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कोटा में हर साल होती है सैकड़ों बच्चों की मौत, जानें जेके लोन कैसे बना मौत का अस्पताल
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, जयपुर
Published by: अनिल पांडेय
Updated Sat, 12 Dec 2020 11:28 AM IST
कोटा के जेके लोन अस्पताल में एक बार फिर बच्चों की मौत का सिलसिला शुरू हो गया है। यहां पिछले 24 घंटे के दौरान नौ नवजात अपनी जान गंवा चुके हैं और हर बार की तरह चिकित्सक और राज्य सरकार लीपापोती में लगी हुई है। गौर करने वाली बात यह है कि जेके लोन अस्पताल में हर साल सैकड़ों बच्चों की मौत हो जाती है, लेकिन प्रशासन सिर्फ टालमटोली के अलावा कुछ नहीं करता। इस रिपोर्ट में जानते हैं कि 'मौत का अस्पताल' कैसे बन गया जेके लोन अस्पताल और यहां बच्चों की मौत होने की असल वजह क्या है? साथ ही, इस मसले पर राज्य सरकार और प्रशासन का रुख कैसा रहता है?
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अस्पताल में नहीं हैं संसाधन
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जे के लोन
- फोटो : सोशल मीडिया
गौरतलब है कि कोटा का जेके लोन अस्पताल हर साल सुर्खियों में रहता है और हर बार इसकी वजह नवजात बच्चों की मौत होती है। परिजनों के मुताबिक, अस्पताल की हालत ऐसी है कि यहां सफाई ही नहीं होती। जगह-जगह चूहे घूमते रहते हैं। अस्पताल के शिशु वॉर्ड समेत बाकी वार्डों में खिड़कियों से ठंडी हवा आती रहती है, जिससे बच्चों की हालत बिगड़ जाती है। अस्पताल में संसाधनों की काफी कमी है और जो मशीनें हैं, उनमें से काफी काम ही नहीं करती हैं।
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स्टाफ बरतता है लापरवाही
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जे के लोन
- फोटो : सोशल मीडिया
पिछले 24 घंटे के दौरान जान गंवाने वाले नौ बच्चों के परिजनों का आरोप है कि जेके लोन अस्पताल का स्टाफ बेहद लापरवाह है। रात के वक्त जब बच्चे तड़प रहे थे, तब उसे देखने कोई भी नहीं आया। नर्सिंग स्टाफ ने सुबह डॉक्टर को दिखाने की बात कहकर भगा दिया। परिजनों का आरोप है कि डॉक्टरों को बच्चे की परेशानी बताई गई तो उनका जवाब था कि बच्चा तो रोता ही है। इसके अलावा एक महिला ने कि कर्मचारी ड्रिप लगाकर चाय पीने चले जाते थे। वहां बैठकर हंसी-मजाक करते रहे हैं। अगर कोई कुछ कहते थे तो भी हम पर ही चिल्लाते थे कि आ रहे हैं अभी, मर नहीं रहा तुम्हारा बच्चा।
डॉक्टरों की कमी भी बड़ी दिक्कत
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जे के लोन
- फोटो : सोशल मीडिया
जेके लोन अस्पताल में सबसे बड़ी दिक्कत डॉक्टरों की कमी है। बता दें कि पिछले साल यहां नवंबर-दिसंबर के दौरान 107 बच्चों ने जान गंवाई थी, जिसके बाद यहां नए चिकित्सक तैनात किए गए थे, लेकिन बाद में उन सभी का तबादला कर दिया गया। इस वक्त एक प्रोफेसर और एक असोसिएट प्रोफेसर के भरोसे पूरा अस्पताल चल रहा है, जो 230 बच्चों की जान का जिम्मा अकेले नहीं उठा सकते हैं।
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हर साल होती हैं हजारों बच्चों की मौत
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जे के लोन
- फोटो : सोशल मीडिया
आंकड़ों पर गौर करें तो जेके लोन अस्पताल में हर साल सैकड़ों बच्चे अपनी जान गंवा देते हैं। साल 2014 में यहां कुल 1198 बच्चों की मौत हुई थी और 2015 में यह आंकड़ा 1260 तक पहुंच गया था। 2016 में इस अस्पताल में 1193 बच्चों ने जान गंवाई, जबकि 2017 में 1027 बच्चे काल के गाल में समा गए। 2018 में बच्चों की मौतों की संख्या कम हुई, लेकिन आंकड़ा एक हजार से नीचे नहीं गया। इस साल 1005 बच्चों की मौत हुई। वहीं, 2019 में 963 बच्चों ने अपनी जान गंवाई, जबकि 2020 में 10 दिसंबर तक 917 बच्चों की मौत हो चुकी है।
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