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क्या भारत में भी हो सकती है बांग्लादेश जैसी स्थिति? आखिर क्या है उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के बयान के मायने

Vinod Patahk विनोद पाठक
Updated Mon, 12 Aug 2024 03:59 PM IST
सार

देश में सबकुछ सामान्य रूप से चल रहा है, इसमें कोई भी दो राय नहीं है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में बीच-बीच में विपक्ष की ओर से ऐसे तत्वों को जरूर हवा दी जा रही है, जिन्हें लेकर चिंता उभरती है। वर्ष 2019 में जब नागरिक संशोधन कानून (सीएए) बना तो दिल्ली के शाहीन बाग में बड़ी संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोग सड़क रोककर बैठ गए थे।

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Can a situation like Bangladesh happen in India also What is the meaning of VP Jagdeep Dhankhar statement
राज्यसभा में बोलते उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़। - फोटो : पीटीआई
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विस्तार
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देश के उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने जोधपुर हाईकोर्ट में जजों और वकीलों के बीच में जब यह कहा कि देश में कुछ लोग साजिश के तहत एक नैरेटिव चला रहे हैं कि पड़ोसी देश बांग्लादेश में जो घटनाक्रम हुआ है, वैसा ही भारत में घटित हो सकता है। धनखड़ ने आगाह किया कि ऐसे लोगों से सावधान रहने की जरूरत है।

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दरअसल, उनका इशारा पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद की ओर था, जिन्होंने एक बयान दिया कि ऊपर सब सामान दिख सकता है, लेकिन बांग्लादेश जैसी घटना भारत में हो सकती है। कुछ अन्य विपक्षी नेता भी ऐसे विचार व्यक्त कर चुके हैं। उप राष्ट्रपति जैसे उच्च पद पर बैठे व्यक्ति का इस गंभीर विषय पर बोलना और चिंता जताना वाकई गंभीर विषय है।
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देश में सबकुछ सामान्य रूप से चल रहा है, इसमें कोई भी दो राय नहीं है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में बीच-बीच में विपक्ष की ओर से ऐसे तत्वों को जरूर हवा दी जा रही है, जिन्हें लेकर चिंता उभरती है। वर्ष 2019 में जब नागरिक संशोधन कानून (सीएए) बना तो दिल्ली के शाहीन बाग में बड़ी संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोग सड़क रोककर बैठ गए थे। देश के अन्य हिस्सों में भी कई शाहीन बाग खड़े किए गए, जबकि केंद्र सरकार ने पूरी तरह स्पष्ट किया था कि सीएए कानून भारत के किसी नागरिक को प्रभावित नहीं करता है।

किसी भारतीय की नागरिकता नहीं जा रही थी। इस आंदोलन को विपक्ष की तरफ से खूब हवा दी गई। उस समय तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जब भारत में थे तो दिल्ली के कुछ इलाकों में दंगा तक भड़क गया था, जिसमें कई लोगों की जान गई। देशद्रोह की धाराओं में कई लोग आज भी जेल में बंद हैं। उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का इशारा ऐसे ही लोगों की ओर है।

नरेंद्र मोदी सरकार अपने दूसरे कार्यकाल में कृषि सुधारों को लेकर तीन कृषि कानून लेकर आई थी, जिसे लेकर देश के कुछ भागों में किसानों का आंदोलन खड़ा किया गया। खासकर पंजाब के किसान दिल्ली बॉर्डर पर आकर बैठ गए। सालभर दिल्ली के आसपास कई डेरे डाले रखे। दिल्ली में लाल किले के भीतर तक उपद्रवी पहुंच गए थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि कानून वापस ले लिए थे, लेकिन आज भी पंजाब में किसान किसी न किसी मुद्दे को लेकर कभी रेल तो कभी हाईवे रोक देते हैं, कभी टोल व्यवस्था को ध्वस्त कर देते हैं। पंजाब में सबकुछ ठीक चल रहा है, यह कहना मुश्किल है।

लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति यह है कि पंजाब में चल रहे रोड प्रोजेक्ट्स को लेकर केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने मुख्यमंत्री भगवंत मान को चिट्ठी लिखकर स्पष्ट कह दिया है कि यदि नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) अधिकारियों और ठेकेदारों को सुरक्षा नहीं दी गई तो 14,288 करोड़ रुपए के 293 किलोमीटर के रोड प्रोजेक्ट को बंद करना पड़ेगा।  मणिपुर में हाईकोर्ट के एक फैसले के कारण दो समुदायों के बीच में उपद्रव आज तक थमा नहीं है, जबकि सरकार और कोर्ट इस मुद्दे को लेकर स्थिति स्पष्ट कर चुका है। 

सत्ता पक्ष लंबे अरसे से देश में विदेशी शक्तियों की दखलांदाजी की बात को उठाता आ रहा है। हिंडनबर्ग हो या जॉर्ज सोरोस या अन्य विदेशी संस्थाएं, एक नैरेटिव जरूर देश में खड़ा करने का प्रयास हो रहा है। भले संविधान बदलने या आरक्षण खत्म करने की बात हो, जिस पर वर्ष 2024 का लोकसभा चुनाव विपक्ष ने लड़ा था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं इन मुद्दों पर स्थिति साफ की, लेकिन एक फेक नैरेटिव जरूर खड़ा करने की पूरी कोशिश विपक्ष की ओर से आज भी जा रही है।

सुप्रीम कोर्ट का अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति में वर्गीकरण का निर्णय आने के बाद एक बार आंदोलन की सुगबुगाहट होने पर केंद्र सरकार ने स्पष्ट कर दिया कि यह निर्णय लागू नहीं होगा, लेकिन जो विपक्षी पार्टियों चुनाव में आरक्षण का मुद्दा उठा रही थीं, उनकी ओर से इस मुद्दे पर मौन धारण किया जा रहा है।

बांग्लादेश की स्थिति पर लौटते हैं। बांग्लादेश में जो हुआ, उसका प्रभाव भारत पर सुरक्षा, सामाजिक और आर्थिक रूप से पड़ेगा, यह बिल्कुल स्पष्ट है। बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना इनदिनों भारत में शरण लिए हुए हैं। बांग्लादेश में शेख हसीना को हटाने के लिए जो उपद्रव और हिंसा मची, उसे दुनिया देख रही है।

जिस तरह से हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर हमले हो रहे हैं। उनके धर्मस्थलों को तोड़ा जा रहा है। इस बात की चिंता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जताई है। दुनिया के कई देशों में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर हमलों के विरोध में प्रदर्शन हो रहे हैं, लेकिन भारतीय विपक्ष की ओर से इस मुद्दे पर बिल्कुल सन्नाटा है।

बांग्लादेश की सीमा से लगे पश्चिम बंगाल राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मौन साधा हुआ है। शुरुआत में जरूर उन्होंने कहा कि वो भारत सरकार के फैसलों के साथ हैं, लेकिन विपक्षी नेताओं के साथ ममता भी बांग्लादेश पर चुप हैं, लेकिन फिलीस्तीन के मुद्दे पर यही विपक्ष हाय-तौबा मचा रहा है। विपक्ष के एक नेता तो 'जय फिलीस्तीन' का नारा लोकसभा में लगा चुके हैं।

उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ जो इशारा कर रहे हैं, उसे हल्के में लेकर हवा में नहीं उड़ाया जा सकता। कहीं न कहीं यह दिख रहा है कि देश की संवैधानिक संस्थाओं पर चोट पहुंचाने की कोशिशें जारी हैं। राज्यसभा में सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रहा है। ऐसा हुआ तो यह संसदीय इतिहास में पहली बार होगा। उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ राष्ट्र के विकास और लोकतंत्र को पटरी से उतारने के लिए मनगढ़ंत नैरेटिव चलाने की ओर इशारा कर रहे हैं।

हर भारतीय को अति सतर्क रहने की आवश्यकता है। जाति, धर्म, संविधान, आरक्षण जैसे संवेदनशील मुद्दों की सच्चाई को समझने और विवेक से सोचने की जरूरत है। किसी भी फेक नैरेटिव में बचना जरूरी हो गया है। ऐसा न हो कि हम राष्ट्रहित को दरकिनार कर दें, जैसा कुछ विदेशी ताकतें चाहती हैं। भारत के पड़ोसी देश आंतरिक समस्याओं से जूझ रहे हैं। उनकी आंच से बचकर हमें आगे विकास के पथ पर बढ़ते रहने की जरूरत है।

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): यह लेखक के निजी विचार हैं। आलेख में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए अमर उजाला उत्तरदायी नहीं है। अपने विचार हमें blog@auw.co.in पर भेज सकते हैं। लेख के साथ संक्षिप्त परिचय और फोटो भी संलग्न करें।

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