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Solan News: ब्लास्टिंग के प्रभावितों ने आंदोलन किया तेज, आज से शुरू करेंगे भूख हड़ताल
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दाड़लाघाट में अंबुजा सीमेंट प्लांट की ओर से की जा रही ब्लास्टिंग को लेकर नारेबाजी करते हुए गा
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मांगू ग्राउंड में किसान महापंचायत में लिया फैसला, 24 दिनों से मांगों को लेकर धरना दे रहे प्रभावित लोग
संवाद न्यूज एजेंसी
दाड़लाघाट (सोलन) अंबुजा अदाणी सीमेंट कंपनी की ओर से की जा रही अवैध माइनिंग और घातक ब्लास्टिंग के खिलाफ संघोई धार में चल रहा जनआंदोलन अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच गया है। सीमेंट उद्योग व माइनिंग प्रभावित मंच के बैनर तले रविवार को मांगू ग्राउंड में विशाल किसान महापंचायत का आयोजन किया गया। आंदोलन के 24वें दिन ग्रामीणों ने हुंकार भरते हुए घोषणा की कि यदि प्रशासन ने जल्द सख्त कदम नहीं उठाए, तो सोमवार 22 दिसंबर से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू की जाएगी। मंच के संयोजक संदीप ठाकुर ने महापंचायत को संबोधित करते हुए कहा कि कंपनी की अनियंत्रित ब्लास्टिंग से रिहायशी मकान और पशुशालाएं खंडहर में तब्दील हो रही हैं। क्षेत्र के जल स्रोत सूख गए हैं और लोगों का स्वास्थ्य खतरे में है। ग्रामीणों ने दो टूक कहा कि जब तक उपायुक्त सोलन स्वयं धरना स्थल पर आकर संवाद नहीं करते और कंपनी प्रबंधन व माइनिंग हेड के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं होती, आंदोलन थमेगा नहीं। पंचायत समिति सदस्य राजेंद्र कुमार ने प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कहा कि एसडीएम की बैठकों में भारी पुलिस बल की मौजूदगी से ग्रामीण अपनी बात खुलकर नहीं रख पाते। उन्होंने मांग की कि प्रभावित क्षेत्रों की बैठकों में पुलिस का हस्तक्षेप बंद हो और प्रशासन को अब धरना स्थल पर आकर ही जनता की बात सुननी होगी।
मजिस्ट्रेट और राज्य स्तरीय स्वतंत्र समिति की मांग
मंच के संयोजक ने आरोप लगाया कि प्रशासन केवल उन्हीं लोगों को बैठकों में बुला रहा है जिनकी जमीन अधिग्रहित हुई है। जबकि डेंजर जोन में आने वाले उन सैकड़ों परिवारों को नजरअंदाज किया जा रहा है जिनके घरों में दरारें आई हैं। प्रभावित परिवारों के नुकसान का आकलन करने के लिए राज्य स्तरीय स्वतंत्र समिति गठित कर मजिस्ट्रेट जांच करवाई जाए। सांसद सुरेश कश्यप और डीसी सोलन के न आने तक संघोई धार का धरना जारी रहेगा।
महापंचायत में इन गांवों की रही भागीदारी
इस आंदोलन में रठो, सेर जेरी, सेर वाल, चाखड़ू, घुमारो, मांगू, ग्याना, बनोग, संघोई धार, थांव, सुल्ली और बरमाणा सहित दर्जनों गांवों के सैकड़ों प्रभावित ग्रामीण शामिल हुए। उपप्रधान राजेश पूरी ने भी प्रशासन को चेतावनी दी कि एफआईआर दर्ज न करना उनकी गैर-जिम्मेदाराना कार्यशैली का प्रमाण है।
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संवाद न्यूज एजेंसी
दाड़लाघाट (सोलन) अंबुजा अदाणी सीमेंट कंपनी की ओर से की जा रही अवैध माइनिंग और घातक ब्लास्टिंग के खिलाफ संघोई धार में चल रहा जनआंदोलन अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच गया है। सीमेंट उद्योग व माइनिंग प्रभावित मंच के बैनर तले रविवार को मांगू ग्राउंड में विशाल किसान महापंचायत का आयोजन किया गया। आंदोलन के 24वें दिन ग्रामीणों ने हुंकार भरते हुए घोषणा की कि यदि प्रशासन ने जल्द सख्त कदम नहीं उठाए, तो सोमवार 22 दिसंबर से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू की जाएगी। मंच के संयोजक संदीप ठाकुर ने महापंचायत को संबोधित करते हुए कहा कि कंपनी की अनियंत्रित ब्लास्टिंग से रिहायशी मकान और पशुशालाएं खंडहर में तब्दील हो रही हैं। क्षेत्र के जल स्रोत सूख गए हैं और लोगों का स्वास्थ्य खतरे में है। ग्रामीणों ने दो टूक कहा कि जब तक उपायुक्त सोलन स्वयं धरना स्थल पर आकर संवाद नहीं करते और कंपनी प्रबंधन व माइनिंग हेड के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं होती, आंदोलन थमेगा नहीं। पंचायत समिति सदस्य राजेंद्र कुमार ने प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कहा कि एसडीएम की बैठकों में भारी पुलिस बल की मौजूदगी से ग्रामीण अपनी बात खुलकर नहीं रख पाते। उन्होंने मांग की कि प्रभावित क्षेत्रों की बैठकों में पुलिस का हस्तक्षेप बंद हो और प्रशासन को अब धरना स्थल पर आकर ही जनता की बात सुननी होगी।
मजिस्ट्रेट और राज्य स्तरीय स्वतंत्र समिति की मांग
मंच के संयोजक ने आरोप लगाया कि प्रशासन केवल उन्हीं लोगों को बैठकों में बुला रहा है जिनकी जमीन अधिग्रहित हुई है। जबकि डेंजर जोन में आने वाले उन सैकड़ों परिवारों को नजरअंदाज किया जा रहा है जिनके घरों में दरारें आई हैं। प्रभावित परिवारों के नुकसान का आकलन करने के लिए राज्य स्तरीय स्वतंत्र समिति गठित कर मजिस्ट्रेट जांच करवाई जाए। सांसद सुरेश कश्यप और डीसी सोलन के न आने तक संघोई धार का धरना जारी रहेगा।
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महापंचायत में इन गांवों की रही भागीदारी
इस आंदोलन में रठो, सेर जेरी, सेर वाल, चाखड़ू, घुमारो, मांगू, ग्याना, बनोग, संघोई धार, थांव, सुल्ली और बरमाणा सहित दर्जनों गांवों के सैकड़ों प्रभावित ग्रामीण शामिल हुए। उपप्रधान राजेश पूरी ने भी प्रशासन को चेतावनी दी कि एफआईआर दर्ज न करना उनकी गैर-जिम्मेदाराना कार्यशैली का प्रमाण है।