भारत-ऑस्ट्रेलिया सीरीज : क्या विराट कोहली और रोहित शर्मा के संन्यास का समय आ गया है?
टीम इंडिया न केवल ऑस्ट्रेलिया में मेजबानों से बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी दस साल बाद हारी, बल्कि वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल की रेस से भी बाहर हो गई है। घर में न्यूजीलैंड से हारकर आई टीम इंडिया के लिए ऑस्ट्रेलिया दौरा बुरे सपने जैसा रहा।
विस्तार
सिडनी टेस्ट मैच में टीम इंडिया के आत्मसर्मपण ने एक बार फिर नामचीन खिलाड़ियों पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर दिया है। टीम इंडिया न केवल ऑस्ट्रेलिया में मेजबानों से बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी दस साल बाद हारी, बल्कि वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल की रेस से भी बाहर हो गई है। घर में न्यूजीलैंड से हारकर आई टीम इंडिया के लिए ऑस्ट्रेलिया दौरा बुरे सपने जैसा है।
सिडनी टेस्ट में एक कमाल यह भी हुआ कि कप्तान रोहित शर्मा को ही बाहर बैठना पड़ गया। यह कैसा प्रयोग था? जो किसी को समझ नहीं आया। कई पूर्व खिलाड़ियों ने इसकी घोर आलोचना की है। विराट कोहली, रोहित शर्मा, के.एल. राहुल जैसे वरिष्ठ खिलाड़ी सीरीज में बेहद नाकाम साबित हुए हैं। टीम इंडिया की बल्लेबाजी की जो दुर्गति ऑस्ट्रेलिया में हुई है, वो आज के दौर में अकल्पनीय है।
विराट-रोहित का प्रदर्शन निराशाजनक
शुरुआत विराट कोहली के प्रदर्शन से करते हैं। टेस्ट सीरीज का पहला टेस्ट, जो पर्थ में खेला गया था, केवल उसमें विराट ने एक पारी में नाबाद शतक लगाया था। उसके बाद चार मैचों में उनका प्रदर्शन बेहद खराब रहा। पर्थ के बाद विराट ने सात और परियों में बल्लेबाजी की, जिसमें केवल दो बार में दोहाई के आंकड़े तक पहुंचे। इन सात पारियों में उनका अधिकतम स्कोर 36 रन था। जब भी टीम इंडिया को विराट कोहली से अच्छी बल्लेबाजी की उम्मीद जागी, विराट विकेट गंवाकर पैवेलियन लौट आए।
कप्तान रोहित शर्मा पर्थ टेस्ट में पारिवारिक कारणों से नहीं खेल सके थे। शेष चार में से तीन टेस्ट मैचों में रोहित ने कप्तानी की। इनमें उनका अधिकतम स्कोर 10 रन रहा। रोहित के बल्ले से न चौके निकले और न ही छक्के। उनकी कप्तानी में तीनों ही मैचों में भारत को निराशा मिली। इंतहां तो तब हो गई, जब सिडनी टेस्ट में रोहित को टीम से बाहर कर बैंच पर बैठा दिया गया, जिसकी क्रिकेट जगत में आलोचना हो रही है। एक नया विवाद ही खड़ा हो गया। हालांकि, रोहित ने सफाई दी कि यह उनका निर्णय था, लेकिन संभवतः उनकी खराब बल्लेबाजी को लेकर बीसीसीआई ने यह कदम उठाया है।
एक और खिलाड़ी है, जिनके कारण टीम इंडिया को सीरीज में नुकसान उठाना पड़ा, वो विकेटकीपर बल्लेबाज ऋषभ पंत है। ऋषभ टेस्ट मैच को टेस्ट की तरह न खेलकर टी-20 समझते हैं। उनके खराब शॉट सिलेक्शन से टीम को नुकसान हुआ है। पांच मैचों में केवल सिडनी में उनका प्रदर्शन थोड़ा बहुत ठीक रहा, जिसमें उन्होंने एक पारी में 40 और एक में 61 रन बनाए। बाकी चारों मैच में वो एक बेहद अनुभवहीन खिलाड़ी लगे।
धैर्य की कमी पंत में साफ नजर आई। बीसीसीआई को टेस्ट क्रिकेट के लिए जल्द नया विकेटकीपर ढूंढना चाहिए। पंत को टी-20 मैचों में मौका दिया जाता रहे, वही बेहतर होगा।
खुद को साबित नहीं कर पाए कई खिलाड़ी
के.एल. राहुल ने भी पर्थ और ब्रिस्बेन में थोड़े रन बनाए, लेकिन बाकी मैचों में उनका प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा। केएल राहुल को परी की शुरुआत का मौका दिया गया, लेकिन वो खुद को साबित नहीं कर पाए। टीम में अंदर और बाहर हो रहे केएल राहुल के लिए यह सीरीज झटका देने वाली साबित हो सकती है। शुभमन गिल हो या नीतीश कुमार रेड्डी, यह भी एक-दो मैचों को छोड़कर बहुत अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाए। कुल मिलाकर भारतीय बल्लेबाजों की ऑस्ट्रेलिया में पोल खुल गई।
विराट और रोहित टी-20 इंटरनेशनल से संन्यास ले चुके हैं। दोनों अब केवल वनडे और टेस्ट खेल रहे हैं, लेकिन जिस तरह का परफॉर्मेंस उन्होंने ऑस्ट्रेलिया में दिया है, उससे लग रहा है कि बीसीसीआई को एक सख्त निर्णय लेने की जरूरत है। समय आ गया है कि युवाओं को आगे मौका दिया जाए। एक नई टीम का गठन बीसीसीआई जल्द करे।
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