सब्सक्राइब करें

माता-पिता की मौत के बाद दोस्त के साथ हरिद्वार चले गए थे महंत अवेद्यनाथ, जानिए फिर गोरखपुर कैसे आए

राजन राय, गोरखपुर Published by: विजय जैन Updated Tue, 11 Feb 2020 11:02 AM IST
विज्ञापन
CM Yogi Adityanath remembered Mahant Avaidyanath in seminar at Digvijaynath LT College Gorakhpur
फाइल फोटो। - फोटो : अमर उजाला

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि शिक्षक और आचार्य भारतीय संस्कृति के मूल्यों को जीवंत रखने का सर्वोत्तम माध्यम बन सकते हैं। उन्होंने कहा कि सत्य एक है मंजिल एक है उसे प्राप्त करने के मार्ग अलग हो सकते हैं। किसी विशेषता के कारण अनेक झंझार को झेलते हुए भी भारतीय संस्कृत आज दुनिया का मार्गदर्शन करने के लिए सीना ताने खड़ी हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि भारतीय संस्कृति की विशेषता है 'अनेकता में एकता'। यह बात ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी भली भांति जानते थे कि भारत की सनातन परंपरा से अवगत थे एक बहुत बड़े सुविज्ञ साधक थे और जीवन को इन मूल्यों का दे बनाकर उन्होंने लोक कल्याण के लिए अपना रास्ता चुना।



मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जब अपने गुरु ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ के संस्मरण को याद करना शुरू किया तो वे बेहद भावुक हो गए। उन्होंने कहा कि जब मैं गुरुजी ब्रम्हलीन महंत अवैद्यनाथ के पास नया-नया आया था तो मैंने एक बार उनसे पूछा कि क्या कभी उन्हें अपने परिवार की याद नहीं आई, पैतृक सम्पत्ति का क्या किया? इस पर गुरु जी ने बताया कि जब वो 5 से 6 वर्ष के थे तो उनके माता-पिता का देहांत हो गया था। उनकी दादी ने 9 से 10 वर्ष तक पाला और उसके बाद उनका भी निधन हो गया।

Trending Videos
CM Yogi Adityanath remembered Mahant Avaidyanath in seminar at Digvijaynath LT College Gorakhpur
फाइल फोटो। - फोटो : अमर उजाला

एक छोटी बहन थी उसकी भी मृत्यु हो गई। करीब 11- 12 वर्ष की उम्र में वह गांव की एक दोस्त के साथ ही हरिद्वार चले आए। गांव के लोग जब यह जाने तो हरिद्वार पहुंचे, और दोस्त को लेकर चले गए। मेरा कोई नहीं था मैं वहीं रह गया, फिर मैंने वहां की शिक्षा लोगों से अध्ययन किया। जब गोरखपुर में महंत दिग्विजय नाथ जी महाराज ने मुझे अपना शिष्य बनाया और दीक्षा दी कई साल बाद गांव के लोगों को पता चला कि मैं गोरखपुर में हूं उस वक्त गांव में चकबंदी चल रही थी संपत्ति का बंटवारा हो रहा था।

मैं 17 अट्ठारह वर्ष का था गांव के लोग मेरे पास आए और उन्होंने कहा कि आप घर चलो संपत्ति का बंटवारा हो रहा है अपनी संपत्ति को संभालो कहीं भविष्य में जरूरत पड़ी तो आपके नाम रहेगा। मैं गया मजिस्ट्रेट के सामने मैंने कहा कि यह मेरी संपत्ति को मेरे अन्य परिवार के लोगों में बांट दिया जाए। सुनकर मजिस्ट्रेट चौक गया,  उसने कहा कि रहने दो अपने ही नाम सकता है। आपका मन घर की तरफ लौटे तो यह संपत्ति काम आएगी। गुरु जी बोले, नहीं इसे परिवार के नाम आप कर दें।

विज्ञापन
विज्ञापन
CM Yogi Adityanath remembered Mahant Avaidyanath in seminar at Digvijaynath LT College Gorakhpur
सीएम योगी आदित्यनाथ। - फोटो : अमर उजाला

शायद उन्होंने उसी वक्त लोक कल्याण के लिए अपना जीवन समर्पित करने का मन बना लिया था। सीएम योगी यहीं नहीं रुके उन्होंने एक और वाक्य का उदाहरण दिया, बोले गोरखनाथ मंदिर में तूने मुझसे शिकायत की कि यहां श्रद्धालुओं का जूता चप्पल चोरी हो जाता है। मैं परिसर में गया वहां जूता रखने के लिए बकायदा स्टैंड बना था एक कर्मचारी की ड्यूटी लगी थी मैंने उससे पूछा भाई ड्यूटी सही से नहीं निभा रहे हो कि जूता चप्पल कैसे गायब हो जा रहे हैं वहां मैंने टोकन की व्यवस्था शुरू करा दी।

और निगरानी के लिए दो-तीन सुरक्षा गार्ड लगा दिए एक दिन तीन मुस्लिम समाज के लड़के जूता चप्पल चुराते हुए पकड़े गए मैं वहां पहुंचा और मैंने कहा कि ऐसा क्यों करते हो और तुम्हारे पढ़ने का है पढ़ाई क्यों नहीं करते अब यहां से चले जाओ फिर दोबारा मत आना थोड़ी देर बाद जब मैं लंगर में भ्रमण के लिए निकला भोजन करने के लिए पहुंचे थे मैंने देखा तो दिया नहीं और उन्हें वहां से हटा दिया।

CM Yogi Adityanath remembered Mahant Avaidyanath in seminar at Digvijaynath LT College Gorakhpur
बाबा गोरक्षनाथ की पूजा करते सीएम योगी आदित्यनाथ। - फोटो : अमर उजाला

जब मैं पीठ की प्रथम तल की तरफ चल रहा था तो बड़े महाराज जी ने आवाज देकर मुझे बुलाया, बोले किसे हटा रहे थे डांट रहे थे? जब मैंने बच्चों का जिक्र किया तो उन्होंने कहा कि बच्चों को बुलाकर फिर से भोजन कराइए आपने जूता चप्पल चोरी करने के लिए उन्हें मना किया लेकिन किसी को भोजन से मना मत करना। गोरखनाथ बाबा का प्रसाद है ना हमारा है, ना तुम्हारा है यह भाव था उनके मन में तभी तो उन्होंने छुआछूत ऊंच नीच जैसी कुरीतियों को कभी नहीं माना हमेशा आगे आकर इन कुरीतियों को दूर करने के लिए सशक्त हस्ताक्षर बनें।

विज्ञापन

घर से निकाला गया कुष्ठ रोग से पीड़ित वह बच्चा आज संस्कृत का आचार्य है

CM Yogi Adityanath remembered Mahant Avaidyanath in seminar at Digvijaynath LT College Gorakhpur
फाइल फोटो। - फोटो : अमर उजाला

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने गुरु ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ की स्मृतियों से एक जानकारी साझा की। कहा कि एक बार गुरु जी मंदिर परिसर में भ्रमण कर रहे थे, बिहार का एक लड़का जो यादव जाति का था, उसके हाथ पर कुष्ठ रोक हो गए थे, और उसे परिवार के लोगों ने निकाल दिया था। उस बच्चे ने बताया कि भटकते हुए वह यहाँ तक आया है। बड़े महाराज जी ने उससे कहा क्या तुम पढ़ना चाहते हो, उसने कहा हां, गुरु जी ने कहा कि मैं तुम्हें पढ़ाऊंगा भी और भोजन की व्यवस्था कर दूँगा। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि वह बच्चा आज श्री गोरक्षनाथ संस्कृत विद्यापीठ महाविद्यालय में संस्कृत का आचार्य है। संस्कृत का ज्ञान जितना उसे अच्छी तरह है इस महाविद्यालय में बहुत कम ही शिक्षक होंगे जो उसके मुकाबले खड़े होंगे।

विज्ञापन
अगली फोटो गैलरी देखें

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

एप में पढ़ें

Followed