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जीवन धारा: जीवन की हर परिस्थिति एक दर्पण है, आत्मा के संकेत समझकर...

हरमन हेस्से Published by: लव गौर Updated Mon, 01 Dec 2025 06:51 AM IST
सार
जब तक इन्सान परिस्थितियों को भार मानता है, वे उसे दबाती रहती हैं, लेकिन जैसे ही वह उन्हें अपनी आत्मा के संकेत समझकर स्वीकार करता है, वैसे ही कठिनाइयों का कठोर कवच टूटने लगता है ।
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As long as person considers circumstances in life as a burden they continue to oppress him
जीवन धारा - फोटो : अमर उजाला प्रिंट

विस्तार
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जीवन में जो सुख या विषाद हमारे रास्ते में आते हैं, वे महज घटनाएं नहीं हैं, बल्कि वे हमारी आत्मा की ऋतुओं की भांति हैं, जो भीतर किसी अनकहे रहस्य, किसी अदृश्य पुकार को जन्म देती हैं। हर अनुभव एक मौन संदेशवाहक है, जो हमें आत्मा की उस पगडंडी पर ले जाता है, जहां हमारा वास्तविक पथ जन्म लेता है। जब तक इन्सान परिस्थितियों को भार मानता है, वे उसे दबाती रहती हैं, लेकिन जैसे ही वह उन्हें अपनी आत्मा के संकेत समझकर स्वीकार करता है, वैसे ही कठिनाइयों का कठोर कवच टूटने लगता है और भीतर छिपा प्रकाश प्रकट होने लगता है। यह वही प्रकाश है, जो हमें जगाता है, बदलता है, और हमें हमारे असली स्वरूप की ओर लौटाता है।


संसार हमें भ्रमित नहीं करता, वरन यह तो हमारे भीतर बोए गए दृष्टिकोणों के अनुसार ही अपने रूप बदल-बदलकर आता है। कभी वह पर्वत बनकर हमारी शक्ति को परखता है, तो कभी शांत झील बनकर हमारी गहराई को। सौभाग्य विनम्रता सिखाता है, विपत्ति जागृति का दीप जलाती है। दोनों ही शिक्षक हैं, और दोनों ही हमारे अंतर्मन की सीढ़ियों को तराशते हैं। मन जितना बाहरी वस्तुओं से चिपकता है, उतना ही वह भय और अस्थिरता से भर जाता है। पर जैसे ही वह अपने भीतर के स्रोत-उस शांत, अडिग, अनंत केंद्र-से जुड़ना सीख जाता है, वैसे ही जीवन की अनिश्चितताओं के बीच भी स्थिरता का वृक्ष बन जाता है, जिसकी जड़ें आंधियों से नहीं डिगतीं। अंधकार संसार का नहीं, बल्कि हमारे भीतर की अचेतना का होता है। जैसे ही हम भीतर की ज्योति को खोजने लगते हैं, वैसे ही परिस्थितियां कठोर से कठोर क्यों न हों, वे हमें विखंडित नहीं कर पातीं। सौभाग्य यह नहीं कि मार्ग पर कांटे न हों, बल्कि यह है कि फूल की तरह अनुभव करने का साहस हो, क्योंकि यही वह शक्ति है, जो पीड़ा को वरदान में बदल देती है।


दुख को दूर धकेलना हमें कभी मुक्त नहीं करता, पर जब हम दुख की आवाज सुनते हैं, तब पता चलता है कि वह शत्रु नहीं, बल्कि एक मार्गदर्शक है। वह हमें हमारी गहराई, करुणा और दृढ़ता से परिचित कराता है। जो कुछ भी हमारे जीवन में आता है, वह संयोग नहीं होता, बल्कि वह हमारी आत्मा की आवश्यकता के अनुरूप अनुभव होता है, और उन्हें अपनाकर ही हम खुद को पहचानना सीखते हैं। बाहरी दुनिया निरंतर बदलती रहती है, पर आत्मा की दुनिया एक शांत झील की तरह स्थिर रहती है।

जब हमारा संबंध उस स्थिर केंद्र से बन जाता है, तब कोई तूफान हमें डिगा नहीं सकता। जीवन की हर परिस्थिति एक दर्पण है, जो हमें हमारे भीतर छिपे भय, इच्छाओं और संभावनाओं का प्रतिबिंब दिखाती है। और जब हम समझ लेते हैं कि प्रत्येक घटना हमारी आत्मा का संदेश है, तब जीवन संघर्ष नहीं रह जाता, वह एक सतत साधना, एक यात्रा, एक आंतरिक जागरण बन जाता है, जो हमें और अधिक पूर्ण, और अधिक मानवीय, और अधिक प्रकाशित बनाता है।

सूत्र: सकारात्मक नजरिया अपनाएं
इन्सान के जीवन में समस्याएं आती हैं, अधिकांश लोग उन समस्याओं में उलझकर रह जाते हैं। हम सभी सकारात्मक नजरिये से सुंदरता बिखेर सकते हैं। भले ही कठिनाइयां आ भी जाएं, तो उन्हें हल करके आगे बढ़ने का साहस दृष्टिकोण ही देता है। हम परिस्थितियों के अधीन न होकर अपने भीतर की सामर्थ्य से उसे नया अर्थ देते हैं।
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