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Car Exports: भारत के ऑटो निर्यात में ऐतिहासिक बदलाव, पहली बार कारों से आगे निकली एसयूवी
ऑटो डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: अमर शर्मा
Updated Wed, 24 Dec 2025 09:08 PM IST
सार
यूटिलिटी गाड़ियां विदेशों में होने वाले शिपमेंट में पारंपरिक पैसेंजर कारों की जगह लगातार ले रही हैं। जिससे यह संकेत मिलता है कि देश छोटी कारों के एक्सपोर्ट हब के तौर पर अपनी पुरानी पहचान खो रहा है।
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Citroen Basalt X
- फोटो : Citroen
भारत के ऑटोमोबाइल निर्यात में एक अहम लेकिन शांत बदलाव देखने को मिल रहा है। पहली बार यूटिलिटी व्हीकल्स, यानी एसयूवी, एमपीवी और एमयूवी, ने पारंपरिक पैसेंजर कारों को पीछे छोड़ दिया है। यह बदलाव इस बात का संकेत है कि भारत अब सिर्फ छोटी कारों का निर्यातक देश नहीं रहा, बल्कि ज्यादा वैल्यू और प्रीमियम सेगमेंट वाले वाहनों के लिए भी एक मजबूत मैन्युफैक्चरिंग हब बनता जा रहा है।
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Maruti Suzuki Victoris
- फोटो : Maruti Suzuki
घरेलू ट्रेंड का असर अब निर्यात पर भी
जिस तरह भारतीय बाजार में एसयूवी और मल्टी-यूटिलिटी व्हीकल्स की मांग लगातार बढ़ी है। वही ट्रेंड अब निर्यात आंकड़ों में भी साफ नजर आ रहा है। खास बात यह है कि पहली बार कार खरीदने वाले ग्राहकों में भी एसयूवी की लोकप्रियता बढ़ी है। इसी मांग के चलते भारत में बनी यूटिलिटी गाड़ियां अब विदेशी बाजारों में भी तेजी से जगह बना रही हैं।
यह भी पढ़ें - Bharat Taxi: अमित शाह ने कहा- 'भारत टैक्सी' का मुनाफे सीधे ड्राइवरों को मिलेगा, यात्रियों की बढ़ेगी सुविधा
नवंबर में टूटा पुराना रिकॉर्ड
नवंबर का महीना इस बदलाव का सबसे बड़ा सबूत बनकर सामने आया। पहली बार ऐसा हुआ जब भारत से निर्यात होने वाले यूटिलिटी व्हीकल्स की संख्या पैसेंजर कारों से ज्यादा रही। इस महीने यूटिलिटी व्हीकल्स के 42,993 यूनिट्स विदेश भेजे गए, जबकि पैसेंजर कारों का आंकड़ा 40,519 यूनिट्स पर रहा। इससे भारत के ऑटो निर्यात का संतुलन साफ तौर पर यूटिलिटी व्हीकल्स की ओर झुक गया।
यह भी पढ़ें - Detroit: 2026 में मजबूती के साथ एंट्री कर रही हैं Ford और GM, लेकिन बदलती ऑटो इंडस्ट्री बन सकती है सबसे बड़ा खतरा
जिस तरह भारतीय बाजार में एसयूवी और मल्टी-यूटिलिटी व्हीकल्स की मांग लगातार बढ़ी है। वही ट्रेंड अब निर्यात आंकड़ों में भी साफ नजर आ रहा है। खास बात यह है कि पहली बार कार खरीदने वाले ग्राहकों में भी एसयूवी की लोकप्रियता बढ़ी है। इसी मांग के चलते भारत में बनी यूटिलिटी गाड़ियां अब विदेशी बाजारों में भी तेजी से जगह बना रही हैं।
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नवंबर में टूटा पुराना रिकॉर्ड
नवंबर का महीना इस बदलाव का सबसे बड़ा सबूत बनकर सामने आया। पहली बार ऐसा हुआ जब भारत से निर्यात होने वाले यूटिलिटी व्हीकल्स की संख्या पैसेंजर कारों से ज्यादा रही। इस महीने यूटिलिटी व्हीकल्स के 42,993 यूनिट्स विदेश भेजे गए, जबकि पैसेंजर कारों का आंकड़ा 40,519 यूनिट्स पर रहा। इससे भारत के ऑटो निर्यात का संतुलन साफ तौर पर यूटिलिटी व्हीकल्स की ओर झुक गया।
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Tata Harrier EV
- फोटो : Amar Ujala
पहले कारों का दबदबा, अब तेजी से बदलती तस्वीर
अब तक भारत के निर्यात में कारों का दबदबा रहा है। वित्त वर्ष 2024 में भारत ने करीब 4.3 लाख पैसेंजर कारों का निर्यात किया था। जबकि यूटिलिटी व्हीकल्स की संख्या लगभग 2.3 लाख यूनिट्स रही थी। यानी कारों का आंकड़ा लगभग दोगुना था।
लेकिन चालू वित्त वर्ष में यह अंतर तेजी से कम हुआ है। अप्रैल से नवंबर 2025 के बीच कारों का निर्यात बढ़कर 3.04 लाख यूनिट्स हो गया, जो पिछले साल इसी अवधि में 2.71 लाख था। वहीं यूटिलिटी व्हीकल्स का निर्यात कहीं ज्यादा तेजी से बढ़ा और 2.22 लाख से उछलकर 2.88 लाख यूनिट्स तक पहुंच गया।
यह भी पढ़ें - Tesla: टेस्ला की इलेक्ट्रॉनिक डोर डिजाइन से जुड़ी 15 मौतें, रिपोर्ट में दावा- एलन मस्क ने खतरनाक डिजाइन को दी मंजूरी
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लेकिन चालू वित्त वर्ष में यह अंतर तेजी से कम हुआ है। अप्रैल से नवंबर 2025 के बीच कारों का निर्यात बढ़कर 3.04 लाख यूनिट्स हो गया, जो पिछले साल इसी अवधि में 2.71 लाख था। वहीं यूटिलिटी व्हीकल्स का निर्यात कहीं ज्यादा तेजी से बढ़ा और 2.22 लाख से उछलकर 2.88 लाख यूनिट्स तक पहुंच गया।
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2025 Skoda Kodiaq
- फोटो : Skoda
पूरे साल में भी बदल सकता है संतुलन
उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यही रफ्तार बनी रही, तो आने वाले महीनों में यूटिलिटी व्हीकल्स पूरे साल के आधार पर भी कारों को पीछे छोड़ सकते हैं। अनुमान लगाया जा रहा है कि वित्त वर्ष 2026 भारत के ऑटो निर्यात के इतिहास में पहला ऐसा साल हो सकता है, जब यूटिलिटी व्हीकल्स का निर्यात औपचारिक रूप से पैसेंजर कारों से ज्यादा हो जाएगा।
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Nissan Magnite
- फोटो : Nissan Motor India
निर्यात में किसका दबदबा
भारत के कुल वाहन निर्यात में मारुति सुजुकी सबसे बड़ा खिलाड़ी बनी हुई है। कंपनी की हिस्सेदारी सभी पैसेंजर व्हीकल्स—कार, यूटिलिटी व्हीकल और वैन—को मिलाकर 47 प्रतिशत से ज्यादा है। पैसेंजर कार सेगमेंट में मारुति सुजुकी और हुंडई मिलकर इस वित्त वर्ष अब तक करीब 81 प्रतिशत निर्यात पर कब्जा रखती हैं।
यूटिलिटी व्हीकल्स के मामले में भी मारुति सुजुकी सबसे आगे है, जबकि निसान, टोयोटा और हुंडई भी इस सेगमेंट में मजबूत निर्यातक के तौर पर उभर रही हैं। दिलचस्प बात यह है कि मारुति की यूटिलिटी व्हीकल एक्सपोर्ट संख्या बाकी सभी कंपनियों के संयुक्त आंकड़े के लगभग बराबर है।
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