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Gorakhpur News: वेज बिरयानी में सिंथेटिक रंग...बेसन लड्डू में मिला रहे खराब तेल
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गोरखपुर। अगर बाजार में दुकान में बन और बिक रहे चिकन बिरयानी के शौकीन हैं, तो सावधान हो जाइए। धंधेबाजों ने आपकी सेहत को झटका देने की पूरी तैयारी कर रखी है। धंधेबाज इसे लजीज बनाने के लिए सेहत के लिए हानिकारक सिंथेटिक रंग का तड़का लगा रहे हैं। दो महीने पहले खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम ने छह दुकानों से चिकन बिरयानी, बेसन के लड्डू, जीरा पाउडर और पनीर के नमूने लिए थे। जांच में ये सभी नमूने फेल हो गए हैं।
जांच रिपोर्ट से पता चला है कि बेसन के लड्डू में भी मिलावट की जा रही है। जीरा पाउडर में गुजरात से मंगाई जा रही घास मिलाई जा रही है। इसके अलावा पनीर भी मिलावटी मिला है। डॉक्टरों का कहना है कि मिलावटी खाद्य सामग्री खाने से लिवर पर असर पड़ेगा और पीलिया भी हो सकती है।
वेज बिरयानी में सिंथेटिक रंग की पुष्टि हुई, जबकि रिफाइंड आयल में अधिक एसिड पाया गया है। यानी तेल को कई बार इस्तेमाल में लाया गया था। जांच टीम ने धर्मशाला रोड स्थित स्काई गेट हॉस्पिटैलिटी प्रालि के प्रबंधक तेज बहादुर के प्रतिष्ठान से वेज बिरयानी का नमूना लिया था। जांच में सिंथेटिक रंग की मात्रा पाई गई। इसी प्रकार बड़हलगंज, गोला रोड स्थित फर्म मेसर्स अंकित कुमार शिवम कुमार की दुकान से रिफाइंड सोयाबीन ऑयल का नमूना लिया गया था। प्रयोगशाला रिपोर्ट में इसका सैपोनिफिकेशन वैल्यू कम और एसिड वैल्यू अधिक होने के कारण इसमें मिलावटी साबित हुआ।
शहर के जटाशंकर चौक स्थित प्रतिष्ठान मेसर्स श्री मेवा स्वीट एंड फास्ट फूड कारोबारी रामजय प्रसाद मोदनवाल की दुकान से बेसन के लड्डू का नमूना लिया गया था। जांच रिपोर्ट में प्रयोग किया गया खाद्य तेल खराब मिला। खजनी स्थित विक्रेता राम सरन मौर्या के यहां से पनीर का नमूना लिया गया था। जांच में दुग्ध वसा की मात्रा 42.1 प्रतिशत पाई गई, जो कि निर्धारित मानक (न्यूनतम 50 प्रतिशत) से कम है। पनीर में मिलावट की पुष्टि हुई। इसे अधोमानक पाया गया।
कल्यानपुर, बड़हलगंज स्थित प्रतिष्ठान मां विंध्यवासिनी ट्रेडर्स के विक्रेता भरत यादव के यहां से ''''उन्नति बेकरी'''' की ओर से निर्मित रस्क (पैक्ड) का नमूना लिया गया था। जांच में वसा की अम्लता निर्धारित सीमा से अधिक पाई गई और लेबल पर वनस्पति तेल का विवरण न होने के कारण इसे ''''अधोमानक और मिथ्याछाप'''' घोषित किया गया।
हार्बर्ट बांध ट्रांसपोर्टनगर स्थित ''''मेसर्स शंकर एजेंसी'''' से जीरा पाउडर का नमूना लिया गया था। जांच में इसमें ''''वोलाटाइल आयल'''' की मात्रा 1.1 प्रतिशत पाई गई, जो मानक 1.3 प्रतिशत से कम होने के कारण अधोमानक है।
पेट की बीमारियों के साथ सिंथेटिक रंग से एलर्जी का भी खतरा
केमिकलयुक्त खाद्य पदार्थ खाने से लिवर और किडनी से संबंधित समस्या हो सकती है। यदि ऐसे मिलावट वाली खाद्य सामग्री का सेवन लगातार करते हैं तो पीलिया भी हो सकती है। सिंथेटिक रंग से स्वास्थ्य को काफी नुकसान पहुंच सकता है। इसके सेवन से एलर्जी की समस्या, सांस फूलना, पेट में दर्द, ऐंठन, सूजन, इम्यूनिटी सिस्टम पर असर पड़ सकता है।
-डॉ बीके सुमन, फिजिशियन, जिला अस्पताल
खाद्य सुरक्षा विभाग की जांच में लिए गए छह नमूने फेल हो गए हैं। सभी मामलों में खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम, 2006 की सुसंगत धाराओं के अंतर्गत संबंधित न्यायालय के समक्ष वाद दायर किए जाएंगे। मिलावटखोरों के विरुद्ध विभाग का अभियान लगातार जारी रहेगा।
-डॉ. सुधीर कुमार सिंह, सहायक आयुक्त खाद्य सुरक्षा
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वेज बिरयानी में सिंथेटिक रंग की पुष्टि हुई, जबकि रिफाइंड आयल में अधिक एसिड पाया गया है। यानी तेल को कई बार इस्तेमाल में लाया गया था। जांच टीम ने धर्मशाला रोड स्थित स्काई गेट हॉस्पिटैलिटी प्रालि के प्रबंधक तेज बहादुर के प्रतिष्ठान से वेज बिरयानी का नमूना लिया था। जांच में सिंथेटिक रंग की मात्रा पाई गई। इसी प्रकार बड़हलगंज, गोला रोड स्थित फर्म मेसर्स अंकित कुमार शिवम कुमार की दुकान से रिफाइंड सोयाबीन ऑयल का नमूना लिया गया था। प्रयोगशाला रिपोर्ट में इसका सैपोनिफिकेशन वैल्यू कम और एसिड वैल्यू अधिक होने के कारण इसमें मिलावटी साबित हुआ।
शहर के जटाशंकर चौक स्थित प्रतिष्ठान मेसर्स श्री मेवा स्वीट एंड फास्ट फूड कारोबारी रामजय प्रसाद मोदनवाल की दुकान से बेसन के लड्डू का नमूना लिया गया था। जांच रिपोर्ट में प्रयोग किया गया खाद्य तेल खराब मिला। खजनी स्थित विक्रेता राम सरन मौर्या के यहां से पनीर का नमूना लिया गया था। जांच में दुग्ध वसा की मात्रा 42.1 प्रतिशत पाई गई, जो कि निर्धारित मानक (न्यूनतम 50 प्रतिशत) से कम है। पनीर में मिलावट की पुष्टि हुई। इसे अधोमानक पाया गया।
कल्यानपुर, बड़हलगंज स्थित प्रतिष्ठान मां विंध्यवासिनी ट्रेडर्स के विक्रेता भरत यादव के यहां से ''''उन्नति बेकरी'''' की ओर से निर्मित रस्क (पैक्ड) का नमूना लिया गया था। जांच में वसा की अम्लता निर्धारित सीमा से अधिक पाई गई और लेबल पर वनस्पति तेल का विवरण न होने के कारण इसे ''''अधोमानक और मिथ्याछाप'''' घोषित किया गया।
हार्बर्ट बांध ट्रांसपोर्टनगर स्थित ''''मेसर्स शंकर एजेंसी'''' से जीरा पाउडर का नमूना लिया गया था। जांच में इसमें ''''वोलाटाइल आयल'''' की मात्रा 1.1 प्रतिशत पाई गई, जो मानक 1.3 प्रतिशत से कम होने के कारण अधोमानक है।
पेट की बीमारियों के साथ सिंथेटिक रंग से एलर्जी का भी खतरा
केमिकलयुक्त खाद्य पदार्थ खाने से लिवर और किडनी से संबंधित समस्या हो सकती है। यदि ऐसे मिलावट वाली खाद्य सामग्री का सेवन लगातार करते हैं तो पीलिया भी हो सकती है। सिंथेटिक रंग से स्वास्थ्य को काफी नुकसान पहुंच सकता है। इसके सेवन से एलर्जी की समस्या, सांस फूलना, पेट में दर्द, ऐंठन, सूजन, इम्यूनिटी सिस्टम पर असर पड़ सकता है।
-डॉ बीके सुमन, फिजिशियन, जिला अस्पताल
खाद्य सुरक्षा विभाग की जांच में लिए गए छह नमूने फेल हो गए हैं। सभी मामलों में खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम, 2006 की सुसंगत धाराओं के अंतर्गत संबंधित न्यायालय के समक्ष वाद दायर किए जाएंगे। मिलावटखोरों के विरुद्ध विभाग का अभियान लगातार जारी रहेगा।
-डॉ. सुधीर कुमार सिंह, सहायक आयुक्त खाद्य सुरक्षा