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Health Tips: बच्चों को दे रहे हैं फोन तो ये स्टडी पढ़कर सन्न रह जाएंगे आप, इन बीमारियों को दे रहे हैं बुलावा

हेल्थ डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: शिखर बरनवाल Updated Sun, 07 Dec 2025 06:28 PM IST
सार

  • अक्सर माता पिता बच्चों को स्मार्टफोन इसलिए दे देते हैं कि उनका विकास तेजी से हो और वहीं कुछ लोग बच्चों के जिद पर फोन दे देते हैं, जैसे उन्हें खाना खिलाने के लिए या रोते बच्चों को चुप कराने के लिए।
  • इसी से संबंधित एक स्टडी में बड़ा खुलासा हुआ है कि बच्चों को फोन देने से उनके शरीर में कई बीमारियों का जोखिम बढ़ जाता है।

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Smartphone Side Effects in Children Health Study Report Child Mental Health Parenting Tips
बच्चों को स्मार्टफोन देने के नुकसान - फोटो : Freepik.com

Smartphone Effects Kids: आजकल बच्चों को कम उम्र में स्मार्टफोन देना आम हो गया है। एक नई स्टडी में इस बात का खुलासा हुआ है कि कम उम्र के बच्चों के हाथ में स्मार्टफोन देने से उनके सेहत पर कई नकारात्मक असर पड़ते हैं। अमेरिका के 'एबीसीडी स्टडी' के तहत 10,000 से अधिक बच्चों पर किए गए इस व्यापक शोध में पाया गया कि जिन बच्चों को 12 साल की उम्र से पहले अपना पहला स्मार्टफोन मिला, उनमें गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का जोखिम काफी ज्यादा बढ़ गया।



स्मार्टफोन बच्चों के मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक स्वास्थ्य को धीरे-धीरे खराब कर रहा है। शोध में बताए गए आंकड़ों के अनुसार, 12 साल से कम उम्र में फोन पाने वाले बच्चों में नींद की समस्याओं का जोखिम 60%, मोटापे का 40% और डिप्रेशन (अवसाद) का जोखिम 30% अधिक पाया गया। यह डेटा स्पष्ट रूप से दिखाता है कि बच्चों को स्मार्टफोन देना केवल एक सुविधा नहीं है, बल्कि यह उन्हें गंभीर बीमारियों के बुलावे जैसा है। इन परिणामों को नजरअंदाज करना उनके भविष्य के स्वास्थ्य पर भारी पड़ सकता है।

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बच्चों के मानसिक विकास पर असर - फोटो : freepik.com

मानसिक विकास पर नकारात्मक असर
12 साल की उम्र बच्चों के मानसिक विकास के लिए एक बेहद संवेदनशील अवधि होती है। इस दौरान सोशल मीडिया पर दूसरों से लगातार तुलना, साइबर बुलिंग और किसी भी सामाजिक गतिविधि से छूट जाने का डर यानी 'फोमो' FOMO मानसिक तनाव को कई गुना बढ़ा देते हैं। कम उम्र में लगातार स्क्रीन एक्सपोजर बच्चों के प्राकृतिक सामाजिक और भावनात्मक विकास को भी बाधित करता है।


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स्लीप साइकिल पर असर - फोटो : Adobe Stock

स्लीप साइकिल और ब्लू लाइट का प्रभाव
स्क्रीन टाइम बढ़ने का सीधा असर बच्चों की नींद की गुणवत्ता पर पड़ता है। स्मार्टफोन और टैबलेट से निकलने वाली ब्लू लाइट मस्तिष्क में मेलाटोनिन (नींद पैदा करने वाला हार्मोन) के उत्पादन को दबा देती है। इससे उनका नेचुरल स्लीप साइकिल बिगड़ जाता है, जिसके कारण बच्चों को नींद न आने की समस्या और एकाग्रता की कमी का सामना करना पड़ता है।


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सेडेंटरी लाइफस्टाइल (प्रतीकात्मक तस्वीर) - फोटो : Adobe Stock

शारीरिक गतिविधि में कमी और मोटापा
स्मार्टफोन के अत्यधिक उपयोग से बच्चों की शारीरिक गतिविधि कम हो जाती है। बच्चे बाहर खेलने या सक्रिय रहने के बजाय स्क्रीन के सामने बैठे रहते हैं। शारीरिक श्रम की कमी और निष्क्रिय जीवन शैली मोटापे का कारण बनती है। मोटापा अपने आप में डायबिटीज और हृदय रोग सहित कई अन्य बीमारियों के जोखिम को बढ़ाता है।

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माता पिता के लिए विशेषज्ञों की सलाह - फोटो : Adobe stock
माता-पिता के लिए विशेषज्ञों की सलाह
विशेषज्ञों का स्पष्ट सुझाव है कि बच्चों को पर्सनल स्मार्टफोन देने के लिए कम से कम 12 साल की उम्र तक इंतजार करना चाहिए। शुरुआती दौर में, उन्हें केवल इमरजेंसी के लिए इंटरनेट के बिना बेसिक फोन दिया जा सकता है। सबसे महत्वपूर्ण नियम है 'नो-फोन इन बेडरूम' यानी सोते समय स्मार्टफोन को बेडरूम से दूर रखना, ताकि उनकी स्लीप साइकिल बाधित न हो।

नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।

अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।
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