UP: उपभोक्ताओं को पता ही नहीं...मीटर हो गया प्रीपेड, बिल की बाट जोहते रह गए 1.29 लाख उपभोक्ता, ऐसे हुई जानकारी
राजधानी में उपभोक्ताओं को पता ही नहीं चला, उनका मीटर प्रीपेड कर दिया गया। 1.29 लाख उपभोक्ता बिल की बाट जोहते रह गए। मीटर रीडर न आने की शिकायत करने पहुंचे तब जानकारी हुई। बिजली निगम ने कनेक्शन प्रीपेड करने का मेसेज भेजकर कर्तव्य से इतिश्री कर ली।
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राजधानी लखनऊ में 1.29 लाख उपभोक्ताओं के बिजली कनेक्शन इंटेली कंपनी के स्मार्ट मीटर लगाकर पोस्टपेड से प्रीपेड कर दिए गए। ये उपभोक्ता बिजली बिल की बाट ही जोहते रह गए। दो से तीन महीने के इंतजार के बाद अब उन्हें पता चल रहा है कि उनकी चौखट पर मीटर रीडर कभी आएंगे ही नहीं। उन्हें अब बिजली जलाने के बाद बिल नहीं भरना बल्कि मीटर रिचार्ज कराकर बिजली इस्तेमाल करनी है।
पिछले चार माह से उपभोक्ताओं के कनेक्शन प्रीपेड में तब्दील करने की कार्रवाई चल रही है। हालांकि, संबंधित उपभोक्ताओं को यह जानकारी नहीं दी गई कि अब उनके घर, दुकान पर मीटर की रीडिंग करने कोई नहीं आएगा। इसकी वजह से बीते तीन माह में 10 हजार से ज्यादा उपभोक्ताओं ने मीटर रीडर के न आने और बिल प्राप्त न होने की शिकायत दर्ज कराई है।
अब इन्हें पता चल रहा है कि उनका कनेक्शन प्रीपेड हो गया है। विभाग ने उपभोक्ताओं के मोबाइल पर कनेक्शन को प्रीपेड किए जाने के मेसेज भेजे थे, मगर यह स्पष्ट नहीं किया कि अब उनको बिल नहीं भरना है, बल्कि अकाउंट रिचार्ज कराते हुए बिजली इस्तेमाल करनी है।
नहीं बंद हुई किसी की बिजली
कायदे से जिन प्रीपेड उपभोक्ताओं के अकाउंट रिचार्ज नहीं हुए और उन्होंने बिल के इंतजार में भुगतान भी नहीं किया, उनकी बिजली बंद हो जानी चाहिए थी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। रिचार्ज न कराने पर भी उपभोक्ताओं की बिजली कटी नहीं, क्योंकि राजधानी में कुछ ही समय पहले वर्टिकल व्यवस्था लागू हुई है। ऐसे में जीरो बैलेंस वाले उपभोक्ताओं की बिजली बंद करने पर अधिकारियों ने ध्यान ही नहीं दिया।
यूपीपीसीएल एप से जानिए कितने का बिल
अधिकारियों के अनुसार, बिजली उपभोक्ता यूपीपीसीएल कन्ज्यूमर एप या यूपीपीसीएल स्मार्ट एप को गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड करके अपना बिजली उपभोग देख सकते हैं। दोनों एप में पोस्टपेड उपभोक्ता बिजली बिल जनरेट और डाउनलोड कर सकते हैं, जबकि प्रीपेड उपभोक्ता मीटर रिचार्ज करने के साथ बिल हिस्ट्री और प्रीपेड मीटर में बचे हुए बैलेंस की जांच कर सकते हैं।प्रतिमाह 20 लाख रुपये तक की बचत
मुख्य अभियंताओं ने बताया कि डोर टू डोर रीडिंग कराकर एक ऑन स्पॉट बिल बनवाने के लिए कंपनी को करीब 13 रुपये खर्च करने पड़ते हैं। यह बिल उपभोक्ता किसी जन सुविधा केंद्र सहित अन्य एजेंसी के जरिये जमा करता है तो 20 रुपये और देने पड़ते हैं। ऑन स्पॉट बिलिंग बंद होने से विभाग को औसतन प्रतिमाह 20 लाख रुपये की बचत हो रही है। इसके साथ ही सांठगांठ से फर्जी रीडिंग और घालमेल से बिल बनाने का खेल भी रुक गया है।उपभोक्ताओं का लेखा-जोखा
| जोन | कुल | स्मार्ट मीटर वाले | प्रीपेड धारक |
| अमौसी | 5.50 लाख | 66,000 | 46,192 |
| लखनऊ मध्य | 3.15 लाख | 60,500 | 35,500 |
| जानकीपुरम | 3.20 लाख | 29,550 | 24,246 |
| गोमतीनगर | 2.32 लाख | 30,272 | 23,984 |
| कुल | 14.17 लाख | 1,86,322 | 1,29,922 |
