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Gorakhpur News: इश्क की इंतहा हो गई..तू मेरी दिलरुबा हो गई
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गोरखपुर लिटरेरी फेस्टिवल में आयोजित शास्त्रीय संगीत एवं कथक नृत्य में प्रतिभाग करते गोरखपुर कथ
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- खूबसूरत तरानों को संजोते हुए गोरखपुर लिटरेरी फस्टिवल का हुआ समापन
- अलग-अलग सत्रों में साहित्य, मीडिया, राजनीति आदि पर दिग्गजों ने रखे विचार
अमर उजाला ब्यूरो
गोरखपुर। खूबसूरत तरानों, नगमों, विमर्श और यादों के साथ रविवार को दो दिवसीय गोरखपुर लिटरेरी फेस्टिवल का समापन हो गया। बैंक रोड स्थित एक होटल में आयोजित इस समारोह का समापन गजल संध्या के साथ हुआ। इसमें साहित्यकार व आईएएस अधिकारी डॉ. हरिओम ने अपनी सधी हुई गायकी और भावपूर्ण प्रस्तुति से समां बांध दिया। ''''''''इश्क की इंतहा हो गई..तू मेरी दिलरुबा हो गई'''''''' आदि रचनाओं पर खूब तालियां बजीं।
‘शाम-ए-सुकून, शाम-ए-गजल’ में डॉ. हरिओम की गजलों ने श्रोताओं को शांति, संवेदना और सौंदर्य के भाव से सराबोर कर दिया। उन्होंने ''''''''मैं तेरे प्यार का मारा हुआ हूं, सिकंदर हूं मगर हारा हुआ हूं..'''''''', क्लासिक गजल ''''''''तुम को देखा तो खयाल आया'''''''', ''''''''दिल दीवाना तेरे नगमे गाता है, जाने कैसे कैसे ख्वाब दिखाता है..'''''''', हमीं से मुहब्बत छुपाए हुए हैं, जमाने को अपना बनाए हुए हैं'''''''' जैसे गजलों से उन्होंने अंत तक लोगों को बांधे रखा।
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मुझे ख्वाबों में रहना बहुत पसंद है : इरा टॉक
रविवार को दूसर सत्र साहित्य के नाम रहा। ''''''''कविता : तीन लेखक तीन कहानियां'''''''' विषयक इस सत्र में लेखिका इरा टॉक, लेखक यशवंत व्यास व वरिष्ठ पत्रकार सुनील द्विवेदी ने विचार साझा किए। इरा टॉक ने गोरखपुर से अपने रिश्ते की कहानी बताई। उन्होंने अपनी कहानी ''''''''बेगम साहिबा'''''''' का उल्लेख करते हुए कहा कि मुझे ख्वाबो में रहना बहुत पसंद है। वायरल की तरह नहीं बल्कि मोहब्बत लाइलाज बीमारी की तरह होनी चाहिए। यशवंत व्यास और सुनील द्विवेदी ने अपने-अपने अनुभव साझा किए। ''''''''वर्तमान भारतीय राजनीति में पक्ष विपक्ष और लोक'''''''' विषयक सत्र में यूपी के पूर्व बेसिक शिक्षा मंत्री डॉ. सतीश द्विवेदी और कांग्रेस नेत्री यशस्विनी सहाय ने बेबाकी से अपने विचार रखे। डॉ. सतीश द्विवेदी ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र बेहद परिपक्व है जहां मुद्दे हमेशा जनता ही तय करती है। जो जनता के बीच में रहेगा वही जनता का विश्वास जीतेगा, शेष अन्य मुद्दे आते-जाते रहेंगे। यशस्विनी सहाय ने कहा कि आज के समय में विपक्ष को अपने मुद्दों को रखने के लिए पर्याप्त अवसर नहीं मिलते हैं। सरकार सीधे तौर पर सवालों से भाग रही है। राजनीति में महिलाओं की सक्रिय भागीदारी आज भी व्यावहारिक तौर पर एक स्वप्न ही है।
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विरह की पीड़ा कही ना जाए...
शाम के सत्र में गोरखपुर कथक केन्द्र की नृत्यांगनाओं की ओर से विनोद गंगानी के निर्देशन में कथक नृत्य की भावपूर्ण प्रस्तुति की गई। कृष्ण भक्ति से सराबोर विरह गीत ''''''''शाम ढले पर श्याम न आए, विरह की पीड़ा कही ना जाए'''''''' पर नृत्य को दर्शकों ने खूब सराहा। अन्य प्रस्तुतियों को भी खूब सराहना मिली।
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युवा रचनाकारों को किया गया पुरस्कृत
डॉ. रजनीकांत श्रीवास्तव ''''''''नवाब'''''''' स्मृति युवा रचनाकार प्रतियोगिता-2025 के विजेताओं को पुरस्कृत कर सम्मानित किया गया। हिंदी कविता लेखन के जूनियर वर्ग में निखिल प्रसाद मौर्य प्रथम, सिद्धि सिंह द्वितीय और निकिता प्रियदर्शनी तृतीय रहीं। सीनियर वर्ग में राघवेन्द्र मिश्र प्रथम, मयंक मिश्र द्वितीय और अंकिता दूबे दर्शन तृतीय रहीं। हिंदी लघुकथा लेखन के जूनियर वर्ग में प्रिया मौर्य प्रथम, पल्लवी त्रिपाठी द्वितीय और शुभाजीत राम त्रिपाठी तृतीय रहे। सीनियर वर्ग में प्रिया प्रजापति प्रथम, संज्ञा पांडेय द्वितीय और शिवानी सिंह तृतीय रहीं। अंग्रेजी कविता लेखन के जूनियर वर्ग में मिताली तिवारी प्रथम, पान्या द्वितीय और हलीमा आफरीन तृतीय स्थान पर रहीं। सीनियर वर्ग में सैयद जरीका तसनीम प्रथम, नैन्सी जायसवाल द्वितीय और प्रतांजलि सिंह तृतीय रहीं। अंग्रेजी लघुकथा लेखन के जूनियर वर्ग में अलंकृति गर्ग प्रथम, शरया फातिमा द्वितीय और भूमि मालानी तृतीय रहीं। सीनियर वर्ग में अमृता रावत प्रथम और हर्षिता मित्रा द्वितीय रहीं।
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कार्टून में शिवान्या लारा व सुशील चन्द्र विजयी
राजीव केतन स्मृति कार्टून प्रतियोगिता के विजेताओं को उनकी रचनात्मकता के लिए सम्मानित किया गया। जूनियर वर्ग में शिवान्या लारा प्रथम, शिवम गुप्ता द्वितीय व सोनी निषाद तृतीय रहीं। गायत्री को सांत्वना पुरस्कार मिला। सीनियर वर्ग में उत्कृष्ट योगदान के लिए सुशील चन्द्र को विशेष सम्मान प्रदान किया गया। निर्णायक की भूमिका प्रदीप सुविज्ञ एवं प्रो. निशा जायसवाल ने निभाई।
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डॉ. विश्वनाथ, डॉ. रामचेत और डॉ. प्रवीन को प्राइड ऑफ गोरखपुर सम्मान
छठवें सत्र में स्व. पीके लाहिड़ी स्मृति प्राइड ऑफ गोरखपुर पुरस्कार समारोह का आयोजन किया गया। इसमें प्रख्यात साहित्यकार पद्मश्री विश्वनाथ प्रसाद तिवारी, कृषि वैज्ञानिक पद्मश्री रामचेत चौधरी और कार्डियोलॉजिस्ट पद्मश्री डॉ. प्रवीन चंद्रा को इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
- अलग-अलग सत्रों में साहित्य, मीडिया, राजनीति आदि पर दिग्गजों ने रखे विचार
अमर उजाला ब्यूरो
गोरखपुर। खूबसूरत तरानों, नगमों, विमर्श और यादों के साथ रविवार को दो दिवसीय गोरखपुर लिटरेरी फेस्टिवल का समापन हो गया। बैंक रोड स्थित एक होटल में आयोजित इस समारोह का समापन गजल संध्या के साथ हुआ। इसमें साहित्यकार व आईएएस अधिकारी डॉ. हरिओम ने अपनी सधी हुई गायकी और भावपूर्ण प्रस्तुति से समां बांध दिया। ''''''''इश्क की इंतहा हो गई..तू मेरी दिलरुबा हो गई'''''''' आदि रचनाओं पर खूब तालियां बजीं।
‘शाम-ए-सुकून, शाम-ए-गजल’ में डॉ. हरिओम की गजलों ने श्रोताओं को शांति, संवेदना और सौंदर्य के भाव से सराबोर कर दिया। उन्होंने ''''''''मैं तेरे प्यार का मारा हुआ हूं, सिकंदर हूं मगर हारा हुआ हूं..'''''''', क्लासिक गजल ''''''''तुम को देखा तो खयाल आया'''''''', ''''''''दिल दीवाना तेरे नगमे गाता है, जाने कैसे कैसे ख्वाब दिखाता है..'''''''', हमीं से मुहब्बत छुपाए हुए हैं, जमाने को अपना बनाए हुए हैं'''''''' जैसे गजलों से उन्होंने अंत तक लोगों को बांधे रखा।
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मुझे ख्वाबों में रहना बहुत पसंद है : इरा टॉक
रविवार को दूसर सत्र साहित्य के नाम रहा। ''''''''कविता : तीन लेखक तीन कहानियां'''''''' विषयक इस सत्र में लेखिका इरा टॉक, लेखक यशवंत व्यास व वरिष्ठ पत्रकार सुनील द्विवेदी ने विचार साझा किए। इरा टॉक ने गोरखपुर से अपने रिश्ते की कहानी बताई। उन्होंने अपनी कहानी ''''''''बेगम साहिबा'''''''' का उल्लेख करते हुए कहा कि मुझे ख्वाबो में रहना बहुत पसंद है। वायरल की तरह नहीं बल्कि मोहब्बत लाइलाज बीमारी की तरह होनी चाहिए। यशवंत व्यास और सुनील द्विवेदी ने अपने-अपने अनुभव साझा किए। ''''''''वर्तमान भारतीय राजनीति में पक्ष विपक्ष और लोक'''''''' विषयक सत्र में यूपी के पूर्व बेसिक शिक्षा मंत्री डॉ. सतीश द्विवेदी और कांग्रेस नेत्री यशस्विनी सहाय ने बेबाकी से अपने विचार रखे। डॉ. सतीश द्विवेदी ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र बेहद परिपक्व है जहां मुद्दे हमेशा जनता ही तय करती है। जो जनता के बीच में रहेगा वही जनता का विश्वास जीतेगा, शेष अन्य मुद्दे आते-जाते रहेंगे। यशस्विनी सहाय ने कहा कि आज के समय में विपक्ष को अपने मुद्दों को रखने के लिए पर्याप्त अवसर नहीं मिलते हैं। सरकार सीधे तौर पर सवालों से भाग रही है। राजनीति में महिलाओं की सक्रिय भागीदारी आज भी व्यावहारिक तौर पर एक स्वप्न ही है।
विरह की पीड़ा कही ना जाए...
शाम के सत्र में गोरखपुर कथक केन्द्र की नृत्यांगनाओं की ओर से विनोद गंगानी के निर्देशन में कथक नृत्य की भावपूर्ण प्रस्तुति की गई। कृष्ण भक्ति से सराबोर विरह गीत ''''''''शाम ढले पर श्याम न आए, विरह की पीड़ा कही ना जाए'''''''' पर नृत्य को दर्शकों ने खूब सराहा। अन्य प्रस्तुतियों को भी खूब सराहना मिली।
युवा रचनाकारों को किया गया पुरस्कृत
डॉ. रजनीकांत श्रीवास्तव ''''''''नवाब'''''''' स्मृति युवा रचनाकार प्रतियोगिता-2025 के विजेताओं को पुरस्कृत कर सम्मानित किया गया। हिंदी कविता लेखन के जूनियर वर्ग में निखिल प्रसाद मौर्य प्रथम, सिद्धि सिंह द्वितीय और निकिता प्रियदर्शनी तृतीय रहीं। सीनियर वर्ग में राघवेन्द्र मिश्र प्रथम, मयंक मिश्र द्वितीय और अंकिता दूबे दर्शन तृतीय रहीं। हिंदी लघुकथा लेखन के जूनियर वर्ग में प्रिया मौर्य प्रथम, पल्लवी त्रिपाठी द्वितीय और शुभाजीत राम त्रिपाठी तृतीय रहे। सीनियर वर्ग में प्रिया प्रजापति प्रथम, संज्ञा पांडेय द्वितीय और शिवानी सिंह तृतीय रहीं। अंग्रेजी कविता लेखन के जूनियर वर्ग में मिताली तिवारी प्रथम, पान्या द्वितीय और हलीमा आफरीन तृतीय स्थान पर रहीं। सीनियर वर्ग में सैयद जरीका तसनीम प्रथम, नैन्सी जायसवाल द्वितीय और प्रतांजलि सिंह तृतीय रहीं। अंग्रेजी लघुकथा लेखन के जूनियर वर्ग में अलंकृति गर्ग प्रथम, शरया फातिमा द्वितीय और भूमि मालानी तृतीय रहीं। सीनियर वर्ग में अमृता रावत प्रथम और हर्षिता मित्रा द्वितीय रहीं।
कार्टून में शिवान्या लारा व सुशील चन्द्र विजयी
राजीव केतन स्मृति कार्टून प्रतियोगिता के विजेताओं को उनकी रचनात्मकता के लिए सम्मानित किया गया। जूनियर वर्ग में शिवान्या लारा प्रथम, शिवम गुप्ता द्वितीय व सोनी निषाद तृतीय रहीं। गायत्री को सांत्वना पुरस्कार मिला। सीनियर वर्ग में उत्कृष्ट योगदान के लिए सुशील चन्द्र को विशेष सम्मान प्रदान किया गया। निर्णायक की भूमिका प्रदीप सुविज्ञ एवं प्रो. निशा जायसवाल ने निभाई।
डॉ. विश्वनाथ, डॉ. रामचेत और डॉ. प्रवीन को प्राइड ऑफ गोरखपुर सम्मान
छठवें सत्र में स्व. पीके लाहिड़ी स्मृति प्राइड ऑफ गोरखपुर पुरस्कार समारोह का आयोजन किया गया। इसमें प्रख्यात साहित्यकार पद्मश्री विश्वनाथ प्रसाद तिवारी, कृषि वैज्ञानिक पद्मश्री रामचेत चौधरी और कार्डियोलॉजिस्ट पद्मश्री डॉ. प्रवीन चंद्रा को इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
