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मनरेगा नाम बदलने के साथ योजना की संरचना में भी सरकार ने किए बदलाव : जयप्रकाश

संवाद न्यूज एजेंसी, कैथल Updated Sun, 21 Dec 2025 11:53 PM IST
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Along with changing the name of MNREGA, the government has also made changes in the structure of the scheme: Jaiprakash
21kht_40_कलायत में पत्रकारों से बात करते सांसद जयप्रकाश - फोटो : बहराइच में दिन भर छायी रही बदली
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कलायत। सांसद जयप्रकाश ने आरोप लगाया की सरकार का नाम बदलने का जुनून अब योजनाओं तक सीमित नहीं रहा बल्कि वह उन प्रतीकों को भी बदलना चाहती है। मनरेगा सीधे तौर पर महात्मा गांधी के नाम, विचारों, सत्य, अहिंसा और सामाजिक न्याय से जुड़ा है। ऐसे में सवाल उठता है कि गांधी वैश्विक स्तर पर स्वीकार्य हैं तो देश के भीतर उनसे जुड़ी योजनाओं के नाम बदलने की जरूरत क्यों महसूस की गई। रोजगार के कानूनी अधिकार को भगवान राम के नाम के साथ जोड़ना किसी भी दृष्टि से उचित नहीं है। अगर सरकार सिर्फ नाम बदलती तो शायद इतना विवाद न होता लेकिन नाम बदलने के साथ-साथ योजना की संरचना और आत्मा में भी बदलाव किए जा रहे हैं। सांसद जयप्रकाश गांव खरक पांडवा के सरपंच की बेटी के विवाह में शामिल होने कलायत आए थे। विकसित भारत-जी राम जी विधेयक को लेकर सांसद जयप्रकाश ने कहा कि मनरेगा को समाप्त कर केंद्र सरकार ने करोड़ों किसानों, श्रमिकों एवं भूमिहीन ग्रामीण वर्ग के गरीबों के हितों पर हमला किया है। उन्होंने कहा कि 20 साल पहले डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व के यूपीए सरकार ने संसद में मनरेगा कानून आम राय से पास किया था। उस समय इस कानून के पक्ष में संसद की सभी विपक्षी पार्टियां थीं। खुद अटल बिहारी बाजपेयी, लाल कृष्ण आडवानी, सुषमा स्वराज ने भी इसे दुनिया का पहला राइट टू वर्क कानून बताते हुए इसे क्रांतिकारी कदम बताया था। यह ऐसा क्रांतिकारी कदम था जिसका फायदा करोड़ों ग्रामीण परिवारों को मिला। मनरेगा के जरिए महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज के सपनों के भारत की ओर एक ठोस कदम उठाया गया। अब इस नये विधेयक के जरिए ग्रामीण मजदूरों से उनका सबसे बुनियादी अधिकार काम की कानूनी गारंटी ही छीनी जा रही है। उन्होंने कहा कि सरकार ने मनरेगा में काम के दिनों को 100 से बढ़ाकर 125 करने की बात कही है। यह केवल कागज पर सकारात्मक लगता है। सरकार खुद मानती है कि हरियाणा में मनरेगा से जुड़े करीब 8 लाख अकुशल श्रमिक हैं जिनमें से केवल 21 सौ लोगों को काम मिला। जमीनी सवाल यह है कि क्या वास्तव में मजदूरों को 125 दिन का काम मिलेगा। मनरेगा की सबसे बड़ी ताकत यह थी कि इसमें केंद्र सरकार 90 प्रतिशत फंडिंग करती थी। अब नए ढांचे में केंद्र सरकार 60 प्रतिशत और राज्य सरकार 40 प्रतिशत फंडिंग करेगी। जब प्रदेश सरकार केंद्र से मिलने वाले 90 प्रतिशत पैसे का रोजगार भी मजदूर को नहीं दे सकी तो अब जब 40 प्रतिशत की फंडिंग प्रदेश सरकार कहां से कर ग्रामीण मजदूर को काम देगी।

21kht_40_कलायत में पत्रकारों से बात करते सांसद जयप्रकाश

21kht_40_कलायत में पत्रकारों से बात करते सांसद जयप्रकाश- फोटो : बहराइच में दिन भर छायी रही बदली

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