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Mandla News: सर्पदंश से दो की मौत, महिला की झाड़-फूंक कराते रहे परिजन; बच्ची ने अस्पताल में तोड़ा दम
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, मंडला
Published by: मंडला ब्यूरो
Updated Tue, 27 May 2025 01:58 PM IST
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सार
स्थानीय चिकित्सकों का कहना है कि मानसून से पहले ही सांपों की सक्रियता बढ़ गई है। ऐसे में ग्रामीणों को सतर्क रहने और जागरूकता अपनाने की जरूरत है। हर साल अनेक लोग सिर्फ इसलिए जान गंवा बैठते हैं क्योंकि वे पहले झाड़-फूंक के फेर में समय गवां देते हैं।

सांकेतिक फोटो
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विस्तार
मंडला जिले के नैनपुर क्षेत्र में सर्पदंश की दो दर्दनाक घटनाओं ने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया है। बिजेगांव और केवलारी गांव में हुए इन हादसों में एक 35 वर्षीय महिला और एक 4 वर्षीय मासूम बच्ची की मौत हो गई। इन घटनाओं ने न केवल ग्रामीण चिकित्सा व्यवस्था की कमजोरियों को उजागर किया है, बल्कि अंधविश्वास जैसी सामाजिक कुरीतियों पर भी गंभीर सवाल खड़े किए हैं।

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पहली घटना बिजेगांव गांव की है, जहां 35 वर्षीय महिला को सांप ने डंस लिया। परिजनों ने उसे तुरंत अस्पताल ले जाने के बजाय झाड़-फूंक पर भरोसा किया। कई घंटे बीतने के बाद जब महिला की हालत बिगड़ गई, तब उसे नैनपुर के सिविल अस्पताल लाया गया। लेकिन, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। जांच के बाद डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
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दूसरी घटना केवलारी गांव में घटी, जहां 4 वर्षीय कनक झारिया को सर्पदंश हुआ। इस बार परिजनों ने सतर्कता दिखाते हुए बच्ची को तुरंत नैनपुर अस्पताल पहुंचाया। डॉक्टरों ने बच्ची को बचाने के लिए तमाम कोशिशें की, लेकिन उसने दम तोड़ दिया।
दोनों हादसों के बाद से क्षेत्र में दहशत का माहौल है। ग्रामीण सर्पदंश की स्थिति में सही कदम उठाने को लेकर असमंजस में हैं—झाड़-फूंक या आधुनिक चिकित्सा। इस पर विशेषज्ञों का साफ कहना है कि सर्पदंश के बाद तत्काल प्राथमिक उपचार और अस्पताल में इलाज ही जीवन रक्षक साबित हो सकता है।
स्थानीय चिकित्सकों का कहना है कि मानसून से पहले ही सांपों की सक्रियता बढ़ गई है। ऐसे में ग्रामीणों को सतर्क रहने और जागरूकता अपनाने की जरूरत है। हर साल अनेक लोग सिर्फ इसलिए जान गंवा बैठते हैं क्योंकि वे पहले झाड़-फूंक के फेर में समय गवां देते हैं।