आरपीएफ के जवानों द्वारा लोको पायलटों की पिटाई के बाद कासगंज रेलवे स्टेशन पर साढ़े चार घंटे तक बेहद अफरातफरी का माहौल रहा। इस दौरान यात्री दहशत में रहे। पत्थरबाजी के बाद तो तमाम यात्री इधर उधर भागने लगे। स्थिति सामान्य होने पर लोगों ने राहत की सांस ली, लेकिन ट्रेन का संचालन शुरू न होने पर यात्री परेशान बने रहे।
इधर हंगामे की सूचना पर जिले भर का फोर्स और डीएम-एसपी भी पहुंच गए। पुलिस ने पूरे स्टेशन को छावनी बना दिया। डर था कहीं हंगामा कर रहे रेलवे कर्मी आरपीएफ जवान की जान न ले लें। ऐसे में भारी सुरक्षा के बीच उसे स्टेशन से बाहर ले जाया गया।
बताया गया है कि कासगंज जंक्शन पर 7:48 पर 55331 फर्रुखाबाद-कासगंज पैसेंजर पहुंची। ट्रेन को आगे आगरा और मथुरा जाना था, लेकिन यह ट्रेन विवाद और हंगामे के कारण नहीं जा पाई। पहले तो यात्री विवाद के निपटने का इंतजार करते रहे, लेकिन इसके बाद हंगामा बढ़ने पर यात्री दहशत में आने लगे।
शोर शराबे के साथ पत्थरबाजी शुरू हुई, तो दहशत में आए यात्री सहम गए। तमाम यात्री तो उसी वक्त वापस हो लिए। इसके बाद बरेली की ओर जाने वाली ट्रेन के यात्री भी ट्रेन के चलने का इंतजार करते रहे। प्लेटफार्म पर अन्य ट्रेनों की प्रतीक्षा में बैठे यात्री भी ट्रेनों के न पहुंचने पर परेशान होते रहे। यात्री हंगामा शांत होने की प्रतीक्षा कर रहे थे, लेकिन साढ़े चार घंटे तक हंगामा चलता रहा।
12 बजे के बाद रेलवे के प्रशासन ने यात्रियों से ट्रेनों में बैठने और ट्रेनों के संचालन के शुरू होने की घोषणा की तो यात्रियों ने राहत की सांस ली। ट्रेनों में तमाम ऐसे यात्री भी थे जिन्हें मथुरा या आगरा के स्टेशनों से अन्य ट्रेनें पकड़नी थीं। कई यात्री बीमार परिवारीजनों को इलाज के लिए ले जा रहे थे। उन्हें भी काफी दिक्कतें उठानी पड़ी।