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MP News: कल का 'ब्लैक स्पॉट' कैसे बन गया 'रेड कारपेट'? देशभर में भोपाल-जबलपुर हाईवे की चर्चा, क्या है खास
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नरसिंहपुर
Published by: अर्पित याज्ञनिक
Updated Sun, 14 Dec 2025 10:57 AM IST
सार
Bhopal Jabalpur Highway : भोपाल-जबलपुर नेशनल हाईवे के नरसिंहपुर-जबलपुर हिस्से में 'टेबल टॉप रेड मार्किंग' तकनीक से सड़क तैयार की गई है। इससे गति स्वतः नियंत्रित होती है और हादसे कम होंगे। यहां लगातार हादसे होते रहते थे। एनएचएआई ने इस तकनीक से हादसों को रोकने की योजना अपनाई है।
मध्य प्रदेश में राजधानी भोपाल से संस्कारधानी जबलपुर नेशनल हाईवे का एक हिस्सा इन दिनों देशभर में चर्चा का विषय बना हुआ है। नरसिंहपुर से जबलपुर के बीच करीब दो किलोमीटर की फोरलेन सड़क को एक अनोखी तकनीक से तैयार किया गया है, जो अब सुरक्षा और सुंदरता दोनों का प्रतीक बन चुकी है।
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हाईवे पर रेड कारपेट।
- फोटो : अमर उजाला
यह सड़क वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व की सीमा से होकर गुजरती है, जहां वन्य प्राणियों की मौजूदगी के कारण सड़क हादसों का खतरा लगातार बना रहता था। इसी खतरे को दूर करने के लिए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने यहां एक खास तकनीक अपनाई है, जिसे तकनीकी भाषा में कहा जाता है 'टेबल टॉप रेड मार्किंग' इस तकनीक के तहत सड़क पर लाल रंग की उभरी हुई मार्किंग की गई है, जो वाहन गुजरने पर हल्का झटका देती है और ड्राइवर की स्पीड अपने आप नियंत्रित हो जाती है।
यह पूरा क्षेत्र पहले एक बड़ा ब्लैक स्पॉट माना जाता था। राजमार्ग चौराहे से लेकर बेलखेड़ा तक कई हादसे सामने आए थे। अब इसी हिस्से को पूरी तरह से सुरक्षित बनाने के लिए करीब 12 किलोमीटर के डेंजर जोन में विशेष तकनीक का उपयोग किया गया है, जिसमें दो किलोमीटर के हिस्से में टेबल टॉप मार्किंग तकनीक अपनाई गई है।
इतना ही नहीं सड़क से गुजरने वाले लोगों ने तो इस रोड को 'रेड कारपेट' का नाम भी दे दिया है। इस सड़क से यात्रा जितनी सुरक्षित है दिखने में उससे कहीं ज्यादा सुंदर है।
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दोनों ओर बनाई गई व्हाइट शोल्डर लाइन।
- फोटो : अमर उजाला
इसके साथ-साथ वन्यजीवों की सुरक्षित आवाजाही के लिए इस प्रोजेक्ट में 25 अंडरपास (पुलिया) भी बनाए गए हैं, ताकि जंगली जानवर बिना खतरे के एक ओर से दूसरी ओर जा सकें। सिर्फ इतना ही नहीं, रात के समय होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए सड़क के दोनों किनारों पर पांच मिलीमीटर मोटी व्हाइट शोल्डर लाइन भी बनाई गई है। यह लाइन ड्राइवर को नींद आने या वाहन के किनारे खिसकने की स्थिति में तेज झटका देकर तुरंत सतर्क कर देती है। इस तकनीक का मकसद यात्रियों और वन्यजीवों दोनों का सफर सुरक्षित बनाना है, ताकि भविष्य में यह मार्ग कभी भी फिर से "ब्लैक स्पॉट" न बन पाए।
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