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एनईपी में ग्रेस मार्क्स खत्म: उम्मीदों को झटका, फेल होने वाले छात्रों को अब नहीं मिलेगा ये मौका
अमर उजाला ब्यूरो, गोरखपुर
Published by: रोहित सिंह
Updated Mon, 29 Dec 2025 04:42 PM IST
सार
डीडीयू प्रशासन ने सितंबर महीने में एक कमेटी गठित की थी। समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। समिति की रिपोर्ट के मुताबिक, नई शिक्षा नीति के तहत ग्रेस मार्क्स दिया जाना व्यावहारिक नहीं होगा। समिति की ओर से रिपोर्ट के बाद अब छात्रों को पुराने विकल्पों पर ही निर्भर रहना होगा।
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गोरखपुर विश्वविद्यालय( सांकेतिक)
- फोटो : डीडीयू सोशल मीडिया पेज
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विस्तार
दीनदयाल उपाध्याय उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय और संबद्ध कॉलेजों के उन छात्रों की उम्मीदों को झटका लगा है, जिन्हें एक पेपर में फेल हो जाने पर पूरे साल इंतजार करना पड़ता है। डीडीयू प्रशासन ने ग्रेस मार्क्स दिए जाने को लेकर समिति गठित की थी। उस समिति ने ग्रेस मार्क्स की व्यावहारिकता को खारिज कर दिया है।
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डीडीयू और संबद्ध कॉलेजों में पढ़ने वाले छात्रों में हर साल बड़ी संख्या में छात्र एक पेपर में फेल हो जाते हैं। इसके बाद उनके पास सिर्फ तीन विकल्प होते हैं। पहला मिले हुए अंकों को चैलेंज करना। दूसरा, आरटीआई के माध्यम से कॉपी निकालकर स्क्रूटनी कराना और तीसरा, बैक पेपर। छात्रों के पास बैक पेपर का ही विकल्प ज्यादा मुफीद होता है।
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इस वजह से उन्हें एक साल का इंतजार करना पड़ता है। इस वजह से कई छात्रों की पढ़ाई बीच में ही छूट जाती है तो कई के लिए बैक पेपर उत्तीर्ण करना और चुनौतीपूर्ण हो जाता है।
पुराने विकल्पों पर रहना होगा निर्भर
डीडीयू प्रशासन ने सितंबर महीने में एक कमेटी गठित की थी। समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। समिति की रिपोर्ट के मुताबिक, नई शिक्षा नीति के तहत ग्रेस मार्क्स दिया जाना व्यावहारिक नहीं होगा। समिति की ओर से रिपोर्ट के बाद अब छात्रों को पुराने विकल्पों पर ही निर्भर रहना होगा।
छात्रों के ग्रेस मार्क्स दिए जाने को लेकर समिति बनाई गई थी। समिति ने एनईपी-2020 के प्रावधानों का उल्लेख किया है। ग्रेस मार्क्स न दिए जाने की संस्तुति की गई है: प्रो. पूनम टंडन, कुलपति, डीडीयू
