सब्सक्राइब करें
Hindi News ›   Columns ›   Opinion ›   issue: There still a long way to go as gap between rich and poor remains alarming

मुद्दा: अभी चलना है मीलों, क्योंकि अमीर-गरीब की खाई अब भी चिंताजनक

Jayantilal Bhandari जयंतीलाल भंडारी
Updated Mon, 22 Dec 2025 07:20 AM IST
सार
भले ही सरकार की कल्याणकारी योजनाओं से देश में गरीबों की संख्या घटी है, पर गरीब-अमीर के बीच की खाई अब भी चौड़ी है।
 
विज्ञापन
loader
issue: There still a long way to go as gap between rich and poor remains alarming
प्रतीकात्मक तस्वीर - फोटो : अमर उजाला प्रिंट

विस्तार
Follow Us

हाल ही में प्रकाशित वर्ल्ड इनइक्वैलिटी रिपोर्ट्स 2026 के अनुसार, दुनिया के आधे से अधिक देशों में गरीब और अमीर के बीच बढ़ती हुई आय असमानता की स्थिति चुनौतीपूर्ण है। भारत में भी गरीब और अमीर के बीच आय असमानता चिंताजनक है, जहां देश की 65 प्रतिशत संपत्ति सिर्फ 10 प्रतिशत सबसे अमीर लोगों के पास है, और सबसे गरीब 50 प्रतिशत लोगों के पास सिर्फ 6.4 प्रतिशत संपत्ति है। भारत के सबसे अमीर एक प्रतिशत लोगों के पास देश की लगभग 40 प्रतिशत संपत्ति है।


फिनलैंड की प्रसिद्ध आल्टो यूनिवर्सिटी की हालिया शोध रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले तीन दशकों में जहां दक्षिण भारत में गरीब और अमीर के बीच आय असमानता कम हुई है, वहीं उत्तर भारत में यह स्थिति स्थिर बनी हुई है। गौरतलब है कि विगत एक अक्तूबर को प्रकाशित एम3एम हुरुन इंडिया रिच लिस्ट, 2025 के मुताबिक, पूरी दुनिया के विभिन्न देशों की तुलना में भारत में अरबपतियों की संख्या सबसे तेजी से बढ़ रही है।


महत्वपूर्ण बात यह है कि 2025 की सूची भारत के अरबपति समुदाय में विस्तार का प्रतीक है। देश में अब 358 अरबपति हैं, जो 13 साल पहले की तुलना में छह गुना अधिक हैं। इस सूची के मुताबिक, भारत में 1,687 ऐसे भारतीय हैं, जिनकी संपत्ति 1000 करोड़ से अधिक है। इस सूची में शामिल सभी लोगों की कुल संपत्ति 167 लाख करोड़ रुपये है, जो 2024 की तुलना में पांच फीसदी अधिक है। यह भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के लगभग आधे के बराबर है। पिछले दो वर्षों में भारत में औसतन हर सप्ताह एक नया अरबपति बना है। निस्संदेह यह चुनौतीपूर्ण है कि जब एक ओर विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष की रिपोर्टों में भारत में लगातार गरीबी में कमी आने और सामाजिक सुरक्षा बढ़ने संबंधी टिप्पणियां की जा रही हैं, वहीं दूसरी ओर भारत में गरीब और अमीर के बीच असमानता बढ़ रही है। विश्व बैंक की वैश्विक गरीबी संबंधी रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में अत्यधिक गरीबी की स्थिति में रहने वाले लोगों की संख्या में पिछले 11 वर्षों में जबरदस्त गिरावट दर्ज की गई है और अत्यधिक गरीबी से करीब 27 करोड़ देशवासी बाहर निकले हैं।

यह परिदृश्य पिछले 11 वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा गरीब कल्याण को लक्षित करके बनाई गई लाभकारी योजनाओं की सार्थकता प्रस्तुत करता है। 80 करोड़ से अधिक गरीब व कमजोर वर्ग के लोगों को मुफ्त खाद्यान्न वितरण गरीबी को कम करने में अहम भूमिका निभा रहा है। इसके अलावा, गरीबों के सशक्तीकरण से संबंधित कई और योजनाएं हैं।

अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में वर्ष 2025 में 64 फीसदी से अधिक आबादी यानी करीब 94 करोड़ से अधिक लोग किसी न किसी सामाजिक सुरक्षा योजना से लाभान्वित हो रहे हैं, जबकि वर्ष 2015 में सामाजिक सुरक्षा योजनाएं 25 करोड़ से भी कम लोगों तक पहुंच रही थीं। यानी सरकार की जन केंद्रित कल्याणकारी नीतियों से सामाजिक सुरक्षा का तेज विस्तार हुआ है।

लेकिन वर्ल्ड इनइक्वैलिटी रिपोर्ट, 2026 के मद्देनजर अभी भारत में अमीर और गरीब के बीच की खाई को कम करने और आम आदमी की सामाजिक सुरक्षा बढ़ाने के लिए कई बातों पर ध्यान देना जरूरी है। अभी देश के करीब 52 करोड़ लोगों का सामाजिक सुरक्षा की छतरी के बाहर रहना एक बड़ी आर्थिक-सामाजिक चुनौती है। खासतौर से देश के असंगठित क्षेत्र, गिग वर्कर्स और आम आदमी की सामाजिक सुरक्षा के लिए अभी मीलों चलना बाकी है। अब कर सुधारों का लाभ गरीब और कमजोर वर्ग के लोगों तक पहुंचना चाहिए।

हालांकि इसी वर्ष 2025 में भारत, 140 करोड़ से अधिक जनसंख्या की कुल आमदनी के आधार पर जापान को पीछे छोड़कर दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है, लेकिन प्रति व्यक्ति आय के मामले में यह दुनिया के कई देशों से बहुत पीछे है। जापान की प्रति व्यक्ति आय भारत की तुलना में लगभग 11.8 गुना अधिक है। अब रोजगार और गरीबों की आमदनी बढ़ाने के लिए सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों (एमएसएमई ) को बढ़ावा देना होगा। इसके लिए सीधे मदद और प्रक्रियाओं के माध्यम से मदद, दोनों ही डगर पर आगे बढ़ना होगा, ताकि उनके अनुपालन लागत में कमी आएगी। सरकार को एमएसएमई के कारोबार को आसान बनाने और घरेलू खपत बढ़ाने के तरीकों पर नए सिरे से आगे बढ़ना होगा। नई आपूर्ति शृंखला और नए बाजारों की तलाश करनी होगी। इससे एमएसएमई से जुड़े करोड़ों लोगों की आमदनी बढ़ाई जा सकेगी।

हमें स्वदेशी आत्मनिर्भरता की डगर पर और तेजी से आगे बढ़ना होगा और रोजगार के मौके बढ़ाने होंगे। गरीब वर्ग की उत्पादकता बढ़ानी होगी। गरीब युवाओं के लिए नए डिजिटल प्रशिक्षण कार्यक्रम जैसे बहुआयामी प्रयास करने जाने होंगे। इन सबसे देश में गरीबों की आमदनी में वृद्धि होगी और अमीर-गरीब के बीच की खाई में कमी आएगी।
विज्ञापन
विज्ञापन
Trending Videos
विज्ञापन
विज्ञापन

Next Article

Election

Followed