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Gorakhpur News:सुहागिनें 13 घंटे 6 मिनट रहेंगी निर्जल व्रत,पति के लंबी उम्र की करेंगी कामना-जानिए मुहूर्त

अमर उजाला ब्यूरो, गोरखपुर Published by: रोहित सिंह Updated Sat, 19 Oct 2024 06:06 PM IST
सार

हिंदू पंचांग के मुताबिक, करवाचौथ का व्रत सुबह 6:46 बजे से शुरू होकर रात 7:40 बजे तक रहेगा. यानी पति के लिए सुहागिनें 20 अक्टूबर दिन रविवार को 13 घंटे 10 मिनट का व्रत रखेंगी. इस बार करवाचौथ पर गज केसरी योग पड़ रहा है, जो बहुत ही शुभाशुभ है.

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Women will observe waterless fast on the day of Karva Chauth fast in Gorakhpur.
करवा चौथ का व्रत - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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करवा चौथ का व्रत कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को किया जाता है। व्यतिपात व वारियान योग में इस बार करवा चौथ 20 अक्तूबर रविवार को मनाया जाएगा। पति की लंबी उम्र के लिए सुहागिनें निर्जल व्रत रहकर पूजा-अर्चना करेंगी। चांद व पति को चलनी में देखकर पति के हाथ से जल ग्रहण कर व्रत को पूर्ण करेंगी।

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श्री गोरक्षनाथ मंदिर के मठ पुरोहित व संस्कृत विद्यापीठ के वेद प्रवक्ता अश्वनी त्रिपाठी के अनुसार, 20 अक्तूबर रविवार को कार्तिक कृष्ण तृतीया तिथि का मान दिन में 10 बजकर 46 मिनट तक है। इसके बाद चतुर्थी तिथि हो जा रही है। दिन में 1 बजकर 15 मिनट पश्चात रोहिणी नक्षत्र है।

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Women will observe waterless fast on the day of Karva Chauth fast in Gorakhpur.
करवा चौथ 2024 - फोटो : अमर उजाला
इसी में चंद्रोदय रात में 7 बजकर 40 मिनट पर होगा। इससे इस समय व्यतिपात और वरीयान दोनों योग बन रहा है। चंद्रमा की स्थिति रोहिणी नक्षत्र पर (उच्च का होने से) यह परिवार में शुभता प्रदान करने वाला और दांपत्य जीवन में मधुरता का संचार करने वाला होगा।

पंडित विकास मालवीय ने बताया कि हिंदू पंचांग के मुताबिक, करवाचौथ का व्रत सुबह 6:46 बजे से शुरू होकर रात 7:40 बजे तक रहेगा। यानी पति के लिए सुहागिनें 20 अक्टूबर दिन रविवार को 13 घंटे 10 मिनट का व्रत रखेंगी।

Women will observe waterless fast on the day of Karva Chauth fast in Gorakhpur.
करवा चौथ - फोटो : amar ujala
इस बार करवाचौथ पर गज केसरी योग पड़ रहा है, जो बहुत ही शुभाशुभ है. इस दिन नियम से व्रत पूजन करने से पति की आयु, यश और समृद्धि होती है. वहीं, इस बार उच्च राशि का चंद्रमा होने से अक्षत सुहाग के शुभ मांगलिक योग हैं. चंद्रोदय रविवार रात 07.56 बजे होगा.-

ऐसे होती है पूजा-अर्चना
गोरखनाथ मंदिर संस्कृत विद्यापीठ के सहायक आचार्य डॉ. प्रांगेश कुमार मिश्र ने बताया कि करवा चौथ का चित्र दीवार पर अथवा कागज पर बनाया जाता है, जिसमें सूर्य, चंद्रमा, गंगा, यमुना ,भाई- बहन, हरि गौरी इत्यादि के चित्र बनाए जाते हैं। चंद्रमा निकलने से पूर्व पूजा स्थल रंगोली अथवा अल्पना से सजाया जाता है।

तथा एक करवा रखी जाती है उसमें पांच अथवा सात सीक डाल दी जाती है। करवां मिट्टी का होता है। फिर रात में चंद्रमा निकलने पर चंद्र दर्शन कर अर्घ्य दिया जाता है। चंद्रमा का दर्शन छलनी (चलनी) से किया जाता है। चंद्रमा के चित्र पर निरंतर जल धारा छोड़ी जाती है तथा सुहाग और समृद्धि की कामना की जाती है। पति के हाथ से जल ग्रहण कर व्रत का समापन होता है।
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