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कर्जदार का भ्रष्टाचार: IMF की रिपोर्ट में पाकिस्तान का कड़वा सच, राष्ट्रीय शर्मिंदगी का प्रमाणपत्र
अमर उजाला
Published by: लव गौर
Updated Tue, 25 Nov 2025 07:10 AM IST
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आईएमएफ ने अपनी रिपोर्ट में कर्ज के दुरुपयोग की तस्दीक की
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अमर उजाला प्रिंट
विस्तार
पहले ही अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के भारी कर्ज के बोझ तले दबे और अधिक कर्ज की मांग कर रहे पाकिस्तान में भ्रष्टाचार की स्थिति को लेकर खुद आईएमएफ की रिपोर्ट ने जो कड़वा सच सामने रखा है, उसे उस मुल्क की राष्ट्रीय शर्मिंदगी का प्रमाणपत्र कहा जाए, तो यह अतिशयोक्ति नहीं। रिपोर्ट में पिछले दो दशकों के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा गया है कि भ्रष्टाचार-नियंत्रण के मामले में पाकिस्तान दुनिया के सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले देशों में शुमार है और यहां शासन के उच्च स्तरों तक भ्रष्टाचार व्याप्त है। यह कोई पहली बार नहीं है, जब किसी वैश्विक संस्था ने पाकिस्तान के लिए इतने कठोर शब्दों का इस्तेमाल किया हो।अभी पिछले ही महीने विश्व बैंक ने भी पाकिस्तान को लताड़ते हुए कहा था कि आईएमएफ द्वारा भारी कर्ज दिए जाने के बावजूद देश गरीबी को कम करने में विफल रहा है। गौरतलब है कि यह रिपोर्ट विवादास्पद 27वें संविधान संशोधन के समय आई है, जो पाकिस्तान के सेना प्रमुख फील्ड मार्शल आसिम मुनीर की शक्तियों को बढ़ाता है तथा सर्वोच्च न्यायालय के ऊपर एक अन्य न्यायालय की स्थापना करके उसकी शक्तियों को कम करता है। दरअसल, पाकिस्तान आज जिस हाल में है, उसकी सबसे बड़ी वजह यही है कि वह विदेशी कर्ज लेने में तो आगे रहता है, लेकिन कर्ज की राशि के उपयोग की जिम्मेदारी वह भ्रष्ट सत्ताधीशों पर छोड़ देता है।
सबसे कड़वा सच तो यही है कि जिस संस्था के आगे पाकिस्तान झोली फैलाए खड़ा है, वही उसे बता रही है कि उसका समृद्ध तबका शासन व्यवस्था पर इतना अधिक हावी है कि कर्ज का एक बड़ा हिस्सा सत्ता के करीबियों की जेब में चला जाता है। इसका अंदेशा तभी गहराने लगा था, जब कुछ महीने पहले पाकिस्तान आईएमएफ के सात अरब डॉलर के बेल आउट पैकेज की दूसरी समीक्षा में पांच में से तीन शर्तों को पूरा करने में विफल रहा था। दरअसल, भारत आईएमएफ के इस कर्ज का विरोध करते हुए कहता आया है कि पाकिस्तान इस राशि का इस्तेमाल पहलगाम जैसी आतंकी गतिविधियों के लिए कर सकता है।
आईएमएफ की पिछली बैठक में भी भारत ने आगाह किया था कि वैश्विक वित्तीय संस्थानों की प्रक्रियाओं में नैतिक मूल्यों को प्राथमिकता मिलनी चाहिए। इसके बावजूद, आईएमएफ ने उसे कर्ज देना जारी रखा। लेकिन अब उसकी ताजा रिपोर्ट के निष्कर्ष और पाकिस्तानी शासन में बढ़ते सैन्य दखल को देखते हुए भारत की चेतावनियों को खारिज नहीं किया जाना चाहिए। हालांकि आईएमएफ ने आईना दिखाया है, लेकिन उसमें अपनी सूरत देखने की ईमानदारी पाकिस्तान बरतेगा, इसमें संदेह ही है।