सोनीपत के गांव हलालपुर स्थित सुशील कुश्ती अकादमी में हुए हत्याकांड में अपनी छोटी बेटी व इकलौते बेटे को गंवाने वाले पिता दयानंद ने कोच पवन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि आरोपी कोच ने उसकी बेटी निशा का पूरी तरह से ब्रेनवॉश कर रखा था, जिसके चलते वह उसकी हर बात मानती थी। वह पवन के खिलाफ अपने परिजनों से एक शब्द भी सुनने को तैयार नहीं होती थी। इसी का फायदा उठाकर आरोपी ने निशा के माध्यम से उनसे 8 से 10 लाख रुपये ले लिए थे।
निशा के पिता दयानंद
इतना ही नहीं अंतर विश्वविद्यालय कुश्ती प्रतियोगिता में रजत पदक जीतने पर इनाम के मिले 50 हजार रुपये भी आरोपी ने ही रख लिए थे। बुधवार को हलालपुर गांव स्थित कुश्ती अकादमी में प्रशिक्षण लेने गई राष्ट्रीय स्तर की पहलवान निशा व उसके भाई सूरज की हत्या कर दी गई थी। घटना की जानकारी मिलने के बाद उनके पिता दयानंद गांव हलालपुर पहुंचे थे। श्रीनगर सीआरपीएफ में बतौर सब इंस्पेक्टर तैनात दयानंद ने हत्यारोपी कोच पर गंभीर आरोप लगाते हुए पुलिस से सख्त कार्रवाई की मांग की है।
मृतक भाई-बहन
दयानंद ने बताया कि आरोपी निशा के जरिये उनसे 8-10 लाख रुपये ले चुका था। उसने निशा का ब्रेनवॉश कर रखा था। आरोपी ने निशा की उम्र ज्यादा होने की बात कहकर उसका कम उम्र का प्रमाण पत्र बनवाने को कहा था और इसके लिए निशा से पैसे भी मांगे थे। निशा ने फर्जी प्रमाण पत्र बनवाने की बात का विरोध करने वाली अपनी बहन से बात करना बंद कर दिया था। मामला बढ़ता देख एक बार निशा की काउंसिलिंग भी करवाने की कोशिश की गई, लेकिन निशा काउंसलर के पास नहीं गई।
पुलिस की गिरफ्त में आरोपी
बेटी पर दबाव इसलिए नहीं दिया कि कहीं वह आत्महत्या जैसा कोई गलत कदम न उठा ले। दयानंद ने बताया कि निशा दिल्ली के एक कॉलेज में पढ़ती थी। उसने कोच के कहने के बाद दूसरे वर्ष में ही कॉलेज छोड़ दिया था। इतना ही नहीं, बेटी को रोहतक से जेबीटी कराने का प्रयास किया था। फीस के 50 हजार रुपये देने के बावजूद उसकी बेटी ने अपने कोच के कहने के बाद परीक्षा ही नहीं दी थी। आरोपी ने जब गांव में कुश्ती अकादमी शुरू की तो उसकी बेटी के कहने पर साढ़े तीन लाख रुपये डोनेशन भी दिया था।
मृतका का फाइल फोटो
पिता दयानंद ने बताया कि निशा ने महाराष्ट्र के औरंगाबाद में अंतर विवि कुश्ती प्रतियोगिता में रजत पदक जीतते हुए 50 हजार रुपये का इनाम प्राप्त किया था, लेकिन यह रकम भी आरोपी ने अपने पास रख ली थी। आरोपी कोच पवन ने हलालपुर में तीन साल पहले 6 दिसंबर, 2018 को अकादमी खोली थी। इससे पहले वह दिल्ली के गांव नांगल ठाकरान में प्रशिक्षण देता था। उसकी बेटी को परिचित ने पवन से मिलवाया था, जिसके बाद उसकी बेटी नांगल ठाकरान में जाकर प्रशिक्षण लेने लगी।
मृतक का फाइल फोटो
वहां से साझेदार अखाड़ा संचालक के साथ विवाद होने पर पवन ने पहले बवाना व बाद में उनके गांव में अकादमी खोली थी। दयानंद ने बताया कि उसकी बेटी वर्ष 2016-17 में प्रताप स्कूल खरखौदा में 12वीं कक्षा में पढ़ती थी। वहां पर अन्य खिलाड़ियों को खेलते देख उसमें कुश्ती के प्रति लालसा जगी थी। उसने वहां कुछ प्रतियोगिताओं में भाग भी लिया था, लेकिन पदक नहीं जीत सकी। बाद में स्कूल छोड़ने के बाद कुश्ती अकादमी में जाने लगी।
दयानंद ने कहा कि उसकी बेटी निशा में एक उत्कृष्ट पहलवान बनने का जज्बा था। वह हमेशा कड़ी मेहनत करती थी। उसे यदि अच्छा कोच व मार्गदर्शन मिलता तो वह ओलंपिक तक का सफर तय कर सकती थी, लेकिन पवन ने उसे अपने चंगुल से बाहर नहीं निकलने दिया। यहां तक कि जब उसे आगे बढ़ने का मौका मिला तो पवन ने उसे आगे नहीं जाने दिया। यहां तक कि उसका वीजा लगवाने के बाद भी अन्य खिलाड़ियों को मौका दिया। उसकी बेटी के आधार कार्ड व बैंक खाते में नाम गलत बताकर बहका लिया।
सुरेंद्र दहिया
दहिया खाप के वरिष्ठ पदाधिकारी सुरेंद्र दहिया ने कहा कि एक ही अखाड़े में लड़के-लड़कियों को एक साथ प्रशिक्षण नहीं दिया जाना चाहिए। बेटियों के लिए अलग अखाड़े होने चाहिए और उनकी कोच भी महिलाएं ही होनी चाहिए। सुरेंद्र दहिया ने कहा कि एक ही अखाड़े में लड़के-लड़कियों को कोचिंग देने से गलत होने का डर बना रहता है। इस दिशा में सरकार को कड़ा कदम उठाना चाहिए।

निशा के पिता दयानंद
इतना ही नहीं अंतर विश्वविद्यालय कुश्ती प्रतियोगिता में रजत पदक जीतने पर इनाम के मिले 50 हजार रुपये भी आरोपी ने ही रख लिए थे। बुधवार को हलालपुर गांव स्थित कुश्ती अकादमी में प्रशिक्षण लेने गई राष्ट्रीय स्तर की पहलवान निशा व उसके भाई सूरज की हत्या कर दी गई थी। घटना की जानकारी मिलने के बाद उनके पिता दयानंद गांव हलालपुर पहुंचे थे। श्रीनगर सीआरपीएफ में बतौर सब इंस्पेक्टर तैनात दयानंद ने हत्यारोपी कोच पर गंभीर आरोप लगाते हुए पुलिस से सख्त कार्रवाई की मांग की है।

मृतक भाई-बहन
दयानंद ने बताया कि आरोपी निशा के जरिये उनसे 8-10 लाख रुपये ले चुका था। उसने निशा का ब्रेनवॉश कर रखा था। आरोपी ने निशा की उम्र ज्यादा होने की बात कहकर उसका कम उम्र का प्रमाण पत्र बनवाने को कहा था और इसके लिए निशा से पैसे भी मांगे थे। निशा ने फर्जी प्रमाण पत्र बनवाने की बात का विरोध करने वाली अपनी बहन से बात करना बंद कर दिया था। मामला बढ़ता देख एक बार निशा की काउंसिलिंग भी करवाने की कोशिश की गई, लेकिन निशा काउंसलर के पास नहीं गई।

पुलिस की गिरफ्त में आरोपी
बेटी पर दबाव इसलिए नहीं दिया कि कहीं वह आत्महत्या जैसा कोई गलत कदम न उठा ले। दयानंद ने बताया कि निशा दिल्ली के एक कॉलेज में पढ़ती थी। उसने कोच के कहने के बाद दूसरे वर्ष में ही कॉलेज छोड़ दिया था। इतना ही नहीं, बेटी को रोहतक से जेबीटी कराने का प्रयास किया था। फीस के 50 हजार रुपये देने के बावजूद उसकी बेटी ने अपने कोच के कहने के बाद परीक्षा ही नहीं दी थी। आरोपी ने जब गांव में कुश्ती अकादमी शुरू की तो उसकी बेटी के कहने पर साढ़े तीन लाख रुपये डोनेशन भी दिया था।
मृतका का फाइल फोटो
पिता दयानंद ने बताया कि निशा ने महाराष्ट्र के औरंगाबाद में अंतर विवि कुश्ती प्रतियोगिता में रजत पदक जीतते हुए 50 हजार रुपये का इनाम प्राप्त किया था, लेकिन यह रकम भी आरोपी ने अपने पास रख ली थी। आरोपी कोच पवन ने हलालपुर में तीन साल पहले 6 दिसंबर, 2018 को अकादमी खोली थी। इससे पहले वह दिल्ली के गांव नांगल ठाकरान में प्रशिक्षण देता था। उसकी बेटी को परिचित ने पवन से मिलवाया था, जिसके बाद उसकी बेटी नांगल ठाकरान में जाकर प्रशिक्षण लेने लगी।
मृतक का फाइल फोटो
वहां से साझेदार अखाड़ा संचालक के साथ विवाद होने पर पवन ने पहले बवाना व बाद में उनके गांव में अकादमी खोली थी। दयानंद ने बताया कि उसकी बेटी वर्ष 2016-17 में प्रताप स्कूल खरखौदा में 12वीं कक्षा में पढ़ती थी। वहां पर अन्य खिलाड़ियों को खेलते देख उसमें कुश्ती के प्रति लालसा जगी थी। उसने वहां कुछ प्रतियोगिताओं में भाग भी लिया था, लेकिन पदक नहीं जीत सकी। बाद में स्कूल छोड़ने के बाद कुश्ती अकादमी में जाने लगी।

दयानंद ने कहा कि उसकी बेटी निशा में एक उत्कृष्ट पहलवान बनने का जज्बा था। वह हमेशा कड़ी मेहनत करती थी। उसे यदि अच्छा कोच व मार्गदर्शन मिलता तो वह ओलंपिक तक का सफर तय कर सकती थी, लेकिन पवन ने उसे अपने चंगुल से बाहर नहीं निकलने दिया। यहां तक कि जब उसे आगे बढ़ने का मौका मिला तो पवन ने उसे आगे नहीं जाने दिया। यहां तक कि उसका वीजा लगवाने के बाद भी अन्य खिलाड़ियों को मौका दिया। उसकी बेटी के आधार कार्ड व बैंक खाते में नाम गलत बताकर बहका लिया।

सुरेंद्र दहिया
दहिया खाप के वरिष्ठ पदाधिकारी सुरेंद्र दहिया ने कहा कि एक ही अखाड़े में लड़के-लड़कियों को एक साथ प्रशिक्षण नहीं दिया जाना चाहिए। बेटियों के लिए अलग अखाड़े होने चाहिए और उनकी कोच भी महिलाएं ही होनी चाहिए। सुरेंद्र दहिया ने कहा कि एक ही अखाड़े में लड़के-लड़कियों को कोचिंग देने से गलत होने का डर बना रहता है। इस दिशा में सरकार को कड़ा कदम उठाना चाहिए।