जब बस कंडक्टर को हुआ MBBS स्टूडेंट से प्यार, ‘थलाइवा’ को भी आया आत्महत्या का ख्याल; पढ़ें रजनी से जुड़े किस्से
Rajinikanth 75th Birthday: भारतीय सिनेमा के सुपरस्टार और फैंस के ‘थलाइवा’ रजनीकांत आज अपना 75वां जन्मदिन मना रहे हैं। इस मौके पर जानिए रजनीकांत के संघर्ष, करियर और लव स्टोरी के बारे में सबकुछ…
विस्तार
आज से 75 साल पहले यानी साल 1975 में जब सिनेमाघरों में कल्ट फिल्म ‘शोले’ रिलीज हुई थी। ठीक उसी दिन 15 अगस्त 1975 को भारतीय सिनेमा में एक ऐसे शख्स ने कदम रखा था, जो इससे पहले बस कंडक्टर का काम करता था। उस वक्त किसी को नहीं पता था कि आगे चलकर ये एक्टर हिंदी सिनेमा का सबसे बड़ा सुपरस्टार रजनीकांत बन जाएगा। आज ‘थलाइवा’ रजनीकांत अपना 75वां जन्मदिन मना रहे हैं। इस मौके पर जानते हैं कि एक गरीब मराठी परिवार में जन्मे शिवाजी राव गायकवाड़ कैसे बन गए सुपरस्टार रजनीकांत…
मराठी परिवार में हुआ जन्म
रजनीकांत का जन्म 12 दिसंबर 1950 को एक मराठी परिवार में हुआ था। उनके पिता पुलिस हेड कांस्टेबल थे। फिल्म इंडस्ट्री में आने से पहले रजनी का नाम शिवाजी राव गायकवाड़ था। रजनी जब महज चार वर्ष के थे तब उनके सिर से मां का साया हट गया। घर की आर्थिक स्थिति खराब थी। इस वजह से रजनीकांत को बचपन में कई संघर्षों से गुजरना पड़ा।
फिल्मों में आने से पहले थे बस कंडक्टर
फिल्मों में आने से पहले रजनीकांत का जीवन काफी संघर्षमय था। फिल्मों में आने से पहले रजनीकांत एक कुली और बस कंडक्टर रह चुके हैं। उन्होंने ऑफिस बॉय के रूप में भी नौकरी की। हालांकि, बस कंडक्टर रहते हुए रजनी के टिकट बेचने का तरीका काफी स्टाइलिश था, जिसकी वजह से वो यात्रियों और बस ड्राइवर्स व कंडक्टरों में काफी मशहूर भी थे। हालांकि, रजनीकांत को एक्टिंग का शौक शुरू से ही था। लेकिन पैसों की कमी और साधनों के अभाव के चलते वो अपने इस सपने को पूरा करने में असमर्थ थे।
बस ड्राइवर दोस्त ने की मदद
रजनीकांत को फिल्मों की दुनिया में लाने वाला अगर कोई है तो वो हैं उनके दोस्त राज बहादुर। राज बहादुर कोई निर्देशक या अभिनेता नहीं, बल्कि उनकी ही तरह एक बस ड्राइवर थे। रजनीकांत और राज बहादुर की मुलाकात साल 1970 में उनके बैंगलोर ट्रांसपोर्ट सर्विसेज में काम करने के दौरान हुई थी। राज बहादुर ही वह व्यक्ति थे, जिन्होंने रजनीकांत की प्रतिभा को पहचाना और उन्हें एक्टर बनने के अपने सपने को पूरा करने के लिए कहा। यही नहीं राज बहादुर ने आर्थिक रूप से भी रजनीकांत की मदद की। राज बहादुर उस वक्त केवल 400 रुपये कमाते थे, लेकिन उन्होंने फिर भी रजनीकांत की मदद की और उन्हें मद्रास फिल्म इंस्टीट्यूट में दाखिला दिलाया और हर महीने अपनी आधी तनख्वाह उन्हें भेजते थे। रजनीकांत को तमिल भी नहीं आती थी, इसलिए एक्टिंग सीखने के साथ-साथ तमिल भाषा का ज्ञान भी हासिल किया।
के. बालचंद्र ने पहचानी रजनी की प्रतिभा
एक्टिंग सीखने के दौरान ही रजनीकांत की मुलाकात दिग्गज फिल्म निर्देशक के. बालचंद्र से हुई। के. बालचंद्र ही वो निर्देशक हैं, जिन्होंने रजनीकांत की प्रतिभा को पहचाना और उन्हें पहली बार अपनी फिल्म में मौका दिया। के. बालचंद्र ने ही शिवाजी राव गायकवाड़ को रजनीकांत नाम दिया। रजनीकांत का नामकरण 27 मार्च 1975 को होली के मौके पर हुआ था और दिन था गुरुवार। जिसे रजनीकांत अपने लिए शुभ मानते थे।

पहली फिल्म में निभाई निगेटिव भूमिका
रजनीकांत ने साल 1975 में आई फिल्म 'अपूर्व रागंगल' से फिल्मी दुनिया में कदम रखा। यह फिल्म 15 अगस्त 1975 को रिलीज हुई थी, जिस दिन हिंदी सिनेमा की कल्ट फिल्म ‘शोले’ भी रिलीज हुई थी। उस वक्त रजनीकांत की उम्र 25 वर्ष थी। डेब्यू फिल्म में वे एक छोटी सी निगेटिव भूमिका में दिखाई दिए। कुछ वक्त तक इसी तरह के रोल किए। इसके बाद उनके पास लीड रोल का ऑफर आना शुरू हो गया और देखते ही देखते वे इस कदर सफलता की सीढ़ियां चढ़ते गए कि आज फैंस उन्हें भगवान का दर्जा देते हैं। फिल्मी दुनिया में रजनीकांत का क्या कद है, यह दुनिया जानती है।
अमिताभ बच्चन के साथ की बॉलीवुड में शुरुआत
दक्षिण सिनेमा में करियर शुरू करने के करीब आठ साल बाद रजनीकांत ने बॉलीवुड का रुख किया। उनकी पहली हिंदी फिल्म 'अंधा कानून' थी। साल 1983 में रिलीज हुई इस फिल्म में रजनीकांत ने हेमा मालिनी, अमिताभ बच्चन, प्राण, अमरीश पुरी और डैनी डेंगजोंग्पा जैसे कलाकारों के साथ काम किया है। फिल्म बॉक्स ऑफिस पर जबर्दस्त रही। इसने बजट से करीब चार गुना अधिक कारोबार किया है।
बिग बी की कई फिल्मों की रीमेक में किया काम
रजनीकांत की शोहरत में अमिताभ बच्चन की फिल्मों का बड़ा हाथ रहा है। अमिताभ बच्चन की एक दर्जन से ज्यादा हिट फिल्मों के रीमेक में रजनीकांत ने काम किया है और इसी के चलते दोनों का रिश्ता भी बहुत करीब का बना रहा है। रजनीकांत ने कई मौकों पर ये माना भी कि बिग बी की जिन फिल्मों के रीमेक में वह हीरो बने, उन्होंने ही उन्हें स्टारडम दिलाया।
10 साल में कर डालीं 100 फिल्में
रजनीकांत के करियर की गाड़ी चल पड़ी तो उनके पास फिल्मों के भी खूब ऑफर आने लगे। इस बात का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि अपने करियर के 10 वर्षों में उन्होंने 100 फिल्में पूरी कर डालीं। अभिनेता की 100वीं फिल्म 'श्री राघवेंद्र' थी, जिसमें उन्होंने हिंदू संत राघवेंद्र स्वामी का किरदार अदा किया।
निम्मी के प्यार में थे ‘थलाइवा’
हीरो बनने से पहले जब रजनीकांत बस कंडक्टर थे, उस वक्त वो एक लड़की के प्यार में थे। लड़की का नाम निर्मला था, लेकिन रजनीकांत उन्हें प्यार से निम्मी बुलाते थे। रजनीकांत ने अपनी बायोग्राफी ‘द नेम इज रजनीकांत’ में इस किस्से का जिक्र किया है। रजनीकांत आज जो भी हैं, वो निम्मी की वजह से ही हैं। निर्मला MBBS की स्टूडेंट थीं। रजनीकांत अक्सर उनसे मिलते थे। निम्मी ने ही रजनीकांत को अभिनय कोर्स करने के लिए प्रोत्साहित किया था। रजनीकांत, निम्मी के साथ शादी के सपने देखने लगे थे, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था।
आखिरी बार ‘कुली’ में आए नजर
रजनीकांत अपने करियर में 5 दशक का समय पूरा कर चुके हैं। इस बार फैंस के लिए दोहरी खुशी का मौका है, क्योंकि इसी साल उन्हें भारतीय सिनेमा में 50 साल पूरे हुए हैं और वो 75 साल के भी हो गए हैं। इन पांच दशकों में रजनीकांत ने लगभग 170 से भी अधिक फिल्मों में काम किया है। इस दौरान उन्होंने हिंदी, तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम और बांग्ला भाषा की फिल्में की हैं। उनके करियर की प्रमुख फिल्मों में 'मुल्लुम मलारुम' (1978), 'थिल्लु मुल्लु' (1981), 'थलपति' (1991), 'बाशा' (1995), 'पदयप्पा' (1999), 'शिवाजी: द बॉस' (2007), 'एंथिरन' (रोबोट) (2010), कबाली (2016), काला (2018), अन्नात्थे (2021) और 'जेलर' (2023) शामिल हैं। रजनीकांत आखिरी बार इसी साल रिलीज हुई फिल्म ‘कुली’ में नजर आए थे।
रजनीकांत के किस्से
- एक इवेंट में अभिनेता ने यह खुलासा किया कि जिंदगी में एक ऐसा पल भी आया, जब मैं इतना डर गया था कि मेरे मन में खुद को खत्म करने का ख्याल भी आया था।
- रजनीकांत को अभिनय का जुनून इस कदर था कि वे जब कंडक्टर थे तो बस में अनोखे अंदाज से टिकट काटा करते थे। इस अनोखे अंदाज के चलते भी वे ड्राइवर-कंडक्टर्स के बीच काफी लोकप्रिय हुए।
- सुपरस्टार के बारे में ऐसा कहा जाता है कि उनकी फिल्में अगर नहीं चल पातीं या फ्लॉप हो जाएं तो वे बिना किसी हिचकिचाहट के तुरंत डिस्ट्रीब्यूटर्स का पैसा वापस कर देते हैं। फिल्म '2.0' के एक इवेंट के दौरान अक्षय कुमार ने भी इसका जिक्र किया था।
- 70 के दशक के आखिर में रजनीकांत की कई फिल्में बैक-टू-बैक फ्लॉप हो गईं। फिल्में फ्लॉप होने से उदास रजनीकांत एक्टिंग हमेशा के लिए छोड़ना चाहते थे। उन्होंने नई फिल्में साइन करनी छोड़ दीं, वहीं कुछ डिस्ट्रीब्यूटर्स और डायरेक्टर्स ने कहा कि रजनी अब नहीं चलेंगे। लेकिन उन्होंने सभी को गलत साबित करते हुए दमदार वापसी की।