{"_id":"6945532528bb355574048b29","slug":"disability-was-not-allowed-to-become-a-weakness-it-inspired-people-to-live-on-their-own-una-news-c-93-1-una1002-175635-2025-12-19","type":"story","status":"publish","title_hn":"Una News: दिव्यांगता को कमजोरी नहीं बनने दिया, अपने दम पर दी जीने की प्रेरणा","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
Una News: दिव्यांगता को कमजोरी नहीं बनने दिया, अपने दम पर दी जीने की प्रेरणा
विज्ञापन
विज्ञापन
हंबोली के बहेड़ी गांव के बलवीर सिंह दूसरों के लिए बने मिसाल
कहा, आत्मविश्वास और मेहनत से शारीरिक बाधा को किया जा सकता है पार
संवाद न्यूज एजेंसी
चकसराय (ऊना)। उपमंडल अंब की पंचायत हंबोली के गांव बहेड़ी के निवासी बलवीर सिंह (53 ) जन्म से ही पोलियो से प्रभावित हैं। शारीरिक रूप से दिव्यांग होने के बावजूद उन्होंने कभी जीवन से हार नहीं मानी और अपने कठिन संघर्ष से समाज के लिए प्रेरणादायक उदाहरण प्रस्तुत किया। बलवीर सिंह ने वर्ष 1987-88 में राजकीय उच्च विद्यालय दियड़ा से दसवीं परीक्षा उत्तीर्ण की। शिक्षा के प्रति उनका उत्साह यहीं नहीं रुका, उन्होंने आगे की पढ़ाई अंब कॉलेज से जारी रखी और बीए द्वितीय वर्ष तक अध्ययन किया। हालांकि, परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण उन्हें पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ी।
पारिवारिक जिम्मेदारियों को निभाने के लिए बलवीर सिंह अमृतसर गए, जहां उन्होंने एक निजी संस्थान में नौकरी कर अपने बच्चों का पालन-पोषण किया। कठिन हालात में भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और ईमानदारी से मेहनत कर परिवार की ज़रूरतें पूरी कीं।
बलवीर सिंह की दो बेटियां हैं। बड़ी बेटी आज एक निजी संस्थान में नौकरी कर आत्मनिर्भर बन चुकी हैं, जबकि छोटी बेटी को उनके छोटे भाई ने गोद लिया और पालन-पोषण कर रहे हैं। यह परिवार आपसी सहयोग और समझ का उत्कृष्ट उदाहरण है।
गांव के लोग बताते हैं कि दिव्यांग होने के बावजूद बलवीर सिंह कभी पीछे नहीं हटे। उन्होंने ट्रैक्टर चालक के रूप में भी काम किया और पिछले पांच-छह वर्षों से अपना स्वयं का थ्री-व्हीलर चलाकर निजी कार्य कर रहे हैं। सरकार की ओर से मिलने वाली दिव्यांग पेंशन के बावजूद उन्होंने आत्मनिर्भर बनने का रास्ता चुना और मेहनत को अपना सहारा बनाया।
बलवीर सिंह का कहना है कि आत्मविश्वास, मेहनत और आगे बढ़ने की इच्छा रखने वाला व्यक्ति किसी भी शारीरिक बाधा को पार कर सकता है।
Trending Videos
कहा, आत्मविश्वास और मेहनत से शारीरिक बाधा को किया जा सकता है पार
संवाद न्यूज एजेंसी
चकसराय (ऊना)। उपमंडल अंब की पंचायत हंबोली के गांव बहेड़ी के निवासी बलवीर सिंह (53 ) जन्म से ही पोलियो से प्रभावित हैं। शारीरिक रूप से दिव्यांग होने के बावजूद उन्होंने कभी जीवन से हार नहीं मानी और अपने कठिन संघर्ष से समाज के लिए प्रेरणादायक उदाहरण प्रस्तुत किया। बलवीर सिंह ने वर्ष 1987-88 में राजकीय उच्च विद्यालय दियड़ा से दसवीं परीक्षा उत्तीर्ण की। शिक्षा के प्रति उनका उत्साह यहीं नहीं रुका, उन्होंने आगे की पढ़ाई अंब कॉलेज से जारी रखी और बीए द्वितीय वर्ष तक अध्ययन किया। हालांकि, परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण उन्हें पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ी।
पारिवारिक जिम्मेदारियों को निभाने के लिए बलवीर सिंह अमृतसर गए, जहां उन्होंने एक निजी संस्थान में नौकरी कर अपने बच्चों का पालन-पोषण किया। कठिन हालात में भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और ईमानदारी से मेहनत कर परिवार की ज़रूरतें पूरी कीं।
विज्ञापन
विज्ञापन
बलवीर सिंह की दो बेटियां हैं। बड़ी बेटी आज एक निजी संस्थान में नौकरी कर आत्मनिर्भर बन चुकी हैं, जबकि छोटी बेटी को उनके छोटे भाई ने गोद लिया और पालन-पोषण कर रहे हैं। यह परिवार आपसी सहयोग और समझ का उत्कृष्ट उदाहरण है।
गांव के लोग बताते हैं कि दिव्यांग होने के बावजूद बलवीर सिंह कभी पीछे नहीं हटे। उन्होंने ट्रैक्टर चालक के रूप में भी काम किया और पिछले पांच-छह वर्षों से अपना स्वयं का थ्री-व्हीलर चलाकर निजी कार्य कर रहे हैं। सरकार की ओर से मिलने वाली दिव्यांग पेंशन के बावजूद उन्होंने आत्मनिर्भर बनने का रास्ता चुना और मेहनत को अपना सहारा बनाया।
बलवीर सिंह का कहना है कि आत्मविश्वास, मेहनत और आगे बढ़ने की इच्छा रखने वाला व्यक्ति किसी भी शारीरिक बाधा को पार कर सकता है।