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UP: जमीन बेचने पर चाचा को मृत बता भिजवाया जेल... डीएनए जांच में खुला खेल, तीन महीने बाद हुआ रिहा

अमर उजाला ब्यूरो, गोरखपुर Published by: आकाश दुबे Updated Fri, 19 Dec 2025 02:20 PM IST
सार

गोरखपुर के खोराबार का मामला है। हाईकोर्ट के निर्देश पर डीएनए जांच में शिकायतकर्ता भतीजे से रक्त संबंध मिला है। तीन माह बाद रिहा रामकेवल हुए हैं।

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Uncle declared dead for selling land and sent to jail in Gorakhpur DNA test reveals scam
रामकेवल - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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खोराबार थाना क्षेत्र के छितौना गांव में जमीन के एक सौदे के बाद भतीजे ने अपने चाचा को मृत बताकर फंसा दिया। उन्हें जालसाजी के आरोप में जेल जाना पड़ा मगर हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के आदेश पर हुई डीएनए जांच में खेल खुल गया। जांच में पुष्टि के बाद साबित हो गया कि रामकेवल से शिकायतकर्ता रामसरन के रक्त संबंध हैं, इसलिए वही असली चाचा हैं।

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डीएनए रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट ने रामकेवल की गिरफ्तारी और जेल में निरुद्ध किए जाने को गैरकानूनी मानते हुए उसकी तत्काल रिहाई का आदेश दिया। सभी औपचारिकताएं पूरी कर बुधवार को तीन महीने बाद रामकेवल को रिहा कर दिया गया। पुलिस अब केस डायरी को अपडेट कराएगी और विवेचना में चूक की जांच कराकर आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करेगी।
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रिश्तों में हुई साजिश की इस घटना ने खोराबार इलाके के लोगों को हिला डाला है। पूरे क्षेत्र में यह प्रकरण बेहद चर्चा में है। दरअसल, मामला छितौना गांव की एक जमीन की बिक्री से जुड़ा है। जमीन मालिक रामकेवल पुत्र विपत की जमीन का सौदा होने के बाद उनके भतीजे रामसरन ने विवाद खड़ा कर दिया था। रामसरन ने आरोप लगाया था कि उसके चाचा रामकेवल की पहले ही मौत हो चुकी है। किसी फर्जी व्यक्ति ने खुद को रामकेवल बताकर जमीन बेच दी है। इसी आधार पर उसने जमीन के खरीदार, उसकी पत्नी और जमीन बेचने वाले व्यक्ति के खिलाफ फर्जीवाड़े सहित अन्य गंभीर धाराओं में प्राथमिकी दर्ज कराई थी।

जांच के दौरान पुलिस ने आधार कार्ड समेत कुछ दस्तावेजों में पिता के नाम में अंतर को अहम आधार बनाया और यह मान लिया कि जमीन बेचने वाला व्यक्ति असली रामकेवल नहीं है। इसी निष्कर्ष पर पहुंचते हुए पुलिस ने चार्जशीट दाखिल कर दी। मामला अदालत में ट्रायल तक पहुंचा लेकिन रामकेवल कोर्ट में पेश नहीं हुए। इसके बाद न्यायालय ने उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी कर दिया। 20 सितंबर को गगहा पुलिस ने रामकेवल को वारंटी के रूप में गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया था।

रामकेवल की बहन ने इलाहाबाद हाईकोर्ट (लखनऊ बेंच) में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल की। याचिका में स्पष्ट रूप से कहा गया कि प्राथमिकी रामकिशुन के पुत्र रामकेवल के खिलाफ दर्ज की गई थी, जबकि पुलिस ने गलत पहचान के चलते विपत के पुत्र रामकेवल को गिरफ्तार कर लिया। उन्हें अवैध रूप से जेल में निरुद्ध कर दिया गया। न्यायमूर्ति जेजे मुनीर और न्यायमूर्ति संजीव कुमार की खंडपीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए सचाई सामने लाने के लिए डीएनए जांच का आदेश दिया। कोर्ट के निर्देश पर फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (एफएसएल) की टीम ने शिकायतकर्ता रामसरन और आरोपित रामकेवल के डीएनए सैंपल एकत्र किए। डीएनए रिपोर्ट में यह पुष्टि हो गई कि रामकेवल का रामसरन के परिवार से ही रक्त संबंध है।

डीएनए रिपोर्ट को निर्णायक मानते हुए कोर्ट ने यह माना कि रामकेवल को गलत पहचान के आधार पर गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था, जो पूरी तरह गैरकानूनी है। इसके बाद कोर्ट ने उसकी तत्काल रिहाई का आदेश दिया। कोर्ट के आदेश के अनुपालन में जेल प्रशासन ने सभी औपचारिकताएं पूरी कर रामकेवल को रिहा कर दिया। इस घटनाक्रम ने पुलिस की जांच प्रक्रिया पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। अब उम्मीद जताई जा रही है कि डीएनए रिपोर्ट के आधार पर पूरे प्रकरण की दोबारा समीक्षा की जाएगी।

केस डायरी को अपडेट किया जाएगा और यह देखा जाएगा कि विवेचना में कहां चूक हुई। यदि यह साबित होता है कि गलत साक्ष्यों और पहचान के आधार पर किसी निर्दोष को जेल भिजवाया गया है तो जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई की संस्तुति भी की जा सकती है। - योगेंद्र सिंह, सीओ कैंट

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