियमन के लिए सरकार क्या कर रही है?
वर्तमान में, आरबीआई, सेबी और वित्त मंत्रालय के अधिकारियों वाला एक अंतर-मंत्रालयी समूह (आईएमजी) क्रिप्टोकरेंसी के लिए एक व्यापक नीति पर विचार कर रहा है। आईएमजी की प्रस्ताव का फिलहाल इंतजार है, जो हितधारकों को क्रिप्टो मुद्राओं पर भारत के नीतिगत रुख पर फैसला लेने से पहले अपने विचार रखने का अवसर देगा।