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Mandla News: कान्हा टाइगर रिजर्व में मादा बाघ की दर्दनाक मौत, इस साल छठा मामला
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, मंडला
Published by: मंडला ब्यूरो
Updated Wed, 28 May 2025 04:18 PM IST
सार
कान्हा टाइगर रिजर्व में एक मादा बाघ की भूस्खलन से मौत हुई, जो इस साल क्षेत्र में छठी बाघ की मौत है। प्रारंभिक जांच में शिकार की आशंका नकार दी गई है। लगातार हो रही मौतों से वन विभाग चिंतित है और जांच व संरक्षण के प्रयास जारी हैं।
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कान्हा टाइगर रिजर्व फोटो
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विस्तार
राज्य के प्रमुख वन्यजीव अभयारण्यों में शामिल कान्हा टाइगर रिजर्व से एक और दुखद समाचार सामने आया है। मंगलवार को रिजर्व के मुण्डीदादर वन परिक्षेत्र में स्थित सुलकुम नदी के पास 8 से 10 वर्ष की मादा बाघ का शव बरामद किया गया। यह इस साल रिजर्व और इसके आसपास के क्षेत्र में बाघ की छठी मौत है।
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वन विभाग के अनुसार, मादा बाघ दो बड़े पत्थरों के बीच फंसी हुई पाई गई, जिससे उसके भूस्खलन में फंसकर मरने की आशंका जताई जा रही है। हाल ही में क्षेत्र में तेज बारिश हुई थी, जिससे वहां भूस्खलन की स्थिति बनी थी। बाघ की मौत की जानकारी मिलते ही उच्च अधिकारियों ने राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण और मुख्य वन्यजीव संरक्षक के दिशा-निर्देशों के अनुसार तत्काल कार्रवाई की।
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डॉग स्क्वॉड की मदद से आसपास के क्षेत्र की गहन जांच की गई, ताकि किसी तरह के शिकार या मानव हस्तक्षेप की संभावना से इनकार किया जा सके। मौके पर पहुंचे वन्यजीव विशेषज्ञ डॉ. संदीप अग्रवाल और डॉ. आशीष वैद्य की देखरेख में बाघ का पोस्टमार्टम किया गया। प्रारंभिक जांच में बाघ के सभी अंग सुरक्षित पाए गए, जिससे किसी प्रकार के अवैध शिकार की आशंका को नकारा गया है। हालांकि, फॉरेंसिक जांच के लिए नमूने भेजे गए हैं ताकि मौत के सटीक कारणों की पुष्टि की जा सके।
वन विभाग, तहसीलदार, स्थानीय सरपंच और NTCA के प्रतिनिधियों की मौजूदगी में बाघ का दाह संस्कार विधिवत रूप से किया गया। साथ ही, वन अपराध प्रकरण दर्ज कर लिया गया है और मामले की विस्तृत जांच की जा रही है।
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गौरतलब है कि 2025 की शुरुआत से अब तक कान्हा और उसके आसपास के क्षेत्रों में छह बाघों की मौत हो चुकी है। इनमें जनवरी में दो वर्षीय मादा बाघ, फरवरी में 13 वर्षीय बाघिन, मार्च में 5 वर्षीय नर बाघ, अप्रैल में 15 माह की मादा बाघ और 6 माह के बाघ शावक की मौत शामिल हैं। इन छह में से पांच मौतें रिजर्व क्षेत्र के भीतर और एक बाहर पार्क के समीप हुई है।
लगातार हो रही बाघों की मौतों ने वन विभाग और संरक्षण संस्थाओं की चिंता बढ़ा दी है। विशेषज्ञों का कहना है कि बदलते पर्यावरणीय हालात, मानवीय हस्तक्षेप और प्राकृतिक आपदाएं अब बाघों के अस्तित्व पर खतरा बनती जा रही हैं। अब देखना यह होगा कि वन विभाग इन मौतों को रोकने के लिए कौन से ठोस कदम उठाता है।

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