सब्सक्राइब करें

कमेंट

कमेंट X

😊अति सुंदर 😎बहुत खूब 👌अति उत्तम भाव 👍बहुत बढ़िया.. 🤩लाजवाब 🤩बेहतरीन 🙌क्या खूब कहा 😔बहुत मार्मिक 😀वाह! वाह! क्या बात है! 🤗शानदार 👌गजब 🙏छा गये आप 👏तालियां ✌शाबाश 😍जबरदस्त
Hindi News ›   Madhya Pradesh ›   Mandla News ›   MP News: Tigers' 'school' in Madhya Pradesh, teaching them how to live in the jungle and how to hunt

MP News: मध्य प्रदेश में टाइगरों का 'स्कूल', जंगल में संघर्ष करने के साथ सिखा रहे शिकार के तरीके

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, मंडला Published by: दिनेश शर्मा Updated Thu, 24 Apr 2025 04:31 PM IST
सार

मध्यप्रदेश में एक ऐसा अनूठा 'स्कूल' है जहां पर बाघों को जंगल में रहने का तरीका सिखाया जाता है। इसके अलावा वो जंगल में कैसे शिकार करें, इस बारे में भी बताया जाता है। 

विज्ञापन
MP News: Tigers' 'school' in Madhya Pradesh, teaching them how to live in the jungle and how to hunt
मंडला में बाघों को शिकार की ट्रेनिंग दे रहा एक 'स्कूल' - फोटो : अमर उजाला
विज्ञापन

विस्तार
Follow Us

मध्य प्रदेश के मंडला में कान्हा राष्ट्रीय उद्यान है। इसके घोरेला के मैदान खास हैं। ये मैदान बाघों को बहुत पसंद किए जाते हैं। यहां भारत का पहला रिवाइल्डिंग सेंटर है, जिसमें अपने परिवार से बिछड़े और घायल बाघ शावकों को रखा जाता है। जंगल में रहने और शिकार करने की कला भी सिखाई जाती है।
Trending Videos


कान्हा टाइगर रिजर्व के वन्यप्राणी चिकित्सक संदीप अग्रवाल बताते हैं कि 14 बाघों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। शिकार की कला सीखने के बाद बाघों को टाइगर रिजर्व में छोड़ा जाता है। जिससे वो अपना जीवन सामान्य रूप से जी सकें। दरअसल यहां ऐसे शावक आते हैं, जिनके परिवार यानि मां-बाप कोई नहीं होता है। शावकों को यहां पाला जाता है। जब वो वयस्क हो जाते हैं तो उनको आगे का जीवन स्वयं जीना होता है। इसके जानवरों का शिकार करना वयस्क बाघ को आना चाहिए।
विज्ञापन
विज्ञापन


ये भी पढ़ें- बच्ची से क्रूरता, पत्थर से कुचला, आंखें फोड़ीं, काटे कान; दुष्कर्म नहीं कर सके अधेड़ की दरिंदगी



 

MP News: Tigers' 'school' in Madhya Pradesh, teaching them how to live in the jungle and how to hunt
मंडला में बाघों को शिकार की ट्रेनिंग दे रहा एक 'स्कूल' - फोटो : अमर उजाला
इसलिए इस सेंटर को माना जाता है खास
संदीप अग्रवाल आगे बताते हैं कि बाघों को कॉलर आईडी लगाकर जंगल में छोड़ते हैं। वे अपनी शिकार की कला का उपयोग कैसे कर रहे हैं। इसकी भी मॉनिटरिंग करनी होती है। ये भी देखना होता है कि बाघ किस वन्य क्षेत्र का उपयोग कर रहा है। वो कहां पर अपनी टेरिटरी बना रहा है। ये भी देखना जरूरी होता है कि बाघ कहीं गांवों में तो नहीं जा रहा है। वे बताते हैं कि अभी तक जितने बाघ सेंटर से निकले हैं उनमें से किसी का भी मानव के साथ संघर्ष नहीं हुआ है। उनका कहना है कि रिवाइल्डिंग का परसेंटेज जो हमारे यहां है वो किसी और जगह नहीं है। इसी वजह से सेंटर को लगातार अनाथ शावक मिल रहे हैं।  

ये भी पढ़ें- 15 साल के बच्चे थे आतंकी, लोगों को मारने के बाद सेल्फी ली, कलमा पढ़वाया और खतना देखा

कैसे करते हैं प्रशिक्षित
संदीप अग्रवाल बताते हैं कि सेंटर में बाघ बहुत छोटी उम्र के लाए जाते हैं। पहले हम उनकी देखभाल करते हैं, फिर थोड़ा बड़ा होने पर सीमित एरिया में बने जंगल में छोड़ा जाता है ताकि वो जंगल की चुनौतियों को परख सके। बाघ को शिकार के लिए तैयार करने के लिए उनके पिंजरे के बाहर पहले मुर्गे जैसे छोटे जानवरों को छोड़ा जाता है फिर बाघों को आजाद कर दिया जाता है, ताकि वो उन्हें पकड़ सके। इसमें पारंगत होने पर उन्हें थोड़े बड़े जानवरों जैसे हिरण का शिकार कराया जाता है। शिकार करने में जब वो तैयार हो जाते हैं तो उन्हें टाइगर रिजर्व में छोड़ दिया जाता है। 
विज्ञापन
विज्ञापन

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

Election
एप में पढ़ें

Followed