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Kaithal News: कारीगरों व शिल्पकारों को मिल रही नई पहचान
संवाद न्यूज एजेंसी, कैथल
Updated Mon, 22 Dec 2025 12:01 AM IST
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कैथल। डीसी अपराजिता ने कहा कि शिल्पकारों व कारीगरों के लिए केंद्र सरकार की ओर से पीएम विश्वकर्मा योजना चलाई जा रही है, जिससे उनके हुनर को पहचान मिल रही है। पीएम विश्वकर्मा योजना भारत की पारंपरिक कला और शिल्पकला को जीवित रखने और देश के कारीगरों और शिल्पकारों की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ करने में सहायक है।
योजना का मुख्य उद्देश्य कारीगरों और शिल्पकारों के उत्पादों और सेवाओं की पहुंच के साथ गुणवत्ता में सुधार करना है। इसके साथ ही यह सुनिश्चित करना कि वे घरेलू और वैश्विक मूल्य शृंखलाओं के साथ एकीकृत हों। यह योजना पूरे ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के कारीगरों और शिल्पकारों को सहायता प्रदान करती है।
उन्होंने बताया कि योजना के तहत 18 विभिन्न प्रकार के पारंपरिक व्यवसायों को शामिल किया गया है, जिनमें नाव बनाना, शस्त्राकार, लुहार, हथौड़ा व लोहे के औजार बनाना, ताला बनाना, सुनार, कुंभकार, मूर्तिकार, मोची, राजमिस्त्री, टोकरी, सुथार, चटाई बनाना, गुडिया व खिलौने बनाना, बारबर, धोबी, दर्जी और मछली पकडऩे के लिए जाल बनाने का काम आदि शामिल है। उन्होंने योजना के पात्र सभी कारीगरों का आह्वान किया कि वे इस योजना में अपना रजिस्ट्रेशन करें और लाभ उठाएं। संवाद
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योजना का मुख्य उद्देश्य कारीगरों और शिल्पकारों के उत्पादों और सेवाओं की पहुंच के साथ गुणवत्ता में सुधार करना है। इसके साथ ही यह सुनिश्चित करना कि वे घरेलू और वैश्विक मूल्य शृंखलाओं के साथ एकीकृत हों। यह योजना पूरे ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के कारीगरों और शिल्पकारों को सहायता प्रदान करती है।
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उन्होंने बताया कि योजना के तहत 18 विभिन्न प्रकार के पारंपरिक व्यवसायों को शामिल किया गया है, जिनमें नाव बनाना, शस्त्राकार, लुहार, हथौड़ा व लोहे के औजार बनाना, ताला बनाना, सुनार, कुंभकार, मूर्तिकार, मोची, राजमिस्त्री, टोकरी, सुथार, चटाई बनाना, गुडिया व खिलौने बनाना, बारबर, धोबी, दर्जी और मछली पकडऩे के लिए जाल बनाने का काम आदि शामिल है। उन्होंने योजना के पात्र सभी कारीगरों का आह्वान किया कि वे इस योजना में अपना रजिस्ट्रेशन करें और लाभ उठाएं। संवाद