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सुना है क्या: 'माननीयों के बीच कमीशन का खेल', मिली मुंह मांगी मुराद...बिन कहे सबने समझा
अमर उजाला नेटवर्क, लखनऊ
Published by: आकाश द्विवेदी
Updated Sat, 20 Dec 2025 03:50 PM IST
सार
यूपी के राजनीतिक गलियारे और प्रशासन में तमाम ऐसे किस्से हैं, जो हैं तो उनके अंदरखाने के... लेकिन, चाहे-अनचाहे बाहर आ ही जाते हैं। ऐसे किस्सों को आप अमर उजाला के "सुना है क्या" सीरीज में पढ़ सकते हैं। तो आइए पढ़ते हैं इस बार क्या है खास..
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सुना है क्या/suna hai kya
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
यूपी के राजनीतिक गलियारे और प्रशासनिक गलियों में आज तीन किस्से काफी चर्चा में रहे। चाहे-अनचाहे आखिर ये बाहर आ ही जाते हैं। इन्हें रोकने की हर कोशिश नाकाम होती है। आज की कड़ी में माननीयों के बीच कमीशन का खेल का किस्सा है। साथ ही दो और कहानियां जो यह बताएंगी कि आखिर राजनीति में आरोप और प्रत्यारोप का खेल कैसे चल रहा है? आगे पढ़ें, नई कानाफूसी...
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माननीयों के बीच कमीशन का खेल
सूबे के समीपवर्ती एक जिले में इन दिनों तीन माननीयों की तिकड़ी के बीच कमीशन के खेल की चर्चा खूब हो रही है। इन तीन में माननीयों में दो विधायक और एक जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुके हैं। चर्चा की खास बात यह है कि तीनों माननीयों के बीच जितना भी मदभेद हो, उससे कहीं अधिक विकास कार्यों के बंटवारे में आपसी सौहार्द दिखता है।तीनों बहुत ही ईमानदारी से काम और कमीशन का बंटवारा कर लेते हैं। तीनों ने काम बांटने के लिए अपने-अपने क्षेत्र भी तय कर लिए हैं। चर्चाओं के मुताबिक 10 लाख से अधिक लागत तक के काम पर 15 प्रतिशत और इससे अधिक लागत के प्रोजेक्ट के लिए 10 प्रतिशत एडवांस कमीशन तय किया गया है।
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मिली मुंहमांगी मुराद
सदन में एक सदस्य आत्मविश्वास से लबरेज दिखे। जिस नेता से बरसों पुरानी दुश्मनी थी, उस पर हाईकमान द्वारा निशाना साधने से उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। हाल ही में दोनों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर कुछ ऐसा चला था कि उनके करीबी भी सकते में आ गए थे।इसे जाति के सम्मान से जोड़कर विवाद को खत्म करने की हिदायत दे रहे थे। लेकिन सियासत में गड़े मुर्दे भी वक्त पर काम आते हैं। इस बार निशाना सही बैठा और दुश्मन की बरसों से बनी-बनाई जमीन सरकने लगी। इन हालात में लगता नहीं कि लड़ाई आसानी से खत्म होगी।
