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Una News: पति की मृत्यु के बाद सपना ने फूड वैन चलाकर संभाला परिवार
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हर महीने 13000 से 15000 तक कमा रही, बच्चियों को पढ़ा लिखाकर बनाया काबिल
महिलाओं को स्वरोजगार के लिए भी कर रहीं प्रेरित
2015 में पति की मृत्यु के बाद पड़ा गया था घर की जिम्मेदारियों का बोझ
संवाद न्यूज एजेंसी
पंडोगा (ऊना)। अगर कुछ कर गुजरने की ठान लें तो मंजिलें अपने आप रास्ता बनाती हैं। इसका जीता-जागता उदाहरण है ईसपुर की सपना देवी, जिन्होंने अन्नपूर्णा योजना के तहत स्वरोजगार के माध्यम से अपनी पहचान बनाई। सपना देवी फूड वैन चलाती हैं, जिसमें वह खाना, बर्गर, मोमोज, नूडल, कुलचे आदि तैयार कर बेचती हैं। इस कार्य से उन्हें हर महीने 13,000 से 15,000 रुपये की आय होती है। सपना देवी ने बताया कि 2015 में उनके पति का निधन हो गया, जिसके बाद घर की जिम्मेदारी उनके कंधों पर आ गई। उन्होंने अपने संसाधनों और मेहनत से अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाई। उनकी एक बेटी ने अकाउंटेंट का कोर्स किया, दूसरी बेटी ने एयर होस्टेस का कोर्स पूरा किया, जबकि तीसरी बेटी ने फुटबाल में तीन नेशनल प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया और हिमाचल प्रदेश के जूनियर नेशनल अंडर-17 टीम की मैनेजर रही।
सपना देवी का कहना है कि जीवन में कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता। अगर विचार साफ हों और हौसला बुलंद हो तो कोई भी कठिन काम सहजता से किया जा सकता है। पति के गुजर जाने के बाद उन्होंने खुद पैरों पर खड़ा होकर अपने बच्चों को पढ़ा-लिखाकर समाज की मुख्यधारा से जोड़ा।
सपना महिलाओं को प्रेरित करती हैं कि वे आत्मनिर्भर बनें। घर के कामकाज के साथ-साथ स्वरोजगार अपनाने से न केवल परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत होती है, बल्कि महिलाएं खुद भी सशक्त बनती हैं।
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2015 में पति की मृत्यु के बाद पड़ा गया था घर की जिम्मेदारियों का बोझ
संवाद न्यूज एजेंसी
पंडोगा (ऊना)। अगर कुछ कर गुजरने की ठान लें तो मंजिलें अपने आप रास्ता बनाती हैं। इसका जीता-जागता उदाहरण है ईसपुर की सपना देवी, जिन्होंने अन्नपूर्णा योजना के तहत स्वरोजगार के माध्यम से अपनी पहचान बनाई। सपना देवी फूड वैन चलाती हैं, जिसमें वह खाना, बर्गर, मोमोज, नूडल, कुलचे आदि तैयार कर बेचती हैं। इस कार्य से उन्हें हर महीने 13,000 से 15,000 रुपये की आय होती है। सपना देवी ने बताया कि 2015 में उनके पति का निधन हो गया, जिसके बाद घर की जिम्मेदारी उनके कंधों पर आ गई। उन्होंने अपने संसाधनों और मेहनत से अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाई। उनकी एक बेटी ने अकाउंटेंट का कोर्स किया, दूसरी बेटी ने एयर होस्टेस का कोर्स पूरा किया, जबकि तीसरी बेटी ने फुटबाल में तीन नेशनल प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया और हिमाचल प्रदेश के जूनियर नेशनल अंडर-17 टीम की मैनेजर रही।
सपना देवी का कहना है कि जीवन में कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता। अगर विचार साफ हों और हौसला बुलंद हो तो कोई भी कठिन काम सहजता से किया जा सकता है। पति के गुजर जाने के बाद उन्होंने खुद पैरों पर खड़ा होकर अपने बच्चों को पढ़ा-लिखाकर समाज की मुख्यधारा से जोड़ा।
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सपना महिलाओं को प्रेरित करती हैं कि वे आत्मनिर्भर बनें। घर के कामकाज के साथ-साथ स्वरोजगार अपनाने से न केवल परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत होती है, बल्कि महिलाएं खुद भी सशक्त बनती हैं।