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एम्स: नेत्र रोग विभाग में नहीं चलती टोकन मशीन, एक्स-रे में लगते हैं तीन घंटे
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नेटवर्क गड़बड़ी से ऑनलाइन भुगतान में भी होती है परेशानी
गोरखपुर। एम्स में मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ने के साथ ही व्यवस्थाएं चरमराती जा रही हैं। इलाज के लिए पहुंचे मरीज और उनके परिजन जगह-जगह परेशान हो रहे हैं। कहीं टोकन मशीनें बंद पड़ी हैं तो कहीं ऑनलाइन पेमेंट न होने से लोग घंटों भटक रहे हैं। एक्स-रे कराने में तीन-चार घंटे का समय लग रहा है।
कुशीनगर जिले के दुदही निवासी संदीप कुमार ने बताया कि वह दोपहर 12 बजे से एक्स-रे के लिए लाइन में खड़े हैं, लेकिन 3 बजकर 20 मिनट तक भी नंबर नहीं आया। पहले फीस जमा करनी होती है, फिर लिफाफा लेने की प्रक्रिया और उसके बाद एक्स-रे के लिए अलग से कतार। इस लंबी प्रक्रिया में मरीज बेहाल हो रहे हैं। देवरिया के रामाशीष और विजय कुमार ने भी बताया कि बिना “जुगाड़” के जल्द जांच होना मुश्किल है।
नेत्र रोग विभाग में टोकन मशीन बंद
नेत्र रोग विभाग में टोकन मशीन बंद मिली। कर्मचारियों ने बताया कि मरीजों को अलग-अलग कमरों में भेजा जाता है इसलिए मशीन का उपयोग नहीं किया जा रहा। हड्डी रोग विभाग में काउंटर पर रिसेप्शनिस्ट न होने से लोग घंटों से टोकन नंबर के लिए परेशान थे। वहीं, दोपहर दो बजे तक चार कियोस्क मशीनों में से तीन बंद हो चुकी थीं।
बेड और दवा काउंटर पर भी दिक्कत
ग्राउंड फ्लोर स्थित कैश काउंटर के पास खड़े बांसगांव निवासी रमेश कुमार ने बताया कि पत्नी गर्भवती है, जिसे डॉक्टर ने भर्ती कराने के लिए कहा, लेकिन पता लगा कि कहीं बेड ही खाली नहीं है। काफी प्रयास के बाद शाम चार बजे के बाद आने को कहा गया। वहीं, अस्पताल परिसर में खुले दवा काउंटर पर भी लंबी कतारें लगी थीं। दवा काउंटर के पास ही दलाल घूम रहे थे, जो बाहर की दुकानों से 40 प्रतिशत तक की छूट पर दवाएं उपलब्ध कराने का लालच दे रहे थे।
वर्जन
टोकन मशीन क्यों बंद है, नेत्र विभाग से इसकी जानकारी कराई जाएगी। अन्य समस्याओं की भी जानकारी कराकर समाधान कराया जाएगा।
-डॉ. आराधना सिंह, मीडिया प्रभारी, एम्स

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गोरखपुर। एम्स में मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ने के साथ ही व्यवस्थाएं चरमराती जा रही हैं। इलाज के लिए पहुंचे मरीज और उनके परिजन जगह-जगह परेशान हो रहे हैं। कहीं टोकन मशीनें बंद पड़ी हैं तो कहीं ऑनलाइन पेमेंट न होने से लोग घंटों भटक रहे हैं। एक्स-रे कराने में तीन-चार घंटे का समय लग रहा है।
कुशीनगर जिले के दुदही निवासी संदीप कुमार ने बताया कि वह दोपहर 12 बजे से एक्स-रे के लिए लाइन में खड़े हैं, लेकिन 3 बजकर 20 मिनट तक भी नंबर नहीं आया। पहले फीस जमा करनी होती है, फिर लिफाफा लेने की प्रक्रिया और उसके बाद एक्स-रे के लिए अलग से कतार। इस लंबी प्रक्रिया में मरीज बेहाल हो रहे हैं। देवरिया के रामाशीष और विजय कुमार ने भी बताया कि बिना “जुगाड़” के जल्द जांच होना मुश्किल है।
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नेत्र रोग विभाग में टोकन मशीन बंद
नेत्र रोग विभाग में टोकन मशीन बंद मिली। कर्मचारियों ने बताया कि मरीजों को अलग-अलग कमरों में भेजा जाता है इसलिए मशीन का उपयोग नहीं किया जा रहा। हड्डी रोग विभाग में काउंटर पर रिसेप्शनिस्ट न होने से लोग घंटों से टोकन नंबर के लिए परेशान थे। वहीं, दोपहर दो बजे तक चार कियोस्क मशीनों में से तीन बंद हो चुकी थीं।
बेड और दवा काउंटर पर भी दिक्कत
ग्राउंड फ्लोर स्थित कैश काउंटर के पास खड़े बांसगांव निवासी रमेश कुमार ने बताया कि पत्नी गर्भवती है, जिसे डॉक्टर ने भर्ती कराने के लिए कहा, लेकिन पता लगा कि कहीं बेड ही खाली नहीं है। काफी प्रयास के बाद शाम चार बजे के बाद आने को कहा गया। वहीं, अस्पताल परिसर में खुले दवा काउंटर पर भी लंबी कतारें लगी थीं। दवा काउंटर के पास ही दलाल घूम रहे थे, जो बाहर की दुकानों से 40 प्रतिशत तक की छूट पर दवाएं उपलब्ध कराने का लालच दे रहे थे।
वर्जन
टोकन मशीन क्यों बंद है, नेत्र विभाग से इसकी जानकारी कराई जाएगी। अन्य समस्याओं की भी जानकारी कराकर समाधान कराया जाएगा।
-डॉ. आराधना सिंह, मीडिया प्रभारी, एम्स