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Gorakhpur News: अकादमिक शोध को सामाजिक और औद्योगिक उपयोगिता से जोड़ें
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- एमएमएमयूटी के कंप्यूटर साइंस विभाग की ओर से आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का समापन
अमर उजाला ब्यूरो
गोरखपुर। मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता शोध प्रो. आरके यादव ने कहा कि उन्नत शोध का लाभ आमजन को मिले इसके लिए अंतरविषयक सहयोग आवश्यक है। अकादमिक शोध को सामाजिक एवं औद्योगिक उपयोगिता से जोड़ने की आवश्यकता है।
प्रो. यादव रविवार को विश्वविद्यालय के कंप्यूटर साइंस एवं इंजीनियरिंग विभाग की ओर से आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के समापन सत्र को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि विभिन्न विषयों के शोधकर्ता अपने आपको अपने विषय की सीमाओं में न बांधे बल्कि अंतरानुशासनिक विषयों को अपने शोध का विषय बनाएं।
एनआईटी वारंगल के प्रो. मनीष वाजपेयी ने बतौर विशेषज्ञ कहा कि वर्तमान समय में एआई के क्षेत्र में सार्थक प्रगति तभी संभव है जब शोधकर्ता, शिक्षण संस्थान और उद्योग एक साथ मिलकर कार्य करें। वास्तविक दुनिया की जटिल समस्याओं को हल करने के लिए केवल तकनीकी उन्नति ही पर्याप्त नहीं बल्कि इसके लिए अनुसंधान को व्यावहारिक अनुप्रयोगों से जोड़ना होगा।
गोल्डस्मिथ यूनिवर्सिटी, लंदन की प्रो. अक्षी कुमार ने ज्ञान साझाकरण, निरंतर नवाचार और वैश्विक स्तर पर सहयोग की अहमियत पर बल दिया। कंप्यूटर साइंस विभाग के अध्यक्ष प्रो. राकेश कुमार ने बताया कि ''''''''मशीन विजन एंड ऑगमेंटेड इंटेलिजेंस'''''''' विषयक सम्मेलन में देश-दुनिया के शोधार्थियों ने 44 शोध पत्र प्रस्तुत किए। इसमें मशीन विजन, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, मशीन लर्निंग, डीप लर्निंग, स्मार्ट सिस्टम्स, साइबर-फिजिकल सिस्टम्स और नैतिक एआई जैसे विषयों पर गंभीर चर्चा हुई। संयोजन डॉ. अवनीश कुमार एवं डॉ. लोकेंद्र सिंह उमराव ने किया।
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अमर उजाला ब्यूरो
गोरखपुर। मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता शोध प्रो. आरके यादव ने कहा कि उन्नत शोध का लाभ आमजन को मिले इसके लिए अंतरविषयक सहयोग आवश्यक है। अकादमिक शोध को सामाजिक एवं औद्योगिक उपयोगिता से जोड़ने की आवश्यकता है।
प्रो. यादव रविवार को विश्वविद्यालय के कंप्यूटर साइंस एवं इंजीनियरिंग विभाग की ओर से आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के समापन सत्र को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि विभिन्न विषयों के शोधकर्ता अपने आपको अपने विषय की सीमाओं में न बांधे बल्कि अंतरानुशासनिक विषयों को अपने शोध का विषय बनाएं।
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एनआईटी वारंगल के प्रो. मनीष वाजपेयी ने बतौर विशेषज्ञ कहा कि वर्तमान समय में एआई के क्षेत्र में सार्थक प्रगति तभी संभव है जब शोधकर्ता, शिक्षण संस्थान और उद्योग एक साथ मिलकर कार्य करें। वास्तविक दुनिया की जटिल समस्याओं को हल करने के लिए केवल तकनीकी उन्नति ही पर्याप्त नहीं बल्कि इसके लिए अनुसंधान को व्यावहारिक अनुप्रयोगों से जोड़ना होगा।
गोल्डस्मिथ यूनिवर्सिटी, लंदन की प्रो. अक्षी कुमार ने ज्ञान साझाकरण, निरंतर नवाचार और वैश्विक स्तर पर सहयोग की अहमियत पर बल दिया। कंप्यूटर साइंस विभाग के अध्यक्ष प्रो. राकेश कुमार ने बताया कि ''''''''मशीन विजन एंड ऑगमेंटेड इंटेलिजेंस'''''''' विषयक सम्मेलन में देश-दुनिया के शोधार्थियों ने 44 शोध पत्र प्रस्तुत किए। इसमें मशीन विजन, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, मशीन लर्निंग, डीप लर्निंग, स्मार्ट सिस्टम्स, साइबर-फिजिकल सिस्टम्स और नैतिक एआई जैसे विषयों पर गंभीर चर्चा हुई। संयोजन डॉ. अवनीश कुमार एवं डॉ. लोकेंद्र सिंह उमराव ने किया।
