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स्मृति शेष: हरदिल अजीज अभिनेता धर्मेंद्र अलविदा.... जिंदगी एक फिल्म की तरह होती है
अमर उजाला
Published by: लव गौर
Updated Tue, 25 Nov 2025 06:26 AM IST
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अभिनेता धर्मेंद्र का 89 वर्ष की उम्र में निधन
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विस्तार
मुझे अपनी जिंदगी में वह सब मिला, जिसका मैं हकदार था और उससे कहीं ज्यादा। मैं पंजाब के एक गांव का लड़का था। मुझे एक्टिंग का ए भी नहीं मालूम था। ऐसा लगता है कि यह अभी कुछ दिन पहले की बात है, जब मैं लुधियाना के एक गांव से सपने संजोकर मुंबई आया था। मेरी जेब में कुछ नहीं था, लेकिन आंखों में सपने थे। फिर वह दिन, जब मैंने पहली बार खुद को बड़े परदे पर देखा। सबसे खूबसूरत पल तब आया, जब मेरे बच्चों ने अपने रास्ते चुने और मैंने उन्हें कलाकार बनते देखा। मेरी पूरी जिंदगी इन्हीं पलों में बसती है। मेरी जिंदगी ही एक फिल्म के समान है। मैं खुद को हमेशा खुश रखने की कोशिश करता हूं। मन और तन, दोनों को शांत और सक्रिय रखना मेरी जिंदगी की आदत बन चुकी है। यही मेरी असली दवा है, जो मुझे हर दिन जिंदा और तरोताजा बनाए रखती है। मैं रोज 'आलाप' की प्रैक्टिस करता हूं, ताकि मेरी आवाज की पकड़ बनी रहे, वह भी एक तरह की साधना है।मुझे अपना पहला रोल पाने के लिए ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी। मुंबई आने के कुछ ही समय बाद मैं अपने प्यारे दोस्त अर्जुन हिंगोरानी की फिल्म 'दिल भी तेरा हम भी तेरे' के लिए कैमरा फेस कर रहा था, और मुझे एक्टिंग का कोई एक्सपीरियंस नहीं था। जब कैमरा ऑन होता था, तो मुझे समझ नहीं आता था कि कहां देखूं। फिल्म निर्माताओं ने कहा कि मैं हैंडसम हूं। एक अच्छा चेहरा और माता-पिता का आशीर्वाद मुझे यहां तक ले आया।
इतने वर्षों बाद भी, मुझे देश के लोगों से बहुत प्यार मिलता है! मैंने जरूर पिछले जन्म में कुछ सही किया होगा। प्रशंसकों का प्यार मेरे लिए सबसे कीमती तोहफा है।
मैं चाहता हूं कि मैं जब जाऊं, तो मुझे मुस्कराकर याद किया जाए। सच तो यह है कि मुझे लगता है कि मुझे इस धरती पर प्यार फैलाने के लिए भेजा गया है। जिंदगी में आप जितना देते हैं, उतना ही अच्छा पाते हैं। मैं एक किसान का बेटा हूं। खेत की मिट्टी सिर्फ हाथों पर नहीं, दिल पर भी असर करती है। उसी मिट्टी से मुझे जड़ें मिली हैं, सादगी मिली है। आज भी जब मैं फार्महाउस पर होता हूं, तो गायों से बातें करता हूं, उनके नजदीक बैठता हूं, पेड़ों की छांव में कुछ पल गुजारता हूं। वहां मुझे चैन मिलता है।
मैं यह नहीं कहूंगा कि राजनीति में आना कोई गलती थी, लेकिन एक अभिनेता को राजनीति में नहीं आना चाहिए, क्योंकि इससे दर्शकों और प्रशंसकों के बीच आपकी आम स्वीकार्यता बंट जाती है। एक अभिनेता को हमेशा अभिनेता ही रहना चाहिए। मेरे लिए, इतने साल में मेरे प्रशंसकों से मिला प्यार और समर्थन ही सबसे बड़ी उपलब्धि है। मुझे राजनीति में घुटन महसूस होती थी।
जिस दिन मैंने हां कहा, मैं वॉशरूम गया और शीशे में अपना सिर पटककर अपने किए पर पछतावा किया। राजनीति ऐसी चीज है, जो मैं कभी नहीं करना चाहता था। उम्र और मौत एक ऐसी सच्चाई है, जिसका हम सबको सामना करना पड़ता है। राजा हो या रंक, सबको जाना ही पड़ता है। कोई ख्वाहिश बाकी नहीं, मैंने पूरी जिंदगी जी है। भगवान की कृपा से, मेरे सभी बच्चे अच्छा कर रहे हैं। मैं अपने बच्चों से बहुत कुछ कहे बिना भी जुड़ा रहता हूं। जानता हूं कि वे समझदार हैं, मेहनती हैं और अपने रास्ते खुद बना रहे हैं। मैं बस चुपचाप उनके लिए दुआ करता हूं। जब उन्हें पर्दे पर देखता हूं या उनकी कोई बात सुनता हूं, तो ऐसा लगता है कि मेरी जिंदगी का सफर अब भी चल रहा है, उनके कदमों में, उनके फैसलों में। जो सपना कभी मैंने देखा था, अब वह मेरी अगली पीढ़ी जी रही है। यही सबसे बड़ी तसल्ली है। हम सिर्फ पिता-पुत्र या पिता-पुत्री नहीं हैं, हम एक-दूसरे के हमसफर हैं। (विभिन्न साक्षात्कारों पर आधारित)