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रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का भारत दौरा... उम्मीदों की मुलाकात

अमर उजाला Published by: लव गौर Updated Mon, 01 Dec 2025 06:33 AM IST
सार
ऐसे वक्त में, जब विश्व बहुध्रुवीय व्यवस्था की ओर अग्रसर है, उम्मीद की जानी चाहिए कि रूसी राष्ट्रपति पुतिन की इस हफ्ते होने वाली भारत यात्रा न केवल द्विपक्षीय आर्थिक, रक्षा व सामरिक हितों को मजबूत करेगी, बल्कि वैश्विक शांति व स्थिरता का एक वैकल्पिक मॉडल भी प्रस्तुत करेगी।
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Russian President Vladimir Putin's visit to India this week is significant
पुतिन से मिलते पीएम मोदी - फोटो : एएनआई

विस्तार
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रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का इस हफ्ते होने वाला भारत दौरा सिर्फ इसलिए महत्वपूर्ण नहीं है, कि करीब चार साल बाद यह यात्रा हो रही है, बल्कि इसलिए भी है कि लंबे समय से चले आ रहे वैश्विक संघर्षों और अमेरिकी टैरिफ के दबाव से खंडित हो रही वैश्विक भू-राजनीति में यह एक स्वतंत्र और संतुलित विदेश नीति के पक्ष में दोनों देशों के रणनीतिक सहयोग को पुन: संकल्पित करने की दिशा में एक अहम मोड़ हो सकता है।


उल्लेखनीय है कि रूस-यूक्रेन युद्ध की शुरुआत से पहले दोनों देशों के शीर्ष नेताओं के वार्षिक सम्मेलन हुआ करते थे, लेकिन कथित तौर पर राष्ट्रपति पुतिन द्वारा यूक्रेन युद्ध में परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की धमकी के बाद से ये बैठकें बंद हो गईं। भारत और रूस के संबंध काफी पुराने हैं, जो शीत युद्ध के समय से ही चले आ रहे हैं। भारत रूसी हथियारों के सबसे बड़े खरीदारों में से एक है और नहीं भूला जाना चाहिए कि रूसी एस-400 एयर डिफेंस प्रणाली ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत के लिए कितनी उपयोगी रही थी।


उम्मीद है कि दोनों नेताओं की ताजा मुलाकात में भी एस-400 की खरीद, इनकी प्राप्ति में देरी और सुखोई-57 की खरीद के मुद्दों पर बात होगी। इसके अतिरिक्त, दोनों देशों के बीच ऊर्जा सुरक्षा भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। नहीं भूला जाना चाहिए कि यूक्रेन युद्ध के बाद से रूस ने भारत को सस्ते तेल की आपूर्ति बढ़ाई, जिससे हमारी अर्थव्यवस्था को राहत मिली। भारत के कुल तेल आयात का 35 फीसदी रूस से होता है, लेकिन दो बड़ी रूसी तेल कंपनियों पर अमेरिकी प्रतिबंधों ने भारत को भी इस खरीद में कमी लाने पर मजबूर किया है। लिहाजा ऊर्जा व्यापार के लिए एक स्थायी व स्थिर तंत्र को कायम करना भी इस मुलाकात में चर्चा का विषय हो सकता है, जिस पर अमेरिका की भी नजर होगी।

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा रूस-यूक्रेन शांति समझौते का जो प्रस्ताव दिया गया है, उसका झुकाव रूस की ओर होने के बावजूद दोनों देशों के संबंधों में भरोसे का तत्व कम ही दिखता है। दूसरी तरफ, भारत ने बदलती वैश्विक परिस्थितियों में समायोजित होने के लिए राष्ट्रीय हितों व जरूरतों को वैश्विक साझेदारियों का आधार बनाया है। रूस के साथ तो भारत के रिश्ते हमेशा से ही अच्छे रहे हैं, लेकिन वह राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के आधार पर अमेरिका और चीन को भी संतुलित किए हुए है। बहरहाल, ऐसे वक्त में, जब विश्व बहुध्रुवीय व्यवस्था की ओर अग्रसर है, भारत का रूस के साथ गहरा सहयोग न केवल आर्थिक, रक्षा व सामरिक हितों को मजबूत करेगा, बल्कि इसके साथ ही वैश्विक शांति व स्थिरता का एक वैकल्पिक मॉडल भी प्रस्तुत करेगा।
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