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आयुष्मान भारत योजना में शामिल 67 निजी अस्पतालों ने जनवरी से लेकर अब तक एक भी मरीज का इलाज इस योजना के तहत नहीं किया है। स्वास्थ्य विभाग ने ऐसे सभी अस्पतालों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। ऐसे अस्पतालों को आयुष्मान योजना से बाहर करने की तैयारी हो गई है।
लखनऊ में अब तक कुल 2 लाख 79 हजार परिवार लाभार्थी आयुष्मान योजना के पात्र हैं। मरीजों के आयुष्मान के तहत गोल्डन कार्ड बनाए जा चुके हैं। शहर में 133 निजी अस्पताल हैं। जो आयुष्मान भारत योजना की सूची में शामिल हैं। इसमें 66 अस्पतालों ने ही आयुष्मान के मरीजों का इलाज किया है। इसके अलावा 67 अस्पताल ऐसे हैं, जिन्होंने एक भी मरीज का इलाज नहीं किया है।
जनवरी से जुलाई तक ऐसे अस्पतालों की सूची बनाई गई है। अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. अनूप श्रीवास्तव ने बताया कि सात माह का रिकार्ड निकाला गया है। जो भी योजना में पंजीकृत अस्पताल हैं उनके जरिए एक भी मरीज को उपचार नहीं दिया गया है। उन्हें नोटिस भेजकर योजना से बाहर किया जा रहा है।
मरीजों को कर देते हैं वापस
आयुष्मान में निजी अस्पतालों का ग्राफ बहुत ही खराब है। कई अस्पताल तो ऐसे हैं जो मरीजों को लौटा देते हैं। आयुष्मान लाभार्थी होने के बावजूद मरीजों से कहा जाता है वह इस योजना के अंतर्गत नहीं आते हैं। ऐसी कई शिकायत भी विभाग के पास आई हैं।
पहले भी फर्जीवाड़ा करने पर नपे हैं निजी अस्पताल
आयुष्मान योजना के तहत फर्जी मरीजों को तैयार करके उन्हें उपचार देने के मामले में बीते साल कई अस्पतालों पर कार्रवाई हो चुकी है। इसके बाद भी निजी अस्पताल सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं। ठाकुरगंज के एक निजी अस्पताल में इलाज की सुविधा न होने बाद भी बाहर से डॉक्टर बुलाकर आयुष्मान मरीज से रुपये वसूले गए थे। इसी तरह गोमतीनगर के एक अस्पताल में सीतापुर के एक गांव से मरीज लाकर उसका उपचार कर दावे प्रस्तुत करने में फर्जीवाड़ा मिल चुका है।