यदि आप दिल्ली की सड़कों पर दोपहिया वाहन लेकर निकले हैं तो सावधान हो जाएं। असावधानी बरतने पर संभव है कि हवा में मौजूद अनजाना शिकारी आपको भी अपना शिकार न बना ले। हम बात कर रहे हैं जानलेवा और प्रतिबंधित चीनी मांझे की। दिल्ली की सड़कों पर लगातार लोग इस मांझे की चपेट में आकर जख्मी हो रहे हैं। बदरपुर के पास बाइक सवार जोमैटा डिलीवरी ब्वॉय के पैरों में मांझा फंसने से वह सड़क हादसे का शिकार हो गया। हादसे में उसकी जान ही चली गई। वहीं, रविवार शाम को जहां जगतपुरी इलाके के डिस्यूज कैनाल रोड पर बाइक सवार एमबीए छात्र चीनी मांझे की चपेट में आकर बुरी तरह जख्मी हो गया। हैरानी की बात यह है कि पिछले पांच सालों में दिल्ली पुलिस ने चीनी मांझे से हुए हादसों के मामले में महज 14 ही एफआईआर दर्ज की हैं। इनमें लोगों की मांझे की चपेट में आने के मामले भी शामिल हैं। चीनी मांझे से हुए हादसों के मामलों में पुलिस आज तक किसी को गिरफ्तार नहीं कर सकी है।
चीनी मांझे का कहर: सावधान सड़कों पर मौजूद है अनजाना शिकारी, डराने वाले हैं 31 जुलाई तक सामने आए आंकड़े
दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि वर्ष 2017 में एनजीटी के आदेश के बाद चीनी मांझे पर प्रतिबंध लगा दिया गया। तब से लगातार पुलिस चीनी मांझे बेचने वालों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है। वर्ष 2017 से 31 जुलाई 2022 के बीच पुलिस ने चीनी मांझे के मामले में कुल 256 एफआईआर (14 हादसों की और बाकी चीनी मांझे का धंधा करने वालों के खिलाफ) दर्ज की हैं। इनमें महज 14 मामले ही चीनी मांझे से घायल होने या जान जाने के हैं। बाकी सभी 236 मामले चीनी मांझा बेचने वालों के खिलाफ दर्ज हैं। सूत्रों का कहना है कि चीनी मांझे का धंधा करने वाले ज्यादातर लोग लचर कानून का फायदा उठाकर धंधा जारी रखते हैं। पुलिस चीनी मांझा बेचने वालों के खिलाफ सरकारी आदेश के उल्लंघन (धारा-188) का मामला दर्ज करती है। इन मामलों में आरोपियों पर बेहद कम जुर्माना लगाकर उनको छोड़ दिया जाता था। ऐसे में यह लोग दोबारा उसी धंधे को शुरू कर देते हैं।
सख्त हो कार्रवाई तो मांझा बिकने पर लगे लगाम...
सूत्रों का कहना है कि वर्ष 2017 में एनजीटी ने चीनी मांझे पर पाबंदी लगा दी थी। इसके बाद कहा गया था कि चीनी मांझा बेचने वालों के खिलाफ एनवायरमेंट प्रोटेक्शन एक्ट (पर्यावरण संरक्षण अधिनियम) के तहत कार्रवाई की जाए। यदि किसी के खिलाफ इस अधिनियम के तहत कार्रवाई होगी तो उसे पांच साल की सजा या एक लाख जुर्माना हो सकता है। वर्ष 2017 से चीनी मांझे पर पाबंदी के बाद दिल्ली पुलिस ने 256 में से महज छह ही मामले पर्यावरण सरंक्षण अधिनियम के तहत दर्ज किए हैं।
इंसान ही नहीं परिंदे भी होते चीनी मांझे का शिकार...
चीनी मांझे का शिकार इंसान ही नहीं बल्कि परिंदे भी होते हैं। पूरे साल जुलाई, अगस्त और सितंबर के महीनों में परिंदे खूब मांझे का शिकार होकर या तो मर जाते हैं या फिर दमकल विभाग व दूसरी एनजीओ इनकी जान बचाते हैं। जुलाई 2022 की बात करें तो दमकल विभाग के बाद पक्षियों को बचाने की 318 कॉल आई। वर्ष 2021 के आंकड़ों पर गौर करें तो यह आंकड़े जुलाई में 445, अगस्त में 909 और सितंबर में 714 था।
चीनी मांझे से पतंग उड़ाकर दूसरों की जान से खिलवाड़ करने वालों को पकड़ना मुश्किल...
पुलिस के सूत्र बताते हैं कि चीनी मांझे से हादसों के लिए जिम्मेदार लोगों को पकड़ना बेहद मुश्किल है। पांच सालों के बीच छह मौतों के मामलों में पुलिस आज तक किसी को भी गिरफ्तार नहीं कर सकी है। हर साल दर्जनों लोग इसका शिकार होते हैं, लेकिन मामले पुलिस को रिपोर्ट नहीं होते हैं। पुलिस के रिकॉर्ड में महज छह लोगों की मौत और आठ लोगों के घायल होने के मामले ही दर्ज हैं। छानबीन के बाद पुलिस 10 मामलों को बंद करने की रिपोर्ट कोर्ट दाखिल कर चुकी है जबकि चार की जांच करने की बात की जा रही है।