सुना है क्या: आज 'चहल बाबू व कलक्टर' के दहशत की कहानी, साथ ही बड़े साहब के नए ऑफिस और सींग वाले अफसर के किस्से
यूपी के राजनीतिक गलियारे और प्रशासन में तमाम ऐसे किस्से हैं, जो हैं तो उनके अंदरखाने के... लेकिन, चाहे-अनचाहे बाहर आ ही जाते हैं। ऐसे किस्सों को आप अमर उजाला के "सुना है क्या" सीरीज में पढ़ सकते हैं। तो आइए पढ़ते हैं इस बार क्या है खास...
विस्तार
यूपी के राजनीतिक गलियारे और प्रशासनिक गलियों में आज तीन किस्से काफी चर्चा में रहे। चाहे-अनचाहे आखिर ये बाहर आ ही जाते हैं। इन्हें रोकने की हर कोशिश नाकाम होती है। आज की कड़ी में 'कमिश्नर, चहल बाबू और दहशत में कलक्टर' की कहानी है। इसके अलावा 'सींग वाले अफसर से डरा विभाग' और 'नए साहब के आते ही नए ऑफिस की चर्चा' के किस्से भी चर्चा में रहे। आगे पढ़ें, नई कानाफूसी...
कमिश्नर, चहल बाबू और दहशत में कलक्टर
कमिश्नर बाबू और नगराधीश में गजब की जुगलबंदी है। ऐसी जुगलबंदी कि कलक्टर साहब खुद को साइड लाइन महसूस कर रहे हैं। कमिश्नर बाबू एलानिया कह रहे हैं कि एक को तो चलता कर दिया, अब उनकी बारी है। नगराधीश का भी क्षेत्र के अनुसार बजट बड़ा है, सो कमिश्नर बाबू की सेटिंग-गेटिंग की चुनौतियों को देखते हुए कमीशन बढ़ा दिया है। आधा सैकड़ा से ज्यादा स्टोन क्रशर मालिकों को पहले से ही एक्यूआई बढ़ाने की खुली छूट है। राजधानी के कुछ नौकरशाहों के बीच कमिश्नर बाबू के पक्ष में गोटियां बिछाने के लिए पार्टियों का दौर चल रहा है। सवाल उठना लाजिमी है कि पार्टियों का खर्च कहां से आ रहा है? इसका जवाब चहल बाबू देंगे!
सींग वाले अफसर से डरा विभाग
पशुधन बढ़ाने की जिम्मेदारी संभालने वाले विभाग के आला अफसर के सींग निकल आए हैं। वह आए दिन मातहतों को हौंकते रहते हैं। उन्हें कोई भी सूचना देनी हो तो सशरीर हाजिरी लगानी होती है। दरअसल, उन्हें मोबाइल कॉल से एलर्जी है। मोबाइल की घंटी बजती है तो बजने दो। जैसे ही घंटी बजती है, वह उसे दूर कर देते हैं। ऐसे में विभाग के डॉक्टर हों या कर्मचारी, सब डरे हुए हैं क्योंकि सशरीर उपस्थिति की शर्त है। यह भी तय नहीं है कि उपस्थिति के दौरान वह कब भड़क जाएं और क्या बोल दें। ऐसे में विभागीय डॉक्टर तो उनके कार्यकाल का एक-एक दिन गिन रहे हैं।
नए साहब के आते ही नए ऑफिस की चर्चा
प्रदेश में युवाओं से जुड़े एक महत्वपूर्ण महकमे में हाल ही में एक बड़े साहब की नियुक्ति हुई है। साहब पुराने हैं इसलिए चर्चा भी उनके कामकाज के तरीके को लेकर है। विभाग में उम्मीद है कि उनके आने से कामकाज को न सिर्फ गति मिलेगी बल्कि परिणाम भी बेहतर आएंगे। दूसरी तरफ उनके सहयोगियों व ब्यूरोक्रेसी में नए साहब के कामकाज के तौर तरीके को देखते हुए उनके नए ऑफिस की भी खूब चर्चा है। एक ने तो यहां तक कहा कि दो-चार महीने रुकिये जल्द ही साहब का नया ऑफिस राजधानी में भी होगा।
