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Umaria News: बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में मिला बाघ का शव, प्रारंभिक जांच में स्वाभाविक मौत की आशंका
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, उमरिया
Published by: उमरिया ब्यूरो
Updated Sun, 05 Oct 2025 11:22 AM IST
सार
डॉग स्क्वॉड और मेटल डिटेक्टर से तलाशी के बाद शिकार या आपराधिक गतिविधि के कोई साक्ष्य नहीं मिले। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बाघ के अंग सुरक्षित पाए गए और शरीर पर चोट या संघर्ष के निशान नहीं थे।
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बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के पनपथा बफर जोन में मिला बाघ का शव, शिकार की आशंका से इंकार
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के पनपथा बफर जोन के अंतर्गत आने वाले सालखनिया बीट (पी-610) में गश्त के दौरान एक बाघ का शव मिलने से वन विभाग में हड़कंप मच गया। घटना की जानकारी मिलते ही विभागीय अधिकारी मौके पर पहुंचे और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के दिशा-निर्देशों के अनुसार सभी आवश्यक कार्रवाई शुरू कर दी गई।
वन विभाग के मुताबिक, जब नियमित गश्त के दौरान वनकर्मियों ने जंगल के भीतर बाघ का शव देखा। सूचना तुरंत उच्च अधिकारियों तक पहुंचाई गई, जिसके बाद क्षेत्र संचालक, सहायक संचालक और वन्यप्राणी विशेषज्ञों की टीम ने मौके पर पहुंचकर जांच शुरू की।
घटनास्थल पर पहुंचकर डॉग स्क्वॉड की मदद से पूरे क्षेत्र की गहन सर्चिंग कराई गई ताकि किसी भी तरह के शिकार या आपराधिक गतिविधि के साक्ष्य तलाशे जा सकें। इसके साथ ही मेटल डिटेक्टर से भी आसपास के इलाके की बारीकी से जांच की गई। जांच के दौरान किसी तरह के फंदे, हथियार या अन्य संदिग्ध सामग्री नहीं मिली।
यह भी पढ़ें- ज्यादातर बच्चों को डॉक्टर प्रवीण सोनी ने लिखी थी दवा, गिरफ्तार, अब तक 14 की मौत; कंपनी पर भी केस
वन्यप्राणी चिकित्सकों और विशेषज्ञों की देखरेख में बाघ के शव का पोस्टमार्टम किया गया। जांच के दौरान यह पाया गया कि बाघ के सभी अंग सुरक्षित हैं और शरीर पर चोट या संघर्ष के कोई निशान नहीं हैं। वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार बाघ की मौत स्वाभाविक प्रतीत होती है, हालांकि अंतिम पुष्टि विस्तृत रिपोर्ट आने के बाद ही की जाएगी। पोस्टमार्टम के बाद एनटीसीए के प्रोटोकॉल के तहत बाघ का विधिवत दाह संस्कार किया गया। इस दौरान पूरी प्रक्रिया वीडियो रिकॉर्डिंग के साथ की गई ताकि पारदर्शिता बनी रहे।
वन विभाग ने बताया कि बफर जोन में नियमित गश्त और सतत निगरानी की व्यवस्था पहले से ही प्रभावी है। इस घटना में विभाग की त्वरित कार्रवाई और जांच प्रक्रिया ने यह स्पष्ट कर दिया कि किसी भी प्रकार की आपराधिक गतिविधि इसमें शामिल नहीं थी।
अधिकारियों का कहना है कि विभाग क्षेत्र में निगरानी और गश्त व्यवस्था को और मजबूत करेगा ताकि वन्यजीवों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में इस तरह की हर घटना की जांच गंभीरता से की जाती है और विशेषज्ञों की निगरानी में सभी कदम उठाए जाते हैं। यह घटना एक बार फिर इस बात की पुष्टि करती है कि विभाग की सतर्कता और पारदर्शी कार्यप्रणाली के कारण रिजर्व क्षेत्र में वन्यजीव संरक्षण की व्यवस्था लगातार सशक्त हो रही है।
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वन विभाग के मुताबिक, जब नियमित गश्त के दौरान वनकर्मियों ने जंगल के भीतर बाघ का शव देखा। सूचना तुरंत उच्च अधिकारियों तक पहुंचाई गई, जिसके बाद क्षेत्र संचालक, सहायक संचालक और वन्यप्राणी विशेषज्ञों की टीम ने मौके पर पहुंचकर जांच शुरू की।
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घटनास्थल पर पहुंचकर डॉग स्क्वॉड की मदद से पूरे क्षेत्र की गहन सर्चिंग कराई गई ताकि किसी भी तरह के शिकार या आपराधिक गतिविधि के साक्ष्य तलाशे जा सकें। इसके साथ ही मेटल डिटेक्टर से भी आसपास के इलाके की बारीकी से जांच की गई। जांच के दौरान किसी तरह के फंदे, हथियार या अन्य संदिग्ध सामग्री नहीं मिली।
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वन्यप्राणी चिकित्सकों और विशेषज्ञों की देखरेख में बाघ के शव का पोस्टमार्टम किया गया। जांच के दौरान यह पाया गया कि बाघ के सभी अंग सुरक्षित हैं और शरीर पर चोट या संघर्ष के कोई निशान नहीं हैं। वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार बाघ की मौत स्वाभाविक प्रतीत होती है, हालांकि अंतिम पुष्टि विस्तृत रिपोर्ट आने के बाद ही की जाएगी। पोस्टमार्टम के बाद एनटीसीए के प्रोटोकॉल के तहत बाघ का विधिवत दाह संस्कार किया गया। इस दौरान पूरी प्रक्रिया वीडियो रिकॉर्डिंग के साथ की गई ताकि पारदर्शिता बनी रहे।
वन विभाग ने बताया कि बफर जोन में नियमित गश्त और सतत निगरानी की व्यवस्था पहले से ही प्रभावी है। इस घटना में विभाग की त्वरित कार्रवाई और जांच प्रक्रिया ने यह स्पष्ट कर दिया कि किसी भी प्रकार की आपराधिक गतिविधि इसमें शामिल नहीं थी।
अधिकारियों का कहना है कि विभाग क्षेत्र में निगरानी और गश्त व्यवस्था को और मजबूत करेगा ताकि वन्यजीवों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में इस तरह की हर घटना की जांच गंभीरता से की जाती है और विशेषज्ञों की निगरानी में सभी कदम उठाए जाते हैं। यह घटना एक बार फिर इस बात की पुष्टि करती है कि विभाग की सतर्कता और पारदर्शी कार्यप्रणाली के कारण रिजर्व क्षेत्र में वन्यजीव संरक्षण की व्यवस्था लगातार सशक्त हो रही है।

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