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गायों में लंपी स्किन डिजीज ने बढ़ाई चिंता

Amar Ujala Bureau अमर उजाला ब्यूरो
Updated Tue, 19 Oct 2021 11:21 PM IST
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Lumpy skin disease in cows raised concerns
गाय में आई बीमारी दिखाते गांव काजलहेड़ी के पशुपालक रमेश गोदारा। - फोटो : Fatehabad
फतेहाबाद। पशुओं में एकदम से आई लंपी स्किन डिजीज (एलएसडी) ने पशुपालकों की चिंता बढ़ा दी है। एक तरह से पशुओं में यह वायरल है, जिसकी चपेट में गायें अधिक आ रही हैं। इस बीमारी की चपेट में आई गायों के शरीर पर फोड़े (फफोले) होने लगते हैं, जिनमें पानी भरा होता है। समय पर सही इलाज नहीं मिलने पर इन फोड़ों से घाव बन जाता है, जो पशु की परेशानी बढ़ा देता है।
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पशुपालकों का कहना है कि जिन गांवों में बारिश के बाद ज्यादा और कई दिन तक जलभराव रहा था, उन गांवों में यह समस्या अधिक आई है। अभी ज्यादातर पशुपालक अपने स्तर पर ही प्राइवेट पशु चिकित्सकों से इलाज करवा रहे हैं। पशुपालन विभाग की कोई विशेष टीम इन गांवों का दौरा करने नहीं गई है। जानकारी के अनुसार प्रदेश सरकार ने इस बीमारी को महामारी घोषित किया हुआ है। पशुपालकों की मानें तो गांव काजलहेड़ी, खजूरी जाटी, बड़ोपल, खाराखेड़ी आदि गांवों में अधिक आई हुई है। इसमें पशु को लगातार बुखार रहता है। इससे पशु 70 से 80 फीसदी तक चरना बंद कर देता है। इलाज नहीं मिलने की स्थिति में पशु की मौत भी हो जाती है। मगर अभी तक जिले में इस बीमारी से मौत का कोई मामला सामने नहीं आया है।
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इतना आ रहा खर्च
जिले में ज्यादातर पशुपालक प्राइवेट चिकित्सक से ही पशुओं का इलाज करवा रहे हैं। प्राइवेट डॉक्टर पशु की स्थिति, बुखार का स्तर व लार को जांचने के बाद ही इंजेक्शन लगाते हैं। पहली डोज का खर्च 250 रुपये आता है। इसके बाद दूसरी डोज लगवाने पर 150 रुपये खर्च होते हैं। इस तरह एक पशु के इलाज पर 400 से 500 रुपये तक खर्चा आ रहा है।
यह सावधानी बरतें पशुपालक
पशु चिकित्सकों के अनुसार यह बीमारी एक-दूसरे के संक्रमण से आगे फैलती है। अगर किसी पशु को यह बीमारी हो जाती है तो उस पशु को अन्य पशुओं से अलग रखना चाहिए। तुरंत इसकी जानकारी पशु चिकित्सक को देकर इलाज शुरू करवाएं। ज्यादा परेशानी आएं तो पशुपालन विभाग को सूचना दें।
मरी चार गायों में यह बीमारी है
मेरी चार गायों में यह बीमारी आ चुकी है। प्राइवेट चिकित्सक से ही इलाज करवाया है। अभी तक इसका कोई पूर्ण इलाज नहीं बताया गया है। चिकित्सक सिर्फ अपने विवेक के आधार पर ही इंजेक्शन लगा रहे हैं। जिन गांवों में ज्यादा जलभराव हुआ था, वहां यह बीमारी अधिक है।
रमेश गोदारा, पशुपालक, गांव काजलहेड़ी।
पशुओं को लेकर चिंता तो बढ़ी है
भैंसों से ज्यादा गायों में यह बीमारी दिख रही है। शरीर पर फोड़ा हो जाता है। अगर उसका भराव न हो तो मक्खियां बैठने से जख्म बन जाता है। पशुओं को लेकर चिंता तो बढ़ी हुई है।
रामनिवास ईशरवाल, पशुपालक, गांव काजलहेड़ी
कोट
एलएसडी एक वायरल बुखार है। अभी इसका फतेहाबाद जिले में ज्यादा असर नहीं है। पशुपालक सावधानियां रखें। अगर किसी पशु में बीमारी आए तो उसे दूसरे पशुओं से अलग कर दें और सही ट्रीटमेंट दिलवाएं।
डॉ. काशीराम, उपनिदेशक, पशुपालन विभाग, फतेहाबाद
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