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फर्जी IAS गिरफ्तार: सरकारी गलियारों तक फर्जी आईएएस का जाल, सरकारी नौकरी के नाम पर फिर की ठगी

अमर उजाला नेटवर्क, गोरखपुर Published by: रोहित सिंह Updated Wed, 10 Dec 2025 12:19 PM IST
सार

गिरफ्तार फर्जी आईएएस गौरव कुमार इसके पहले एक बार और चर्चा में आया था। बिहार, मोकामा का व्यापारी 99.09 लाख रुपये के साथ गोरखपुर रेलवे स्टेशन पर पकड़ा गया था। जांच में खुलासा हुआ था कि इसी फर्जी आईएएस से वो अपने रुपये लेकर वापस जा रहा था। इधर, 11 नवंबर को एक युवती पुलिस कार्यालय पहुंची। उसने आरोप लगाया कि गौरव ने उससे सोशल मीडिया के जरिये संपर्क किया था। इसी मामले में गौरव की गिरफ्तारी की गई है।

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Gorakhpur's Gulriha police arrested fake IAS officer Gaurav Kumar, who had spread the web on social media.
गोरखपुर में रेलवे स्टेशन पर पकड़े गए थे एक करोड़ रुपये - फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
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विस्तार
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सरकारी नौकरी दिलाने का झांसा देकर ठगी के आरोपी फर्जी आईएएस अधिकारी गौरव कुमार को मंगलवार देर रात गुलरिहा पुलिस ने क्षेत्र से गिरफ्तार कर लिया। वह लंबे समय से पुलिस की पकड़ से बचता फिर रहा था। जालसाज यूपी, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश समेत अन्य राज्यों में भी लोगों को अपना शिकार बनाकर करोड़ों रुपये का चूना लगा चुका है।
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यह मामला तब सुर्खियों में आया, जब बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान गोरखपुर रेलवे स्टेशन पर मोकामा, बिहार के एक व्यापारी मुकुंद माधव को 99.09 लाख रुपये के साथ पकड़ा गया था। जांच में खुलासा हुआ कि यह वही रकम थी, जो व्यापारी ने फर्जी आईएएस को नौकरी दिलाने की कथित रिश्वत के रूप में दी थी।
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बाद में धनराशि वापस मिलने पर पूरा खेल सामने आया और इसके बाद आरोपी की तलाश तेज हो गई।उधर, कुसम्ही निवासी एक युवक ने भी सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर ठगे जाने की शिकायत की थी। प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए एसपी सिटी अभिनव त्यागी स्वयं जांच की निगरानी कर रहे थे।

रेलवे स्टेशन पर व्यापारी की गिरफ्तारी के बाद आरोपी पुलिस के हाथ लगने से पहले ही भाग गया और लखनऊ के आशियाना में नया ठिकाना बना लिया। पुलिस टीम उसकी तलाश में लखनऊ पहुंची, लेकिन वह वहां से भी निकल भागा।

इस बीच, जब आरोपी अपने एक साथी से मिलने गोरखपुर आया तो मुखबिर की सूचना पर गुलरिहा पुलिस ने घेराबंदी कर उसे दबोच लिया। पुलिस का कहना है कि आरोपी के खिलाफ विभिन्न जिलों में ठगी की प्राथमिकी दर्ज हैं। पूछताछ में और भी मामलों के खुलासे की संभावना है।

सोशल मीडिया से सरकारी गलियारों तक फर्जी आईएएस का जाल
नौकरी और सरकारी ठेके दिलाने का झांसा देकर करोड़ों की ठगी के आरोपी फर्जी आईएएस गौरव कुमार का जाल जितना बड़ा था, उतना ही संगठित भी। खुद को 2022 बैच का आईएएस अधिकारी बताने वाला गौरव सोशल मीडिया पर ऐसी छवि बनाकर चलता था कि कोई भी उसे असली अधिकारी समझ ले।

सरकारी विभागों, योजनाओं और नियुक्तियों की बारीक जानकारी देकर वह सामने वाले का विश्वास आसानी से जीत लेता था। यही वजह रही कि पिछले दो वर्षों में उसने न सिर्फ उत्तर प्रदेश, बल्कि कई अन्य राज्यों के लोगों भी को ठगा।

गौरव का खेल तब उजागर हुआ जब सात नवंबर की सुबह जीआरपी थाना प्रभारी अनुज सिंह ने गोरखपुर रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर एक पर चेकिंग के दौरान मोकामा (बिहार) के व्यापारी मुकुंद माधव को 99.09 लाख रुपये के साथ पकड़ा।

पूछताछ में व्यापारी ने बताया कि गौरव ने खुद को आईएएस अधिकारी बताते हुए सरकारी ठेका दिलाने का भरोसा दिया था। ठेका नहीं मिला तो व्यापारी ने शिकायत की धमकी दी, जिसके बाद गौरव ने रकम लौटा दी। व्यापारी इसी धनराशि को लेकर घर जा रहा था कि वह जीआरपी के हत्थे चढ़ गया। इतनी बड़ी रकम मिलने और उसके पीछे फर्जी आईएएस का नाम आने पर जिले की पुलिस भी सक्रिय हो गई।

इधर, मामला गर्म ही था कि 11 नवंबर को एक युवती पुलिस कार्यालय पहुंची। उसने आरोप लगाया कि गौरव ने उससे सोशल मीडिया के जरिये संपर्क किया था। बातचीत के दौरान उसने खुद को 2022 बैच का आईएएस बताया और सरकारी परियोजनाओं, विभागीय बैठकों और अधिकारियों के संपर्कों की बातें करके उसे भरोसे में लिया।

युवती ने बताया कि इस दौरान गौरव ने शादी का प्रस्ताव रखा और अलग-अलग बहानों से आर्थिक मदद लेना भी शुरू कर दिया। बाद में वह अचानक संपर्क से गायब हो गया। युवती की शिकायत ने पुलिस को गौरव की ठगी का एक और बड़ा पहलू दिखा दिया।

पुलिस की जांच में सामने आया कि गौरव इस धोखाधड़ी में अकेला नहीं था। उसके साथ तीन और लोग जुड़े थे, जिनकी जिम्मेदारी सोशल मीडिया पर उसकी सरकारी छवि तैयार करना, प्रोफाइल बनाना और जरूरत पड़ने पर फर्जी दस्तावेज तैयार करना था।

यही संगठित सेटअप गौरव को हर बार विश्वास योग्य बना देता था। गोरखपुर में भी वह पिछले छह महीनों से सक्रिय था और बीआरडी मेडिकल कॉलेज के पास एक मकान किराए पर लेकर रह रहा था। पुलिस जब वहां पहुंची तो मकान पर ताला बंद मिला।
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