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Jind News: पिंड तारक तीर्थ में श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी
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19जेएनडी22: पिंडारा तीर्थ पर पिंडदान करवाते श्रद्वालु। स्रोत : ग्रामीण
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संवाद न्यूज एजेंसी
जींद। गांव पांडु पिंडारा स्थित पिंडतारक तीर्थ में शुक्रवार सुबह पौष अमावस्या के अवसर पर श्रद्धा और आस्था का अद्भुत संगम देखने को मिला।कड़ाके की ठंड और घने कोहरे में श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई। श्रद्धालुओं ने सरोवर में स्नान कर पिंडदान व तर्पण किया। अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की।
वीरवार शाम से ही दूर-दराज के क्षेत्रों से श्रद्धालुओं का तीर्थ पर पहुंचना शुरू हो गया था। पूरी रात धर्मशालाओं में सत्संग, भजन और कीर्तन का आयोजन चलता रहा। शुक्रवार सुबह से ही सरोवर के घाटों पर स्नान और पिंडदान का सिलसिला शुरू हो गया, जो दोपहर बाद तक जारी रहा।
श्रद्धालुओं ने सूर्य देव को जल अर्पित कर सुख-समृद्धि की कामना की। जयंती देवी मंदिर के पुजारी नवीन शास्त्री ने बताया कि पिंडतारक तीर्थ का उल्लेख महाभारत काल से जुड़ा है।
मान्यता है कि महाभारत युद्ध के बाद पांडवों ने अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए यहां 12 वर्षों तक सोमवती अमावस्या की प्रतीक्षा करते हुए तपस्या की थी। सोमवती अमावस्या के दिन पिंडदान करने के बाद से ही यह विश्वास है कि यहां पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसी कारण विशेषकर सोमवती अमावस्या और पितृ विसर्जन की अमावस्या पर यहां पिंडदान का अत्यधिक महत्व है।
पुलिस बल पूरे दिन तैनात रहा
कड़ाके की ठंड और धुंध के बीच भी श्रद्धालुओं का आवागमन सुबह से ही जारी रहा। सुरक्षा और व्यवस्था को लेकर तीर्थ परिसर में पुलिस बल पूरे दिन तैनात रहा। महिला श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए महिला घाटों पर महिला पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगाई गई थी। घाटों पर आटे के पिंडों से फिसलन न हो, इसके लिए विशेष प्रबंध किए गए थे। वहीं वाहनों की सुचारू आवाजाही के लिए पार्किंग व्यवस्था पर भी पुलिस प्रशासन ने विशेष ध्यान दिया।
मेले में श्रद्धालुओं ने जमकर खरीददारी की
पौष अमावस्या के अवसर पर लगे मेले में श्रद्धालुओं ने जमकर खरीददारी की। तीर्थ परिसर के आसपास दुकानदारों ने फड़ियां सजा रखी थीं। बच्चों ने खिलौने खरीदे तो महिलाओं और बुजुर्गों ने घरेलू उपयोग का सामान लिया। धार्मिक आयोजन के साथ-साथ मेले की रौनक ने पिंडतारक तीर्थ के माहौल को और भी जीवंत बना दिया।
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जींद। गांव पांडु पिंडारा स्थित पिंडतारक तीर्थ में शुक्रवार सुबह पौष अमावस्या के अवसर पर श्रद्धा और आस्था का अद्भुत संगम देखने को मिला।कड़ाके की ठंड और घने कोहरे में श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई। श्रद्धालुओं ने सरोवर में स्नान कर पिंडदान व तर्पण किया। अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की।
वीरवार शाम से ही दूर-दराज के क्षेत्रों से श्रद्धालुओं का तीर्थ पर पहुंचना शुरू हो गया था। पूरी रात धर्मशालाओं में सत्संग, भजन और कीर्तन का आयोजन चलता रहा। शुक्रवार सुबह से ही सरोवर के घाटों पर स्नान और पिंडदान का सिलसिला शुरू हो गया, जो दोपहर बाद तक जारी रहा।
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श्रद्धालुओं ने सूर्य देव को जल अर्पित कर सुख-समृद्धि की कामना की। जयंती देवी मंदिर के पुजारी नवीन शास्त्री ने बताया कि पिंडतारक तीर्थ का उल्लेख महाभारत काल से जुड़ा है।
मान्यता है कि महाभारत युद्ध के बाद पांडवों ने अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए यहां 12 वर्षों तक सोमवती अमावस्या की प्रतीक्षा करते हुए तपस्या की थी। सोमवती अमावस्या के दिन पिंडदान करने के बाद से ही यह विश्वास है कि यहां पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसी कारण विशेषकर सोमवती अमावस्या और पितृ विसर्जन की अमावस्या पर यहां पिंडदान का अत्यधिक महत्व है।
पुलिस बल पूरे दिन तैनात रहा
कड़ाके की ठंड और धुंध के बीच भी श्रद्धालुओं का आवागमन सुबह से ही जारी रहा। सुरक्षा और व्यवस्था को लेकर तीर्थ परिसर में पुलिस बल पूरे दिन तैनात रहा। महिला श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए महिला घाटों पर महिला पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगाई गई थी। घाटों पर आटे के पिंडों से फिसलन न हो, इसके लिए विशेष प्रबंध किए गए थे। वहीं वाहनों की सुचारू आवाजाही के लिए पार्किंग व्यवस्था पर भी पुलिस प्रशासन ने विशेष ध्यान दिया।
मेले में श्रद्धालुओं ने जमकर खरीददारी की
पौष अमावस्या के अवसर पर लगे मेले में श्रद्धालुओं ने जमकर खरीददारी की। तीर्थ परिसर के आसपास दुकानदारों ने फड़ियां सजा रखी थीं। बच्चों ने खिलौने खरीदे तो महिलाओं और बुजुर्गों ने घरेलू उपयोग का सामान लिया। धार्मिक आयोजन के साथ-साथ मेले की रौनक ने पिंडतारक तीर्थ के माहौल को और भी जीवंत बना दिया।

19जेएनडी22: पिंडारा तीर्थ पर पिंडदान करवाते श्रद्वालु। स्रोत : ग्रामीण