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ईडी के आरोप पत्र में खुलासा : मारियो और पराशर आगरा विवि में चला रहे थे फेल को पास कराने का संगठित गिरोह

अशोक मिश्रा, अमर उजाला ब्यूरो, लखनऊ Published by: पंकज श्रीवास्‍तव Updated Fri, 22 Sep 2023 11:34 AM IST
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सार

ईडी की जांच में सामने आया है कि डिजिटेक्स्ट टेक्नोलॉजी कंपनी का संचालक डेविड मारियो डेनिस और समाजवादी पार्टी का छात्र नेता राहुल पराशर विश्वविद्यालय में फेल होने वाले छात्रों को पास करने का संगठित गिरोह चला रहे थे।

ED reveals: Mario and Parashar were running an organized gang to pass fails in Agra University
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आगरा विश्वविद्यालय की मेडिकल परीक्षा में कॉपियां बदलने के मामले की प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच में सामने आया है कि डिजिटेक्स्ट टेक्नोलॉजी कंपनी का संचालक डेविड मारियो डेनिस और समाजवादी पार्टी का छात्र नेता राहुल पराशर विश्वविद्यालय में फेल होने वाले छात्रों को पास करने का संगठित गिरोह चला रहे थे। इस रैकेट में छात्रों को डरा-धमका कर लाने वालों से लेकर उनके स्थान पर उत्तर पुस्तिकाएं लिखने वाले मुन्ना भाई तक शामिल थे।

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ईडी ने दो दिन पूर्व गाजियाबाद स्थित ईडी की विशेष अदालत में डेविड मारियो डेनिस, डिजिटेक्स्ट टेक्नोलॉजी, राहुल पराशर, देवेंद्र सिंह, भीकम सिंह, अतुल कुमार, इंजमाम उल हक, शिव कुमार दिवाकर, अशरफ, रविंद्र सिंह राजपूत, दीपक सिंह के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया है। इसमें छात्रनेता राहुल पराशर को इस रैकेट का किंग पिन बताया गया है। वह ऐसे छात्रों को चिन्हित करता था, जो पढ़ाई में कमजोर लेकिन आर्थिक रूप से मजबूत थे। छात्रों से पास कराने के लिए लाखों रुपये लेने के बाद वह बाजार से विश्वविद्यालय की खाली उत्तर पुस्तिका खरीदता था। साथ ही, उन पर सही जवाब लिखने के लिए विश्वविद्यालय के मेधावी छात्रों का भी इंतजाम करता था। डेविड मारियो की कंपनी के कर्मचारी उसे बार कोड आदि मुहैया कराते थे। इस फर्जीवाड़े में डेविड मारियो राहुल पराशर की पूरी मदद करता था। जो छात्र पास होने के लिए पैसा देने से इंकार करते थे, उनको फेल करा देने की धमकी देकर वसूली की जाती थी।
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बैकपेपर की कॉपियों में भी फर्जीवाड़ा
विश्वविद्यालय द्वारा कम अंक पाने वाले छात्रों को बैक पेपर की सुविधा मुहैया कराने का फायदा मारियो और उसके साथियों ने उठाया और उसमें भी फर्जीवाड़ा कर करोड़ों रुपये वसूले। इसकी पुष्टि उनके बैंक खातों से हुई, जिसमें छात्रों ने यूपीआई, आईएमपीएस आदि तरीकों से भुगतान किया था। ईडी की जांच में राहुल पराशर के खाते में 73.51 लाख रुपये, शिव कुमार दिवाकर के खाते से 13 लाख रुपये, रवि राजपूत के खाते में 56 लाख रुपये, शिवकुमार दिवाकर के खाते में 1.18 लाख रुपये, अतुल कुमार के खाते में 4.34 लाख रुपये, अशरफ के खाते में 8 लाख रुपये, देवेंद्र सिंह के खाते में 4.33 लाख रुपये पाये गये। इसका जब छात्रों के बैंक विवरण से मिलान किया गया तो पूरी पोल खुल गई।

दीपक के ठिकाने से मिली नोटबुक से खुली पोल
ईडी ने जब मारियो की कंपनी के कर्मचारी एवं विश्वविद्यालय के छलेसर कैंपस के इंचार्ज दीपक सिंह के ठिकानों पर छापा मारा, तो वहां से कुछ नोट पैड मिले। इनमें राहुल पराशर और मारियो के बीच नकदी के लेन-देन का जिक्र था। जांच में यह भी सामने आया कि मारियो के पास सारे छात्रों का डाटाबेस रहता था। उसने विश्वविद्यालय की पूरी परीक्षा प्रणाली को ही हाईजैक कर लिया था। उसकी कंपनी के कर्मचारी गैंग के बाकी सदस्यों को बार-कोड नंबर मुहैया कराते थे, जिसे बदली हुई कॉपियों में प्रिंट किया जाता था। वहीं मारियो के मनी लांड्रिंग में लिप्त होने का जिक्र भी आरोप पत्र में किया गया है।

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