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दक्षिण अफ्रीकी टीम का सम्मान कब: क्रिकेट के 'बिग थ्री' और भारतीय टीम के लिए एक सलाह

Ramchandra Guha रामचंद्र गुहा
Updated Sun, 30 Nov 2025 07:02 AM IST
सार
दक्षिण अफ्रीका की क्रिकेट टीम अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद के भेदभाव का शिकार रही है। लेकिन टीम के हालिया प्रदर्शन से यह बात जाहिर होती है कि अब वह समय गया है, जब उसे अधिक सम्मान दिया जाए।
 
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South Africa cricket team is victim of discrimination by International Cricket Council
दक्षिण अफ्रीका की टीम - फोटो : ANI

विस्तार
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अब तक मैंने खेल पर जितनी भी अच्छी किताबें पढ़ी हैं, उनमें से एक है जॉन कॉर्लिन की ‘प्लेइंग द एनिमी’। इस किताब में 1995 में हुए रग्बी विश्व कप के मेजबान दक्षिण अफ्रीका के चैंपियन बनने का सफर दर्ज है। रग्बी को कभी श्वेत अफ्रीकियों का खेल माना जाता था। वही लोग, जिन्होंने अफ्रीका में रंगभेद की व्यवस्था खड़ी की। बावजूद इसके नेल्सन मंडेला, रग्बी के प्रशंसक थे। कॉर्लिन किताब में रेखांकित करते हैं कि किस तरह अफ्रीकी नेताओं ने नेल्सन मंडेला को जेल में रखा। फिर भी वह धीरे-धीरे इस खेल को पसंद करने लगे और इसके तकनीकी पहलुओं पर प्रशंसकों से बात किया करते थे। जेल से बाहर आने के बाद वे दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति बने और उसी रग्बी टीम के अनौपचारिक प्रतीक बन गए। टीम के कप्तान फ्रांस्वा पिएनार के साथ उनकी दोस्ती हो गई।


कॉर्लिन की किताब (जिस पर इन्विक्टस फिल्म बनी और मॉर्गन फ्रीमैन ने नेल्सन मंडेला का किरदार निभाया था) में रग्बी को सामाजिक और राजनीतिक नजरिये से पेश किया गया है। बताया गया है कि किस तरह एक-दूसरे के विरोधी रहे नस्ल समूह एक साथ हुए और एक दूरदर्शी अश्वेत राजनेता को स्वीकार किया। इस साल के शुरू में मुझे यह पुस्तक तब याद आई, जब दक्षिण अफ्रीका की क्रिकेट टीम ने लॉर्ड्स के मैदान पर ऑस्ट्रेलिया को हराकर वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप (डब्ल्यूटीसी) अपने नाम की। यह जीत 1995 में जीते गए विश्व रग्बी कप की तरह भले ही न हो, क्योंकि वह जीत रंगभेद के अंत के फौरन बाद हुई थी और करिश्माई विश्व नेता नेल्सन मंडेला की मौजूदगी में हुई थी। फिर भी क्रिकेट प्रेमियों के लिए इसमें एक परिकथा जैसी गूंज थी।


क्रिकेट के ‘बिग थ्री’ ऑस्ट्रेलिया, भारत और इंग्लैंड, दक्षिण अफ्रीका के साथ लंबे समय से अनुचित व्यवहार करते आए हैं। दक्षिण अफ्रीका को दो या तीन मैच से अधिक की टेस्ट सीरीज नहीं दी जाती और वह सम्मान भी नहीं मिलता, जिसका वह हकदार है। इसलिए उसका ऑस्ट्रेलिया को हराकर विश्व चैंपियन बनना मेरे लिए एक रोमांचकारी घटना है। सबसे सुखद दक्षिण अफ्रीका की टीम को अश्वेत कप्तान तेम्बा बावुमा के शानदार नेतृत्व में खेलते हुए देखना है, जिन्होंने अलग-अलग नस्ल पृष्ठभूमि वाले खिलाड़ियों की एक मजबूत टीम बनाई। मैच की निर्णायक चौथी पारी में उनकी बल्लेबाजी शानदार रही।

मैंने डब्ल्यूटीसी का वह पूरा फाइनल मैच टीवी पर देखा था, क्योंकि टेस्ट क्रिकेट और दक्षिण अफ्रीका के जटिल इतिहास में मेरी रुचि रही है। एडेन मार्करम और तेंबा बावुमा ने सफलतापूवर्क रनों का पीछा किया। उसके बाद मैंने खाना खाया और सुखद अनुभूति के साथ सोने चला गया। सुबह फोन पर खबर देखकर वह सुखद अहसास काफूर हो गया। डब्ल्यूटीसी फाइनल के नाम पर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने एक वीडियो जारी किया था, जिसके केंद्र में बावुमा और उनकी टीम की जगह जय शाह थे। मुझे अजीब लगा।

इस तरह बावूमा, मार्करम, रबाडा, महाराज और दक्षिण अफ्रीकी टीम के अन्य सदस्यों के विजय क्षण प्रचार में स्वाहा हो गए। इस हरकत का खूब मजाक उड़ा। भारतीय क्रिकेट प्रशासक दक्षिण अफ्रीका के क्रिकेटरों को नजरअंदाज करते आए हैं। 2012 में भारत को दक्षिण अफ्रीका में तीन टेस्ट मैच की सीरीज खेलनी थी। मैच तीन से घटाकर दो इसलिए कर दिए गए, क्योंकि वेस्टइंडीज के साथ सीरीज खेली जा सके और सचिन तेंदुलकर अपना 200वां टेस्ट मैच मुंबई में खेल सकें। इसी क्रम में 2025 के आखिर में बीसीसीआई ने दक्षिण अफ्रीका को दो मैच की टेस्ट सीरीज दी। अगर यह मान लिया जाए कि इस सीरीज का शेड्यूल डब्ल्यूटीसी जीत से पहले तय हो गया था, फिर भी उनके साथ दूसरे दर्जे का व्यवहार करने से इनकार नहीं किया जा सकता। बीसीसीआई दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेटरों को इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के खिलाड़ियों की तुलना में कम योग्य मानता है। ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड की टीम को पांच मैच की टेस्ट सीरीज दी जाती है।

बावुमा की टीम दो टेस्ट मैच की सीरीज मिलने पर अपना घमंड एक तरफ रखकर भारत के दौरे पर आई और विजेता बनी। कोलकाता की जिस पिच को भारतीय स्पिनरों की मदद के लिए तैयार किया गया था, उस पर दक्षिण अफ्रीका के खिलाड़ी मेजबान से कहीं बेहतर खेले, बावजूद इसके कि परिस्थितयां उनके विपरीत थीं। कप्तान बावुमा ने अपना श्रेष्ठ प्रदर्शन किया। उनकी कप्तानी में संतुलन, समझदारी दिखी। तीसरी पारी में शानदार बैटिंग और चौथी पारी में उन्होंने मैच विनिंग कैच भी पकड़ा। दूसरे टेस्ट मैच में मार्को यानसन के ऑलराउंड प्रदर्शन ने भारतीय टीम को हारने पर मजबूर कर दिया।

1995 का वर्ष दक्षिण अफ्रीका के लिए रग्बी में स्वर्णिम था और 2025 का साल अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में यादगार रहेगा। क्रिकेट में पांच दिन का टेस्ट मैच सबसे कठिन प्रारूप माना जाता है और इसमें विश्व चैंपियन बनना, टी-20 या वनडे वर्ल्ड कप जीतने से भी बड़ी उपलब्धि है। टेस्ट में विश्व चैंपियन बनने के बाद दक्षिण अफ्रीका की टीम भारत आई, जहां क्रिकेट और क्रिकेटर बाकी दुनिया के देशों से ज्यादा हैं। यहां ऑस्ट्रेलिया तथा इंग्लैंड जैसी टीमें भी लड़खड़ा जाती हैं। परिस्थितियों और इतिहास को दरकिनार कर दक्षिण अफ्रीका की टीम ने वर्चस्व स्थापित किया, वह भी तब, जब उसके तेज गेंदबाज कगिसो रबाडा टीम में शामिल नहीं थे।

इस शर्मनाक हार ने भारतीय क्रिकेट प्रशंसकों को उलझन में डाल दिया है। वे पूछ रहे हैं कि जिन पिचों को हमारी टीम विरोधियों से बेहतर जानती थी, उन पर हम इतनी बुरी तरह कैसे हार गए? यह भी सवाल है कि सरफराज खान जैसा बल्लेबाज, जिसका घरेलू पिचों पर अच्छा रिकॉर्ड है, भारतीय टीम में क्यों नहीं चुना गया? कुछ प्रशंसक कोच गौतम गंभीर को हटाने के कयास लगा रहे हैं। जो प्रशंसक थोड़ा आत्मनिरीक्षण करते हैं, वे यह सवाल भी उठाते हैं कि क्या आईपीएल के प्रति दीवानगी ने हमें टेस्ट क्रिकेट में कमजोर कर दिया है। प्रशंसक एक और सवाल पूछ सकते हैं- क्या समय आ चुका है कि बीसीसीआई दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेटरों को अधिक सम्मान दे?

मेरी नजर में अहंकार का प्रायश्चित यह होगा कि भारत की टीम दक्षिण अफ्रीका में जाकर चार-पांच टेस्ट मैच की सीरीज खेले। इससे हमारे क्रिकेटरों की क्षमता का मूल्यांकन होगा। गौरतलब है कि भारत ने ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड, पाकिस्तान और वेस्टंइडीज में जाकर टेस्ट सीरीज जीती है, लेकिन दक्षिण अफ्रीका में अभी तक ऐसा नहीं कर पाई है। काबिलेगौर है कि 1995 में दक्षिण अफ्रीका के रग्बी खिलाड़ियों की उपलब्धि को एक किताब और एक फिल्म ने अमर कर दिया था। अब 30 साल बाद भी दक्षिण अफ्रीका को लेकर उतना उत्साह नजर नहीं आता है, जबकि नेल्सन मंडेला को गुजरे काफी समय हो गया है। मुझे नहीं लगता कि 2025 में खेले गए टेस्ट मैचों में अग्रणी भूमिका निभाने वाले तेम्बा बावुमा को लेकर दक्षिण अफ्रीका में कोई फिल्म बनाई जाएगी। हां, कोई युवा लेखक इस पर किताब जरूर लिख सकता है। इस ओर ध्यान आर्किषत कर सकता है कि 2025 के क्रिकेटर 1995 के रग्बी खिलाड़ियों से आगे निकल गए हैं और यह टीम बहुरंगी है, जिसका नेतृत्व एक अश्वेत कप्तान के हाथ में है। उम्रदराज और दूसरे देश का क्रिकेट प्रशंसक होने के नाते मैं बावुमा की टीम की सराहना करता हूं और दक्षिण अफ्रीका की ऑल टाइम इलेवन यहां प्रस्तुत करता हूं- ग्रीम स्मिथ, हर्शल गिब्स, हाशिम अमला (उप कप्तान), जैक्स कैलिस, तेंबा बावुमा (कप्तान), एबी डिविलर्स (विकेटकीपर), शॉन पोलाक, डेल स्टेन, केशव महाराज, कगिसो रबाडा, एलन डोनाल्ड और 12वें खिलाड़ी के रूप में जोंटी रोड्स।
South Africa cricket team is victim of discrimination by International Cricket Council दक्षिण अफ्रीका की क्रिकेट टीम अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद के भेदभाव का शिकार रही है।
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