{"_id":"68c1536916a3c5f3500ef608","slug":"premanand-maharaj-told-what-to-do-if-a-hair-or-a-fly-falls-into-the-food-2025-09-10","type":"photo-gallery","status":"publish","title_hn":"Premanand Maharaj: भोजन में पड़ जाए बाल या मक्खी तो खाना शुभ है या अशुभ? प्रेमानंद जी महाराज ने बताया","category":{"title":"Religion","title_hn":"धर्म","slug":"religion"}}
Premanand Maharaj: भोजन में पड़ जाए बाल या मक्खी तो खाना शुभ है या अशुभ? प्रेमानंद जी महाराज ने बताया
धर्म डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: ज्योति मेहरा
Updated Wed, 10 Sep 2025 04:01 PM IST
सार
हाल ही में प्रेमानंद जी महाराज ने अपने प्रवचन में भोजन के महत्व और जीवन पर इसके प्रभाव के बारे में बताया। आइए विस्तार से जानते हैं...
विज्ञापन
1 of 5
प्रेमानंद महाराज ने बताया भोजन का महत्व और जीवन पर प्रभाव
- फोटो : Amar Ujala
Premanand Ji Maharaj: भोजन केवल हमारे शरीर को ऊर्जा देने का ही काम नहीं करता, बल्कि यह हमारे मन, विचारों और साधना पर भी प्रभाव डालता है। हम जिस तरह का भोजन करते हैं, हमारा स्वभाव और जीवन-चर्या भी वैसी ही बनने लगती है। संत प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि साधक को भोजन से संबंधित विशेष नियमों का पालन जरूर करना चाहिए। हाल ही में प्रेमानंद जी महाराज ने अपने प्रवचन में भोजन के महत्व और जीवन पर इसके प्रभाव के बारे में बताया। आइए विस्तार से जानते हैं...
बासी और अशुद्ध भोजन से दूरी
महाराज जी का स्पष्ट रूप से कहना है कि बासी भोजन के सेवन से साधना में रुकावट आती है। रात को बना हुआ खाना सुबह नहीं खाना चाहिए और सुबह का बना भोजन शाम तक नहीं रखना चाहिए। दाल, रोटी जैसे अन्य ताजे व्यंजन अधिक समय बाद अशुद्ध हो जाते हैं। केवल घी या तेल में बने कुछ पकवान ही सुरक्षित रहते हैं।
विज्ञापन
विज्ञापन
3 of 5
बासी और अशुद्ध भोजन से दूरी
- फोटो : instagram
प्रेमानंद जी महाराज कबते हैं यदि भोजन में गलती से बाल गिर जाए या मक्खी आकर मर जाए, तो उस भोजन को तुरंत त्याग देना चाहिए। ऐसा भोजन अपवित्र माना जाता है। इसे ग्रहण करना शुद्धता की दृष्टि से अनुचित माना जाता है। यह न केवल साधना पर नकारात्मक प्रभाव डालता है, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक साबित हो सकता है।
4 of 5
बर्तनों का महत्व
- फोटो : Adobe stock
बर्तनों का महत्व
हम जिसमें भोजन करते हैं उन बर्तनों को लेकर भी विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। प्रेमानंद महाराज ने साधकों को कांसे के बर्तनों से परहेज़ करने की सलाह दी है। उनकी दृष्टि में मिट्टी और पीतल के बर्तन साधना के लिए शुभ होते हैं। ये बर्तन शरीर और मन की शुद्धता बनाए रखते हैं।
भोजन के समय मन
प्रेमानंद महाराज का कहना हैं कि भोजन करते समय साधक का मन पूरी तरह स्थिर होना चाहिए। खाने के दौरान व्यक्ति को न तो भोजन पर अधिक ध्यान केंद्रित करना चाहिए और न ही किसी व्यक्ति, वस्तु या स्थान के बारे में अधिक सोचना चाहिए। ऐसा करने से भोजन के गुण और स्वभाव का प्रभाव आप पर पड़ता है। यदि आप इस दौरान अधिक चिंतन करते हैं या नकारात्मक विचार रखते हैं तो उसके गुण भी आपके भीतर प्रवेश कर सकते हैं।
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं, ज्योतिष, पंचांग, धार्मिक ग्रंथों आदि पर आधारित है। यहां दी गई सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए अमर उजाला उत्तरदायी नहीं है।
सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट अमर उजाला पर पढ़ें आस्था समाचार से जुड़ी ब्रेकिंग अपडेट। आस्था जगत की अन्य खबरें जैसे पॉज़िटिव लाइफ़ फैक्ट्स,स्वास्थ्य संबंधी सभी धर्म और त्योहार आदि से संबंधित ब्रेकिंग न्यूज़।
एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें
Next Article
Disclaimer
हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर और व्यक्तिगत अनुभव प्रदान कर सकें और लक्षित विज्ञापन पेश कर सकें। अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।
कमेंट
कमेंट X